Gorakhpur Link Expressway: उत्तर प्रदेश के पूर्वी अंचल, विशेषकर गोरखपुर क्षेत्र, जिसे दियारा की चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों के कारण विकास की मुख्यधारा से जोड़ने में कठिनाइयां आती थीं, आज एक नई गाथा लिख रहा है। जहाँ कभी दक्षिणांचल में एक सामान्य सड़क का निर्माण भी दुरूह कार्य माना जाता था, वहाँ गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे (Gorakhpur Link Expressway) का निर्माण न केवल इंजीनियरिंग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह योगी आदित्यनाथ सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति और उपलब्धि के संकल्प को भी दर्शाता है। यह एक्सप्रेसवे, जिसे पूर्वांचल के विकास का प्रवेश द्वार माना जा रहा है, अपने निर्माण काल से ही सकारात्मक बदलावों का सूत्रधार बन गया है। हजारों करोड़ रुपये का औद्योगिक निवेश (Industrial Investment) गोरखपुर की धरती पर इसी एक्सप्रेसवे के माध्यम से आकर्षित हुआ है, जिससे न केवल आधारभूत संरचना मजबूत हुई है, बल्कि रोजगार (Employment) के अनगिनत अवसरों के साथ पूर्वी क्षेत्र की समृद्धि के द्वार भी खुल गए हैं।
कनेक्टिविटी और औद्योगिक विकास का केंद्र बिंदु
गोरखपुर से प्रारंभ होकर आजमगढ़ जिले के सालारपुर में विशाल पूर्वांचल एक्सप्रेसवे (Purvanchal Expressway) से जुड़ने वाला 91.35 किलोमीटर लंबा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे महज एक सड़क परियोजना नहीं है, बल्कि यह पूर्वांचल के समग्र विकास का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनने जा रहा है। यह एक्सप्रेसवे आवागमन को सुगम और तेज बनाने के साथ-साथ औद्योगिक विकास को नई गति प्रदान करने में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है।
इस परियोजना का केंद्र बिंदु गोरखपुर का जैतपुर (Jaitpur) क्षेत्र बन रहा है, जो भविष्य में एक विशाल लॉजिस्टिक्स और कनेक्टिविटी हब के रूप में उभरने वाला है। यहीं पर गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे से दो और महत्वपूर्ण ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे (Greenfield Expressways) – गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे (Gorakhpur-Siliguri Expressway) और गोरखपुर-शामली एक्सप्रेसवे (Gorakhpur-Shamli Expressway) – आकर जुड़ेंगे। इस प्रकार, एक ही स्थान पर तीन एक्सप्रेसवे और एक मौजूदा फोर-लेन सड़क की अभूतपूर्व कनेक्टिविटी स्थापित होगी। यह नेटवर्क पूर्वांचल को न केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के औद्योगिक केंद्रों से सीधे जोड़ेगा, बल्कि बिहार और पश्चिम बंगाल के माध्यम से पूर्वी भारत के साथ एक निर्बाध आर्थिक गलियारा भी स्थापित करेगा, जो इस क्षेत्र में विकास का एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा।
औद्योगिक निवेश और रोजगार की बहार
राज्य की अर्थव्यवस्था में पूर्वी उत्तर प्रदेश की भागीदारी को बढ़ाने और स्थानीय युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए पूर्वांचल में उद्योगों की स्थापना योगी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक रही है। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GIDA) के विस्तार के रूप में विकसित किए जा रहे धुरियापार औद्योगिक क्षेत्र की परिकल्पना ने ही गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे की महत्ता और आवश्यकता को रेखांकित किया था। उद्योगों की स्थापना के लिए सुगम कनेक्टिविटी एक प्राथमिक शर्त होती है, और यह एक्सप्रेसवे इस औद्योगिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए ही मूर्त रूप ले रहा है। यह एक्सप्रेसवे आकार लेने से पहले ही क्षेत्र में हजारों करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करने में सफल रहा है।
इस एक्सप्रेसवे के किनारे स्थापित हो रहा पेप्सिको (Pepsico) का विशाल बॉटलिंग प्लांट हो, या फिर प्रक्रियाधीन कोका कोला (Coca Cola) और बिस्लेरी (Bisleri) की इकाइयाँ, ये सभी इस एक्सप्रेसवे की उपयोगिता का प्रमाण हैं। इनके अतिरिक्त, अडानी सीमेंट फैक्ट्री (Adani Cement Factory), श्रीराम सीमेंट (Shriram Cement), अपोलो टायर्स (Apollo Tyres), गैलेंट ग्रुप (Gallant Group), और कपिला एग्रो इंडस्ट्रीज (Kapila Agro Industries) जैसे बड़े औद्योगिक समूहों ने भी अपनी इकाइयां स्थापित करने में रुचि दिखाई है। प्लास्टिक पार्क (Plastic Park) में भी लगभग 60 उद्यमियों की निवेश करने की इच्छा के पीछे इस लिंक एक्सप्रेसवे का ही आकर्षण है। यह एक्सप्रेसवे उद्योगों के लिए कच्चे माल के सुगम आयात के साथ-साथ तैयार उत्पादों को देश के विभिन्न बाजारों तक तेजी से पहुंचाने (निर्यात) के लिए भी अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होगा, जिससे औद्योगिक विकास को अभूतपूर्व गति मिलेगी और परिवहन व्यवस्था सुगम बनेगी।
यात्रा सुगम, समय की बचत
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे से न केवल गोरखपुर बल्कि आसपास के लगभग 10 जिलों, और पड़ोसी देश नेपाल तथा पश्चिमी बिहार से पूर्वांचल आने-जाने वाले लोगों को लखनऊ, प्रयागराज, दिल्ली और आगरा जैसे महत्वपूर्ण शहरों के लिए एक उत्कृष्ट वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध होगा। इस एक्सप्रेसवे के पूर्ण रूप से संचालित होने पर गोरखपुर से लखनऊ पहुंचने में मात्र साढ़े तीन घंटे का समय लगेगा। इसी प्रकार, प्रयागराज की दूरी भी लगभग 90 किलोमीटर कम हो जाएगी, जिससे यात्रा का समय और ईंधन दोनों की बचत होगी। दिल्ली और आगरा तक की यात्रा भी पहले की तुलना में अधिक सुखद और तीव्र हो जाएगी। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, गोरखपुर का जैतपुर आने वाले समय में एक्सप्रेसवे कनेक्टिविटी का एक नया और विशाल केंद्र बनने जा रहा है, जहाँ तीन प्रमुख एक्सप्रेसवे आपस में मिलेंगे।
भविष्य की परियोजनाएं: ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का संगम
गोरखpur लिंक एक्सप्रेसवे से गोरखपुर-सिलीगुड़ी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे और गोरखपुर-शामली ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को जोड़ने की योजना है, जिससे यह क्षेत्र देश के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों से सीधे तौर पर जुड़ जाएगा। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे लखनऊ-बिहार बाईपास पर जैतपुर से प्रारंभ होगा। शहर के केंद्र से लगभग 12 किलोमीटर दक्षिण में स्थित जैतपुर अब विकास के मानचित्र पर तेजी से उभरने के लिए तैयार है। इन दोनों अतिरिक्त ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे परियोजनाओं के अगले पांच वर्षों में पूरा होने का अनुमान है, जिससे क्षेत्र की कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।
- पूर्वांचल से पश्चिमी यूपी की दूरी होगी आधी:
गोरखपुर से शामली तक बनने वाला 700 किलोमीटर लंबा छह लेन का ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे जैतपुर में गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा। यह एक्सप्रेसवे पूर्वी उत्तर प्रदेश को पश्चिमी उत्तर प्रदेश से सीधे तौर पर जोड़ेगा, जिससे 15 घंटे में तय होने वाली दूरी मात्र आठ घंटे में पूरी की जा सकेगी। यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के कई महत्वपूर्ण जिलों जैसे संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, बहराइच, लखनऊ, सीतापुर, शाहजहांपुर, हरदोई, बदायूं, बरेली, रामपुर, मुरादाबाद, सम्भल, बिजनौर, अमरोहा, मेरठ, सहारनपुर और मुजफ्फरनगर को शामली से जोड़ते हुए हरियाणा, पंजाब और दिल्ली तक एक तीव्र गति कॉरिडोर प्रदान करेगा। इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) दो भागों में तैयार की जा रही है। - गोरखपुर-सिलीगुड़ी: पूर्वी भारत से संपर्क का नया मार्ग:
गोरखपुर को बिहार के रास्ते सिलीगुड़ी से जोड़ने वाला छह लेन का यह एक्सप्रेसवे पहले जगदीशपुर से शुरू होना प्रस्तावित था, लेकिन इसकी उपयोगिता को देखते हुए इसका विस्तार जैतपुर तक कर दिया गया है। 525 किलोमीटर लंबे गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे पर बिहार के किशनगंज से सिलीगुड़ी तक (पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल के रास्ते) 120 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति सीमा निर्धारित की जाएगी। भारत-नेपाल सीमा के समानांतर बनने वाला यह मार्ग बिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्यों के साथ-साथ अयोध्या से सीतामढ़ी तक धार्मिक पर्यटन और संसाधनों की आवाजाही को भी सुगम बनाएगा। इससे पश्चिम बंगाल से पूर्वांचल में आने वाले कच्चे माल के आयात को गति मिलेगी, और साथ ही बिहार, नेपाल, बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों को उत्पादों के निर्यात को भी भारी बढ़ावा मिलेगा। इस एक्सप्रेसवे के अगले वर्ष तक पूरा होने की उम्मीद है।
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे: एक दृष्टि में
- प्रारंभ बिंदु: जैतपुर (गोरखपुर)
- अंतिम बिंदु: सालारपुर (आजमगढ़, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर)
- कुल लंबाई: 91.35 किलोमीटर
- अनुमानित लागत: ₹7283.28 करोड़
- लाभान्वित जिले (मुख्य): 04 (गोरखपुर, अंबेडकर नगर, संतकबीर नगर, आजमगढ़)
गोरखपुर के जिला मजिस्ट्रेट श्री कृष्ण करुणेश के अनुसार, “गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे न केवल आवागमन के लिए एक बेहतर और त्वरित विकल्प प्रदान करेगा, बल्कि यह क्षेत्र में उद्योगों के विकास में भी एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक की भूमिका निभाएगा। जैतपुर में दो अन्य महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे से इसका जुड़ाव इसकी रणनीतिक उपयोगिता को और अधिक बढ़ा देगा। यह एक्सप्रेसवे पूर्वी उत्तर प्रदेश को पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जोड़ने में एक महत्वपूर्ण सेतु के रूप में कार्य करेगा, जिसका सीधा और व्यापक लाभ पूर्वांचल की जनता और अर्थव्यवस्था को मिलेगा।”
यह परियोजना वास्तव में पूर्वांचल के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो रही है, जो इस क्षेत्र को विकास और समृद्धि की नई ऊंचाइयों पर ले जाने का मार्ग प्रशस्त कर रही है।