Shaktipeeth Expressway: महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी को एक नई दिशा देने वाले एक महत्वाकांक्षी मेगा प्रोजेक्ट की घोषणा की है। मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक के बाद “शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे” (Shaktipeeth Expressway) के निर्माण को हरी झंडी दे दी गई। यह एक्सप्रेसवे न केवल महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ेगा, बल्कि इसे देश के सबसे लंबे सिंगल-स्टेट एक्सप्रेसवे (Longest Single-State Expressway in India) में से एक होने का गौरव भी प्राप्त होगा। इस परियोजना के लिए 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक की भारी-भरकम राशि को मंजूरी दी गई है, जो राज्य के विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
क्यों खास है ‘शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे’? धार्मिक और आर्थिक महत्व
इस एक्सप्रेसवे का नाम “शक्तिपीठ” बेहद सोच-समझकर रखा गया है। यह एक्सप्रेसवे महाराष्ट्र और आसपास के क्षेत्रों के प्रमुख शक्तिपीठों जैसे महालक्ष्मी (कोल्हापुर), तुलजाभवानी (तुलजापुर) और पत्रादेवी (गोवा) को सीधे जोड़ेगा, जिससे श्रद्धालुओं के लिए इन पवित्र स्थलों की यात्रा सुगम हो जाएगी। इसके अलावा, यह एक्सप्रेसवे पंढरपुर (विठोबा मंदिर), नांदेड़ (तख्त सचखंड श्री हुजूर साहिब) और सेवाग्राम (महात्मा गांधी का आश्रम) जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थानों को भी अपनी कनेक्टिविटी के दायरे में लाएगा। उल्लेखनीय है कि सिखों का सबसे पवित्र तीर्थस्थल तख्त सचखंड श्री हुजूर साहिब नांदेड़ (Takhat Sachkhand Sri Hazur Sahib, Nanded) में स्थित है, जो इस मार्ग पर आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ी सुविधा होगी।
नागपुर से गोवा: 805 किलोमीटर का सफर सिर्फ 8 घंटे में!
शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 805 किलोमीटर (805 km length) होगी, जो महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के प्रमुख शहर नागपुर (Nagpur) के निकट वर्धा के पावनार से शुरू होकर गोवा के उत्तरी छोर पर स्थित पत्रादेवी (Patradevi) तक जाएगा। सरकार की योजना है कि इस एक्सप्रेसवे पर पूरी यात्रा सिर्फ 8 घंटे (8 hours travel time) में पूरी की जा सके। इसका मतलब है कि लोग 8 घंटे में 800 किलोमीटर से अधिक की दूरी आसानी से तय कर सकेंगे। वर्तमान में, यदि आप सड़क मार्ग से नागपुर से गोवा जाना चाहते हैं, तो इसमें लगभग 18 घंटे का समय लगता है। इस एक्सप्रेसवे के बनने से यात्रा के समय में सीधे 10 घंटे की भारी बचत होगी, जो न केवल पर्यटकों और आम यात्रियों के लिए बल्कि माल परिवहन के लिए भी क्रांतिकारी साबित होगा।
पूर्वी महाराष्ट्र से कोंकण और गोवा तक सीधी कनेक्टिविटी, 12 जिले जुड़ेंगे:
यह एक्सप्रेसवे पूर्वी महाराष्ट्र (Eastern Maharashtra) को सीधे कोंकण क्षेत्र (Konkan Region) और गोवा (Goa) से जोड़ेगा, जिससे इन क्षेत्रों के बीच व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा। यह एक्सप्रेसवे महाराष्ट्र के निम्नलिखित 12 जिलों (12 districts of Maharashtra) से होकर गुजरेगा या उन्हें जोड़ेगा:
- वर्धा (पावनार से शुरुआत)
- यवतमाल
- हिंगोली
- नांदेड़
- परभणी
- लातूर
- बीड
- उस्मानाबाद
- सोलापुर
- सांगली
- कोल्हापुर
- सिंधुदुर्ग (गोवा सीमा के निकट)
- (उल्लेखनीय है कि सूची में नागपुर भी शामिल किया गया है, हालांकि एक्सप्रेसवे वर्धा से शुरू हो रहा है, नागपुर इसकी कनेक्टिविटी का एक महत्वपूर्ण बिंदु है)
इस एक्सप्रेसवे के निर्माण से महाराष्ट्र के विदर्भ, मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र सहित कई पिछड़े जिलों (Underdeveloped Districts) के विकास को अभूतपूर्व गति मिलने की उम्मीद है। यह न केवल मध्य भारत से गोवा तक पहुंच को आसान बनाएगा, बल्कि महाराष्ट्र के औद्योगिक विकास (Industrial Development) और कृषि उत्पादों के त्वरित परिवहन के लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
देवेंद्र फडणवीस का विजन, शिंदे सरकार ने दी मंजूरी:
इस महत्वाकांक्षी एक्सप्रेसवे परियोजना (Expressway Project) का प्रस्ताव सबसे पहले तत्कालीन उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) द्वारा एकनाथ शिंदे सरकार के दौरान रखा गया था। अब सरकार ने इसके कार्यान्वयन को मंजूरी दे दी है, जो राज्य के ढांचागत विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे पहले, महाराष्ट्र में मुंबई-नागपुर समृद्धि महामार्ग (Mumbai-Nagpur Samruddhi Mahamarg) और उत्तर प्रदेश का प्रयाग एक्सप्रेसवे (संभवतः गंगा एक्सप्रेसवे का उल्लेख) सबसे लंबे एक्सप्रेसवे में गिने जाते थे। अब शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे इस कड़ी में एक और महत्वपूर्ण जुड़ाव होगा। यह ध्यान देने योग्य है कि दिल्ली को मुंबई से जोड़ने वाला दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (Delhi-Mumbai Expressway), जिसकी लंबाई लगभग 1450 किलोमीटर है, देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है, और इसके एक हिस्से पर परिचालन भी शुरू हो चुका है।
शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे न केवल यात्रा के समय को कम करेगा बल्कि ईंधन की बचत, प्रदूषण में कमी और सड़क सुरक्षा में भी सुधार लाएगा। यह परियोजना महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था और पर्यटन क्षेत्र के लिए एक गेम-चेंजर (Game-Changer Project) साबित हो सकती है, जो राज्य को विकास की एक नई ऊंचाई पर ले जाएगी।