Sarkari Yojana: बिहार की महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने वाली मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना (Mukhyamantri Mahila Rojgar Yojana) लॉन्च होते ही चर्चा का विषय बन गई है। इस योजना के तहत, राज्य की महिलाओं को अपना खुद का रोजगार शुरू करने के लिए पहली किस्त के रूप में ₹10,000 दिए जा रहे हैं, और बाद में जरूरत पड़ने पर ₹2 लाख तक का लोन भी मिल सकता है। लेकिन इस योजना को लेकर लोगों के मन में, खासकर ग्रामीण और संयुक्त परिवारों में, एक बड़ा सवाल उठ रहा है: अगर एक ही परिवार में सास और बहू, दोनों इस योजना का लाभ लेना चाहती हैं, तो पैसा किसे मिलेगा?
सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों में यह साफ लिखा है कि एक परिवार की केवल एक ही महिला को इस योजना का लाभ मिलेगा। इसी नियम ने ‘परिवार’ की परिभाषा को लेकर एक बड़ी उलझन पैदा कर दी थी। आइए, आज हम आपकी इस उलझन को दूर करते हैं और सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार ‘परिवार’ की सही परिभाषा को समझते हैं।
क्या है परिवार की परिभाषा, सरकार ने दूर की हर कन्फ्यूजन
अक्सर जब ‘एक परिवार’ की बात आती है, तो हम संयुक्त परिवार (Joint Family) की कल्पना करते हैं, जिसमें माता-पिता, बेटे, बहू और पोते-पोतियां एक साथ रहते हैं। लेकिन, मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के लिए ‘परिवार’ की परिभाषा अलग है।
योजना के दिशा-निर्देशों में ‘परिवार’ को बहुत स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है ताकि किसी भी तरह का भ्रम न रहे। इसके अनुसार:
- ‘परिवार’ का मतलब है: पति, पत्नी और उनके अविवाहित बच्चे।
इसका मतलब है कि विवाह के बाद बेटे और उसकी पत्नी (बहू) को एक अलग और स्वतंत्र परिवार इकाई (Family Unit) माना जाएगा, भले ही वे अपने माता-पिता (सास-ससुर) के साथ एक ही घर में क्यों न रह रहे हों।
- एक विशेष स्थिति: अगर किसी अविवाहित महिला के माता-पिता जीवित नहीं हैं, तो उसे भी एक अलग परिवार माना जाएगा, और वह इस योजना के लिए पात्र होगी।
सास और बहू दोनों के लिए बड़ी खुशखबरी! दोनों को मिलेंगे ₹10,000-₹10,000
परिवार की इस स्पष्ट परिभाषा से यह बात साफ हो जाती है कि सास और बहू, दोनों ही इस योजना का लाभ उठा सकती हैं और दोनों को अलग-अलग ₹10,000 की प्रोत्साहन राशि मिल सकती है।
- बहू का परिवार: बेटा, बहू और उनके अविवाहित बच्चों को एक अलग परिवार माना जाएगा।
- सास का परिवार: माता-पिता (सास-ससुर) को एक अलग परिवार माना जाएगा।
इसलिए, यदि एक ही घर में रहने वाली सास और बहू, दोनों अपना-अपना रोजगार (जैसे सिलाई, बुटीक, अचार बनाना आदि) शुरू करना चाहती हैं, तो वे दोनों इस योजना के लिए अलग-अलग आवेदन कर सकती हैं।
योजना का लाभ लेने के लिए क्या है अनिवार्य शर्त?
मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना का लाभ उठाने के लिए एक अनिवार्य शर्त है कि महिला को जीविका स्वयं सहायता समूह (Jeevika Self-Help Group) से जुड़ा होना चाहिए। यदि आप अभी तक सदस्य नहीं हैं, तो आपको पहले अपने क्षेत्र के जीविका समूह से जुड़ना होगा।
- उम्र सीमा: समूह से जुड़ने के लिए महिला की उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
- अन्य शर्तें: परिवार में कोई भी सदस्य आयकर दाता (Income Tax Payer) नहीं होना चाहिए और न ही कोई सदस्य सरकारी नौकरी (नियमित या संविदा) में होना चाहिए।
इस योजना के तहत, सरकार 18 विभिन्न प्रकार के काम शुरू करने के लिए आर्थिक मदद कर रही है। सितंबर महीने से ही लाभार्थियों के खाते में ₹10,000 की पहली किस्त भेजनी शुरू कर दी गई है। यह योजना निश्चित रूप से बिहार की महिलाओं के लिए आर्थिक स्वतंत्रता का एक नया द्वार खोलेगी, खासकर उन सास-बहू के लिए जो मिलकर या अलग-अलग अपना कोई काम शुरू करने का सपना देख रही थीं।