एक बड़ा कदम, बड़े विकास की ओर

छत्तीसगढ़ के रेल नेटवर्क में विस्तार का बहुप्रतीक्षित सपना अब हकीकत बनने की ओर अग्रसर है। राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रस्तावित खरसिया-नया रायपुर-परमालकसा (दुर्ग-राजनांदगांव के पास) 278 किलोमीटर लंबी डबल रेल लाइन परियोजना ने गति पकड़ ली है। यह परियोजना न केवल कनेक्टिविटी सुधारेगी, बल्कि औद्योगिक और व्यावसायिक विकास को भी नई दिशा देगी। इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट का एक बड़ा कदम अब जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया के साथ उठाया गया है।

परियोजना के लिए 33 गांवों की जमीन पर लगी रोक

इस महत्वाकांक्षी रेलवे परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए भूमि अधिग्रहण एक अनिवार्य प्रक्रिया है। इसी क्रम में, प्रोजेक्ट के रास्ते में आने वाले 33 गांवों में जमीन की खरीद-बिक्री पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। यह रोक विशेष रूप से जांजगीर-चांपा जिले के उन गांवों पर लगाई गई है, जिनकी भूमि इस नई रेल लाइन के संरेखण (alignment) में आ रही है।

यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक भूमि बिना किसी रुकावट के उपलब्ध हो सके और किसी भी तरह की अनावश्यक खरीद-बिक्री या संपत्ति विवाद से बचा जा सके।

किन गांवों की जमीन प्रभावित?

जांजगीर-चांपा जिले के तीन विकासखंडों – बम्हीडीह, पामगढ़ और नवागढ़ – के कुल 33 गांवों में जमीन की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है। इन गांवों की सूची इस प्रकार है:

  • आमगांव, काशीगढ़, बेलकरी, बावनबोरी, कपिस्दा, कनकपुर, करनौद, पेंड्री, बरगांव, किरीट, खपराडीह, तुलसी, खैरताल, गंगाजल, कटौद, तंदुआ, कुरियारी, बेल्हा, खरौद तिवारीपारा, देवरी, लोहारसी, खोरसी, हड़हा, तनौद, कमरीद, कोदाभाट, भुईगांव, चुरतेला, खरखोद, खैराडीह, शुक्लभाठा, ससहा।

यह रोक परियोजना के सुचारू क्रियान्वयन के लिए एक आवश्यक कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है।

परियोजना की मुख्य बातें: क्यों है यह इतना महत्वपूर्ण?

लगभग ₹8,741 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली यह परियोजना भारतीय रेलवे की शीर्ष प्राथमिकता वाली परियोजनाओं में से एक है। इसकी कुल मुख्य लंबाई 278 किलोमीटर है, जिस पर डबल लाइन बिछाई जाएगी। यार्ड आदि मिलाकर कुल ट्रैक की लंबाई लगभग 615 किलोमीटर होगी।

यह लाइन खैरागढ़ के पास परमालकसा से शुरू होकर खरसिया तक जाएगी और रायपुर बाईपास के माध्यम से छत्तीसगढ़ को सीधे महाराष्ट्र से जोड़ने में सहायक होगी।

परियोजना से लाभान्वित होने वाले जिले:

यह रेल लाइन छत्तीसगढ़ के 8 प्रमुख जिलों को जोड़ेगी और उन्हें सीधा लाभ पहुंचाएगी: रायगढ़, जांजगीर-चांपा, सक्ती, बिलासपुर, बलौदाबाजार, रायपुर, दुर्ग और राजनांदगांव। विशेष रूप से बलौदाबाजार जैसे क्षेत्रों में, जहां सीमेंट फैक्ट्रियां स्थापित हो रही हैं, यह लाइन औद्योगिक परिवहन के लिए गेम-चेंजर साबित होगी।

अन्य प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर:

इस 278 किलोमीटर के मार्ग पर 21 नए रेलवे स्टेशन, 48 बड़े और 349 छोटे पुल, 14 ओवर ब्रिज (ROB), 184 अंडर ब्रिज (RUB) और 5 रेल फ्लाईओवर का निर्माण किया जाएगा। यह विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क क्षेत्र में यातायात को सुगम बनाएगा और कनेक्टिविटी को अभूतपूर्व तरीके से बढ़ाएगा।

विकास की पटरी पर छत्तीसगढ़

जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होना इस बात का संकेत है कि खरसिया-नया रायपुर-परमालकसा रेल लाइन परियोजना अब तेजी से आगे बढ़ रही है। यह प्रोजेक्ट न केवल छत्तीसगढ़ के परिवहन नेटवर्क को आधुनिक बनाएगा, बल्कि आर्थिक विकास को गति देगा, नए रोजगार के अवसर पैदा करेगा और प्रभावित क्षेत्रों में जीवन स्तर सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। जमीन पर लगी रोक जैसी प्रक्रियाएं बड़े विकास कार्यों का अभिन्न अंग होती हैं, जो भविष्य में व्यापक लाभ सुनिश्चित करती हैं।