---Advertisement---

Vice Presidential Election: 3 दलों ने किया बहिष्कार, जानें क्यों और क्या बदलेगा नतीजों का गणित

Published On: September 9, 2025
Follow Us
Vice Presidential Election: 3 दलों ने किया बहिष्कार, जानें क्यों और क्या बदलेगा नतीजों का गणित
---Advertisement---

Vice Presidential Election 2025: भारतीय लोकतंत्र के लिए आज एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि देश के अगले उपराष्ट्रपति (Vice President of India) के चुनाव के लिए संसद में मतदान प्रक्रिया जारी है। इस उच्च पद के लिए मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन (C.P. Radhakrishnan) और विपक्षी इंडिया ब्लॉक (INDIA Bloc) के उम्मीदवार, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी (B. Sudarshan Reddy) के बीच है।

एक तरफ जहां सांसद अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर तीन प्रमुख क्षेत्रीय दलों ने इस चुनाव का बहिष्कार करने की घोषणा कर दी है। इस फैसले ने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है कि क्या उनका यह कदम उपराष्ट्रपति चुनाव के नंबर गेम को प्रभावित करेगा? आइए जानते हैं, वे कौन से दल हैं और उन्होंने इस महत्वपूर्ण चुनाव से दूरी क्यों बनाई है।

तीन दलों का बहिष्कार: कौन और क्यों?

उपराष्ट्रपति चुनाव से दूरी बनाने वाले तीन दल हैं- बीजू जनता दल (BJD), शिरोमणि अकाली दल (SAD), और भारत राष्ट्र समिति (BRS)। तीनों दलों ने अपने-अपने कारणों से इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग नहीं लेने का फैसला किया है।

1. बीजू जनता दल (BJD): समान दूरी की राजनीति

ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजू जनता दल ने स्पष्ट किया है कि उसके सांसद उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं करेंगे। पार्टी के अनुसार, यह फैसला उनकी उस घोषित नीति के अनुरूप है, जिसके तहत वे राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के नेतृत्व वाले NDA और कांग्रेस के नेतृत्व वाले INDIA ब्लॉक, दोनों से समान दूरी (equidistant policy) बनाए रखते हैं। बीजद खुद को एक तटस्थ दल के रूप में स्थापित करना चाहती है।

  • संसद में ताकत: राज्यसभा में बीजेडी के 7 सांसद (निरंजन बिशी, सुलता देव, मुजीबुल्ला खान, सुभाशीष खुंटिया, मानस रंजन मंगराज, सस्मित पात्रा और देबाशीष सामंतराय) हैं। लोकसभा में उनका कोई सांसद नहीं है।

2. शिरोमणि अकाली दल (SAD): बाढ़ पीड़ितों की अनदेखी का आरोप

पंजाब की प्रमुख पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने भी चुनाव का बहिष्कार किया है। पार्टी का आरोप है कि राज्य में आई विनाशकारी बाढ़ से निपटने के लिए न तो केंद्र की भाजपा सरकार और न ही पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने कोई ठोस मदद की।

पार्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर अपना दर्द बयां करते हुए लिखा, “जब भी और जहां भी कोई संकट आया है, पंजाब और पंजाबी हमेशा देश के साथ खड़े रहे हैं। लेकिन आज, पंजाबी खुद अभूतपूर्व बाढ़ के कारण एक गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं… न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र पंजाबियों की मदद के लिए आगे आया है।” इस अनदेखी के विरोध में अकाली दल ने मतदान से दूर रहने का फैसला किया है।

  • संसद में ताकत: पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल लोकसभा में अकाली दल की एकमात्र सांसद हैं।

3. भारत राष्ट्र समिति (BRS): किसानों और यूरिया का मुद्दा

तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने भी राज्य में यूरिया की कमी (Urea Shortage) से जूझ रहे किसानों की पीड़ा का हवाला देते हुए चुनाव का बहिष्कार किया है।

पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामा राव ने कहा, “पिछले 20 दिनों से, BRS राज्य और केंद्र दोनों सरकारों को यूरिया की कमी के बारे में चेतावनी दे रही है, फिर भी उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। विरोध स्वरूप और 71 लाख तेलंगाना किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए, BRS ने उपराष्ट्रपति चुनाव में भाग नहीं लेने का फैसला किया है।” उन्होंने यह भी कहा कि यदि नोटा (NOTA) का विकल्प होता, तो वे उसे चुनते।

  • संसद में ताकत: राज्यसभा में BRS के चार सांसद (दामोदर राव दिवाकोंडा रेड्डी, बी. पार्थसारधि रेड्डी, के.आर. सुरेश रेड्डी और रवि चंद्र वड्डीराजू) हैं। लोकसभा में उनका कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।

क्या बिगड़ेगा नंबर गेम? समझें बहुमत का आंकड़ा

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल (Electoral College) में संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य शामिल होते हैं।

  • कुल सदस्य: राज्यसभा (245) + लोकसभा (543) = 788 सदस्य।
  • वर्तमान स्थिति: राज्यसभा में 6 और लोकसभा में 1 सीट खाली होने के कारण, निर्वाचक मंडल में वर्तमान में 781 सदस्य हैं।
  • बहुमत का आंकड़ा: इस हिसाब से, जीतने वाले उम्मीदवार को 391 वोटों की जरूरत होगी।

BJD (7 सांसद), SAD (1 सांसद) और BRS (4 सांसद) को मिलाकर कुल 12 सांसद मतदान नहीं कर रहे हैं। हालांकि यह संख्या बहुत बड़ी नहीं है, लेकिन यह इन दलों की राष्ट्रीय राजनीति में अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने और केंद्र पर दबाव डालने की रणनीति को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। सत्तारूढ़ NDA गठबंधन के पास अपने उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन को जिताने के लिए पर्याप्त संख्या बल मौजूद है, इसलिए इन दलों के बहिष्कार से चुनाव के अंतिम परिणाम पर कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं है।

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now