Women Empowerment: मुजफ्फरपुर जिले के मारवान प्रखंड के रसूलपुर गांव की रहने वाली खुशबू देवी (Khushboo Devi) की कहानी वास्तव में प्रेरणादायक है और देश भर में महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है। खुशबू देवी न केवल मच्छरदानी (Mosquito Nets) बनाने का व्यवसाय चलाती हैं, बल्कि अपने इस उद्यम के माध्यम से जीविका समूह (Jivika Group) से जुड़ी 62 अन्य महिलाओं को भी रोजगार (Employment) प्रदान कर रही हैं। हाल ही में, उनकी यह सफलता की कहानी (Success Story) तब और भी चर्चा में आई जब उन्होंने नीति आयोग (NITI Aayog) के राष्ट्रीय सेमिनार में भाग लिया और अपनी संघर्ष गाथा देश भर के अधिकारियों और प्रतिनिधियों के सामने प्रस्तुत की। इस सेमिनार में उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने मात्र कुछ हजार रुपयों से शुरुआत करके करोड़पति बनने का सफर तय किया।
राष्ट्रीय मंच पर गूंजी खुशबू देवी की आवाज़: पीएम मोदी ने भी की सराहना!
जीविका समूह से जुड़ी खुशबू दीदी का मच्छरदानी उद्योग आज पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। उनके द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर अपने व्यवसाय और संघर्ष की कहानी सुनाए जाने के दौरान, स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने उनकी कड़ी मेहनत और उद्यमशीलता की सराहना की। खुशबू देवी ने बताया कि अपनी लगन और हुनर से उन्होंने न केवल स्वयं को एक करोड़पति उद्यमी (Crorepati Entrepreneur) के रूप में स्थापित किया है, बल्कि दर्जनों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर उनके जीवन में भी सकारात्मक बदलाव लाया है।
उन्होंने अपना यह व्यवसाय वर्ष 2009 में बहुत ही छोटी शुरुआत के साथ शुरू किया था। वर्ष 2013 में, वे जीविका गंगा समूह से जुड़ीं और इसके बाद, अपने इनक्यूबेशन फंड (Incubation Fund) की सहायता से उन्होंने अपने व्यवसाय को एक नया और व्यवस्थित स्वरूप दिया। आज उनका व्यवसाय न केवल आर्थिक रूप से सफल है, बल्कि सामाजिक प्रभाव का भी एक बेहतरीन उदाहरण है। बिहार की महिला उद्यमिता का यह मॉडल देश के लिए अनुकरणीय है।
‘प्रतिज्ञा मच्छर पोत महिला उत्पादन केंद्र’: 60 महिलाओं को रोजगार का अवसर
खुशबू देवी ने अपने इस उद्यम को ‘प्रतिज्ञा मच्छर पोत महिला उत्पादन केंद्र’ का नाम दिया है। यह केंद्र वर्तमान में 60 महिलाओं को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार दे रहा है, और उनकी मच्छरदानी का दैनिक उत्पादन सैकड़ों की संख्या में होता है। इस उद्योग के माध्यम से न केवल खुशबू देवी ने अपनी व्यक्तिगत पहचान बनाई है, बल्कि पूरे गांव को भी राष्ट्रीय मानचित्र पर ला दिया है। खुशबू बताती हैं कि व्यवसाय की शुरुआत उन्होंने मात्र 3 हजार रुपये से की थी, और आज उनका कारोबार 10 लाख रुपये से अधिक का हो चुका है। यह उद्योग अप्रत्यक्ष रूप से 60 से अधिक स्थानीय महिलाओं को आय का एक विश्वसनीय स्रोत प्रदान करता है।
जीविका से जुड़ी और बदली किस्मत: महिलाएं बन रही हैं आत्मनिर्भर
खुशबू देवी के अनुसार, जीविका समूह से जुड़ने के बाद उनकी किस्मत पूरी तरह से बदल गई। उन्हें एक नया जीवन मिला है, जहां वे आत्मनिर्भर हैं और किसी पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं हैं। वे स्वयं पैसा कमा रही हैं और साथ ही, दूसरों को भी रोजगार देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद कर रही हैं। यहां उत्पादित मच्छरदानियों की आपूर्ति न केवल मुजफ्फरपुर बल्कि आस-पास के सभी जिलों में की जाती है। जब सर्दियों का मौसम खत्म होता है और मच्छरों का प्रकोप कम होने लगता है, तब वे अपनी उत्पादन क्षमता को समायोजित करती हैं और स्कूल यूनिफॉर्म जैसे अन्य घरेलू उत्पाद बनाने का काम शुरू कर देती हैं, जो उन्हें जीविका समूह के माध्यम से मिलता है। इस तरह से, ये सभी महिलाएं मिलकर अपने परिवारों का भरण-पोषण कर रही हैं। खुशबू का यह कथन कि “जीविका से जुड़ने के बाद मेरी किस्मत बदल गई और आज एक नया जीवन मिला है” लाखों ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। ग्रामीण महिला सशक्तिकरण और स्थानीय उद्यमिता विकास के लिए ऐसे मॉडल अत्यंत महत्वपूर्ण