Mahashivratri 2025: भगवान काल भैरव को भगवान शिव के रौद्र रूप के रूप में पूजा जाता है। इन्हें रुद्र का पूर्ण अवतार भी माना जाता है। विशेष रूप से काशी (वाराणसी) में काल भैरव को “काशी का कोतवाल” कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव ने काल भैरव का अवतार क्यों लिया और कैसे वे काशी के रक्षक बने? आइए जानते हैं इस रहस्यमयी कथा के बारे में।
काल भैरव अवतार की उत्पत्ति
शिव के रौद्र रूप से प्रकट हुए काल भैरव
स्कंद पुराण के अनुसार, एक बार त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और शिव में इस बात को लेकर विवाद हुआ कि तीनों में से कौन सर्वश्रेष्ठ है? तीनों ही स्वयं को श्रेष्ठ मानते थे और इस बहस का कोई अंत नहीं था।
फैसला लेने के लिए ऋषि-मुनियों को बुलाया गया। उन्होंने विचार करने के बाद भगवान शिव को त्रिदेवों में सर्वोच्च बताया।
ब्रह्मा जी को यह बात स्वीकार नहीं हुई। उन्हें लगा कि शिव को सर्वश्रेष्ठ बताना उचित नहीं है। वे क्रोधित हो गए और उन्होंने भगवान शिव का अपमान कर दिया।
ब्रह्मा जी के अपशब्द सुनकर भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हुए। उनके इस रौद्र रूप से ही काल भैरव प्रकट हुए।
काल भैरव और ब्रह्मा जी का पंचम सिर
क्रोध से जलते हुए काल भैरव ने प्रकट होते ही ब्रह्मा जी का पांचवां सिर काट दिया।
लेकिन ब्रह्मा जी का पंचम सिर काटने के बाद काल भैरव ब्रह्म-हत्या के दोष से ग्रसित हो गए।
भगवान शिव ने उन्हें इस पाप से मुक्त होने के लिए तीर्थ यात्रा करने का आदेश दिया।
ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति कैसे मिली?
काल भैरव कई तीर्थ स्थलों की यात्रा करते रहे लेकिन पाप से मुक्त नहीं हो सके।
अंततः वे भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे।
काशी में आकर उन्होंने शिव की आराधना की। यहीं पर उन्हें जीवन के सत्य का बोध हुआ और ब्राह्मण हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई।
कैसे बने काशी के कोतवाल?
जब भगवान शिव ने देखा कि काल भैरव काशी में आकर बस गए हैं, तो वे प्रकट हुए और कहा –
“अब से तुम काशी के रक्षक हो। तुम्हारी आज्ञा के बिना कोई भी यहां नहीं रह सकता।”
इसके बाद से ही काल भैरव को “काशी का कोतवाल” कहा जाने लगा।
काशी आने वालों के लिए विशेष नियम
ऐसा कहा जाता है कि काशी आने वाला कोई भी व्यक्ति यदि काल भैरव के दर्शन किए बिना वापस लौट जाता है, तो उसकी यात्रा अधूरी मानी जाती है।
काल भैरव के आठ रूप
मान्यता है कि काल भैरव काशी में आठ रूपों में विराजमान हैं। वे काशी के अलग-अलग हिस्सों की सुरक्षा करते हैं।
काल भैरव के प्रमुख मंदिर
- काशी (वाराणसी) का काल भैरव मंदिर
- उज्जैन का काल भैरव मंदिर
- दिल्ली, राजस्थान और अन्य राज्यों में भी प्रसिद्ध मंदिर
काल भैरव पूजा का महत्व
काल भैरव की पूजा से नकारात्मक शक्तियों से बचाव होता है और जीवन में शक्ति, साहस और समृद्धि आती है।
पूजा करने के लाभ
- जीवन में संकट टलते हैं
- अचानक आने वाली परेशानियों से रक्षा होती है
- शत्रु और नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाव होता है
भगवान शिव के रौद्र रूप से जन्मे काल भैरव न केवल असुरों के विनाशक हैं, बल्कि काशी के रक्षक भी हैं। उनकी आराधना से नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
➡️ अगर आप काशी जाते हैं, तो काल भैरव के दर्शन जरूर करें, क्योंकि बिना उनके आशीर्वाद के आपकी यात्रा अधूरी मानी जाती है। 🚩