UP police: उत्तर प्रदेश के मेरठ का गंगानगर इलाका… यहां का एक घर आज खौफ और धोखे का दूसरा नाम बन चुका है। यह घर पिछले आठ सालों में हुई तीन रहस्यमयी मौतों का गवाह है। एक के बाद एक हुई इन मौतों को पहले तो लोग दुर्भाग्य और नियति का खेल समझते रहे, लेकिन अब जब इन मौतों का सच सामने आया है, तो यह महज एक संयोग नहीं, बल्कि करोड़ों रुपए की बीमा ठगी (Insurance Fraud) का एक बेहद खतरनाक और खूनी खेल निकला है। इस सनसनीखेज मामले के खुलासे ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है।
मौतों का वो रहस्यमयी सिलसिला
इस घर में मौत ने पहली बार साल 2017 में दस्तक दी। घर की मालकिन प्रभा देवी अपने बेटे विशाल सिंघल के साथ टू-व्हीलर पर कहीं जा रही थीं। रास्ते में एक अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी और यह हादसा उनकी मौत का कारण बना। इस पहली मौत को लोगों ने एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना मानकर भुला दिया।
परिवार इस सदमे से उबरा भी नहीं था कि 5 साल बाद, साल 2022 में, घर पर फिर से आफत आ टूटी। इस बार विशाल की पत्नी एकता की अचानक मौत हो गई। बताया गया कि उसे हार्ट अटैक आया था। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया और वहां से छुट्टी मिलने के बावजूद वह एक रात भी जीवित नहीं रह सकी। एक सामान्य सी दिखने वाली बीमारी का मौत में बदल जाना परिवार पर मातम का पहाड़ बनकर टूटा।
अब घर में सिर्फ बाप और बेटा बचे थे। लेकिन मौत का सिलसिला अभी थमा नहीं था। साल 2024 के मार्च महीने में एक और अनहोनी हुई। विशाल के पिता, जो पेशे से एक फोटोग्राफर थे, मुकेश सिंघल की भी एक सड़क हादसे (Road Accident) में मौत हो गई। बताया गया कि गढ़ गंगा से लौटते समय उनका एक्सीडेंट हुआ और परिवार तीसरी बार मातम में डूब गया।
39 करोड़ के बीमा क्लेम ने खोला राज़
इन तीनों मौतों को अब तक सब किस्मत का क्रूर खेल मान रहे थे। लेकिन असली कहानी का पर्दा तब उठा जब विशाल ने अपने पिता की मौत के बाद बीमा क्लेम के लिए आवेदन किया। यह क्लेम कोई छोटी-मोटी रकम का नहीं, बल्कि पूरे 39 करोड़ रुपए का था। यह अविश्वसनीय रकम किसी एक पॉलिसी से नहीं, बल्कि 60 अलग-अलग बीमा पॉलिसियों के जरिए क्लेम की गई थी।
बीमा कंपनियों के अधिकारी यह देखकर चौंक गए। उन्होंने जब जांच की तो पाया कि विशाल और उसके पिता हर साल लगभग 30 लाख रुपए का प्रीमियम चुका रहे थे, जबकि सिंघल परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी। पिता एक साधारण फोटोग्राफर थे और बेटा विशाल भी कोई बड़ा काम नहीं करता था। सबसे बड़ा सवाल यही था कि आखिर इतनी भारी-भरकम बीमा पॉलिसियां क्यों ली गईं?
चौथी पत्नी की शिकायत ने हिला दी पुलिस
बीमा कंपनियां अपनी जांच में जुटी ही थीं कि तभी मेरठ पुलिस (Meerut Police) के पास एक और सनसनीखेज शिकायत पहुंची। शिकायत करने वाली महिला खुद को विशाल की चौथी पत्नी बता रही थी। उसने दावा किया कि विशाल ने उसके नाम पर भी 3 करोड़ रुपए का बीमा करवा रखा है और उसे डर है कि अब अगला नंबर उसका है, क्योंकि विशाल ने जिसके नाम पर भी पॉलिसी ली है, वो सब रहस्यमय तरीके से मौत के शिकार हो चुके हैं।
एक-एक कर खुलती गईं साजिश की परतें
पुलिस ने जांच शुरू की तो एक के बाद एक दिल दहला देने वाले राज सामने आने लगे। पता चला कि 2017 में मां की मौत के बाद विशाल को 25 लाख रुपए का बीमा क्लेम मिला था। पहली पत्नी की मौत पर उसे 80 लाख रुपए मिले थे, और अब पिता की मौत पर वह 39 करोड़ का क्लेम करने की फिराक में था।
इस केस ने सम्भल की एएसपी अनुकृति शर्मा (ASP Anukriti Sharma) का भी ध्यान खींचा, जो पहले भी ऐसे जटिल केस सुलझा चुकी थीं। एएसपी अनुकृति शर्मा की टीम ने जब जांच की तो बड़ा खुलासा हुआ। पता चला कि मुकेश सिंघल की मौत असल में सड़क हादसे से नहीं, बल्कि अस्पताल में उनकी हत्या की गई थी। विशाल ने अपने पिता को पहले हापुड़ के एक अस्पताल में भर्ती कराया और फिर साजिश के तहत मेरठ के आनंद अस्पताल ले गया, जहां मिलीभगत से उनकी हत्या कर दी गई और मौत को हादसे का रूप दे दिया गया।
लोन फ्रॉड और मर्डर की मोडस ऑपरेंडी
इतना ही नहीं, पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि विशाल ने अपने पिता की मौत से ठीक दो महीने पहले लोन पर चार महंगी गाड़ियां खरीदी थीं। जब पिता की मौत हुई, तो बीमा नियमों के तहत लोन देने वाली कंपनी ने पूरा कर्ज माफ कर दिया और विशाल मुफ्त में चार गाड़ियों का मालिक बन गया।
पुलिस ने खुलासा किया कि विशाल ने ही अपनी मां की हत्या की थी और पिता को भी पहले एक फर्जी एक्सीडेंट में घायल करवाया और फिर अस्पताल में गला घोंटकर मार दिया। दोनों ही मामलों में एक्सीडेंट को ‘अज्ञात वाहन’ से जोड़कर असली गाड़ी को गायब कर दिया गया।
इस खूनी खेल में विशाल अकेला नहीं था। उसका एक दोस्त हर बीमा पॉलिसी में गवाह बनता था और इस ठगी की साजिश में बराबर का भागीदार था। पुलिस ने विशाल और उसके दोस्त को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन अब जांच की सुई अस्पताल के स्टाफ, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों और फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की तरफ घूम गई है। शक है कि इन मौतों को हादसा साबित करने के लिए एक पूरा सिंडिकेट (Syndicate) काम कर रहा था। यह कहानी सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि बीमा की आड़ में चल रहे एक बड़े और खौफनाक रैकेट का पर्दाफाश है।