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Rashtriya Gokul Mission: देशी गाय, डबल कमाई! जानें सरकारी योजना का पूरा फायदा

Published On: June 18, 2025
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Rashtriya Gokul Mission: देशी गाय, डबल कमाई! जानें सरकारी योजना का पूरा फायदा
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Rashtriya Gokul Mission: भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग (Department of Animal Husbandry & Dairying – DAHD) द्वारा संचालित राष्ट्रीय गोकुल मिशन (Rashtriya Gokul Mission – RGM) देश में देशी गोजातीय नस्लों के संरक्षण और विकास के लिए एक दूरदर्शी और महत्वपूर्ण पहल है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य दूध उत्पादन और डेयरी पशुओं की उत्पादकता को स्थायी रूप से बढ़ाना है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले। यह योजना विशेष रूप से भारत में पशुधन क्षेत्र को बढ़ावा देने और स्वदेशी नस्लों के संरक्षण (conservation of indigenous breeds) को सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।

भारत, कृषि प्रधान देश होने के साथ-साथ दुनिया के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक देशों (milk-producing countries) में से एक है। इस उपलब्धि में हमारी देशी गोजातीय नस्लों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हालांकि, समय के साथ, इन नस्लों के महत्व को नजरअंदाज किया गया और उनकी संख्या तथा उत्पादकता में गिरावट आई। इसी गंभीर समस्या को संबोधित करने और देशी गायों की नस्ल सुधार (breed improvement of indigenous cattle) की दिशा में एक ठोस कदम उठाने के लिए दिसंबर 2014 में ‘राष्ट्रीय गोजातीय प्रजनन एवं डेयरी विकास कार्यक्रम’ के अंतर्गत राष्ट्रीय गोकुल मिशन की शुरुआत की गई।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के मुख्य उद्देश्य (Key Objectives of Rashtriya Gokul Mission):

यह महत्वाकांक्षी मिशन कई महत्वपूर्ण उद्देश्यों को लेकर चल रहा है, जिनमें प्रमुख हैं:

  1. देशी गोजातीय नस्लों का विकास और संरक्षण (Development and Conservation of Indigenous Bovine Breeds): मिशन का सर्वोपरि उद्देश्य भारत की विविध और समृद्ध देशी गायों और भैंसों की नस्लों का वैज्ञानिक तरीके से विकास और संरक्षण करना है। इसमें उन नस्लों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जो विशिष्ट जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल हैं और जिनकी दूध उत्पादन क्षमता बेहतर है।
  2. नस्ल सुधार कार्यक्रम (Breed Improvement Programme): देशी नस्लों की दूध उत्पादकता और प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए एक संरचित नस्ल सुधार कार्यक्रम लागू करना। इसके अंतर्गत उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों (High Genetic Merit Bulls) का उपयोग कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination – AI) और भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक (Embryo Transfer Technology – ETT) के माध्यम से किया जाता है।
  3. दूध उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि (Enhancement of Milk Production and Productivity): बेहतर प्रजनन तकनीकों, पोषण और स्वास्थ्य प्रबंधन के माध्यम से प्रति पशु दूध उत्पादन में वृद्धि करना, जिससे समग्र राष्ट्रीय दूध उत्पादन में भी इजाफा हो।
  4. रोग मुक्त उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले मादा पशुओं का प्रसार (Propagation of Disease-Free High Genetic Merit Female Animals): रोगमुक्त और आनुवंशिक रूप से उत्कृष्ट मादा पशुओं की संख्या बढ़ाना, ताकि स्वस्थ और उत्पादक झुंड तैयार हो सकें।
  5. कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं का विस्तार (Expansion of Artificial Insemination Services): किसानों के घर तक गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं पहुंचाना, ताकि दूरदराज के क्षेत्रों में भी नस्ल सुधार का लाभ मिल सके। इसमें एमएआईटीआरआई (MAITRIs – Multipurpose AI Technicians in Rural India) की स्थापना भी शामिल है।
  6. पशुपालकों के लिए वैज्ञानिक पशु प्रबंधन को बढ़ावा देना (Promoting Scientific Animal Management for Farmers): किसानों को आधुनिक पशुपालन तकनीकों, संतुलित आहार, रोग नियंत्रण और पशुधन प्रबंधन के बारे में प्रशिक्षित और जागरूक करना।
  7. जैविक खेती में गोजातीय उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देना (Promoting Use of Bovine Products in Organic Farming): गोबर और गोमूत्र जैसे गोजातीय उप-उत्पादों के आर्थिक मूल्य को बढ़ाना और जैविक खेती में उनके उपयोग को प्रोत्साहित करना।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के प्रमुख घटक और गतिविधियां (Major Components and Activities under RGM):

अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत विभिन्न घटकों और गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है:

  • गोकुल ग्राम की स्थापना (Establishment of Gokul Grams): ये स्वदेशी पशु केंद्र होते हैं जो देशी नस्लों के विकास और संरक्षण के लिए एक वैज्ञानिक केंद्र के रूप में कार्य करते हैं। गोकुल ग्राम में उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले पशुओं का पालन-पोषण, प्रजनन और किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है। इनका लक्ष्य वैज्ञानिक पशुपालन (scientific cattle rearing) को बढ़ावा देना है।
  • राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केंद्र (National Kamdhenu Breeding Centres – NKBC): ये उत्कृष्टता केंद्र के रूप में स्थापित किए जा रहे हैं जो देशी नस्लों के संरक्षण और अनुसंधान को बढ़ावा देंगे।
  • ई-पशुधन हाट पोर्टल (E-Pashudhan Haat Portal): यह एक ऑनलाइन पोर्टल है जो प्रजनकों और किसानों को देशी नस्लों के जर्मप्लाज्म (जैसे वीर्य, भ्रूण आदि) की खरीद-बिक्री के लिए एक मंच प्रदान करता है। यह पशुधन व्यापार (livestock trade) को पारदर्शी बनाता है।
  • पशु संजीवनी (Pashu Sanjivni): इसके तहत पशुओं की पहचान (Animal Identification) और राष्ट्रीय डेटाबेस (National Database) तैयार किया जा रहा है, जिससे पशुओं की उत्पादकता और स्वास्थ्य पर नज़र रखी जा सके। इसमें नकुल स्वास्थ्य पत्र (Nakul Swasthya Patra) भी शामिल है।
  • कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों का प्रशिक्षण (Training of AI Technicians): गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए तकनीशियनों को प्रशिक्षित किया जाता है।
  • उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों का प्रेरण और वितरण (Induction and Distribution of High Genetic Merit Bulls): उत्कृष्ट सांडों का चयन कर उन्हें वीर्य उत्पादन केंद्रों और प्रजनन फार्मों को उपलब्ध कराना।
  • देशव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम (Nationwide AI Programme): सभी प्रजनन योग्य पशुओं को कवर करने के लक्ष्य के साथ व्यापक कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम चलाना।
  • प्रोत्साहन पुरस्कार (Incentive Awards): देशी नस्लों को पालने और उनके विकास में उत्कृष्ट योगदान देने वाले किसानों और संस्थानों को गोपाल रत्न पुरस्कार (Gopal Ratna Award) और कामधेनु पुरस्कार (Kamdhenu Award) जैसे पुरस्कारों से सम्मानित करना।

किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:

राष्ट्रीय गोकुल मिशन से न केवल देशी गोजातीय नस्लों को नया जीवन मिल रहा है, बल्कि यह भारतीय किसानों की आय (farmers’ income in India) को बढ़ाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बेहतर नस्ल और बढ़ी हुई दूध उत्पादकता से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। इसके अतिरिक्त, जैविक खेती को बढ़ावा मिलने से भूमि की उर्वरता बनी रहती है और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होती है, जो दीर्घकालिक कृषि स्थिरता (agricultural sustainability) के लिए आवश्यक है। यह योजना भारत के डेयरी उद्योग (dairy industry in India) को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन, भारत सरकार की पशुधन योजनाएं (Government of India livestock schemes) के बीच एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो भारत की समृद्ध पशुधन विरासत को संरक्षित करते हुए डेयरी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और किसानों की समृद्धि सुनिश्चित करने की दिशा में अग्रसर है। इस मिशन की सफलता देश में पशुधन विकास (livestock development) और ग्रामीण विकास (rural development) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इसका प्रभाव आने वाले वर्षों में भारत, अमेरिका और यूके जैसे देशों में भी डेयरी क्षेत्र के शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं के लिए अध्ययन का विषय बन सकता है।

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