TTD (तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम) आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Temple) के प्रबंधन निकाय,ने एक बड़ा और विवादास्पद निर्णय लिया है। TTD के 4 गैर-हिंदू कर्मचारियों (Non-Hindu Employees) को निलंबित (Suspended) कर दिया गया है, क्योंकि वे हिंदू धर्म के अलावा अन्य धर्मों का पालन करते हुए पाए गए थे। TTD बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय 2007 से लागू एक नियम (Rule Enforced Since 2007) का हिस्सा है, जो कर्मचारियों के लिए हिंदू धर्म का पालन अनिवार्य (Mandatory Hindu Faith Adherence for Employees) करता है।
TTD का नियम और उसके निहितार्थ:
TTD बोर्ड के अनुसार, हिंदू धर्म के अलावा अन्य धर्मों का पालन करना, उसके आचरण संहिता (Code of Conduct) का सीधा उल्लंघन है। इस निर्णय के तहत, निलंबित कर्मचारियों को स्थानांतरित (Transferred) किया जा सकता है या उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (Voluntary Retirement – VRS) का विकल्प दिया जा सकता है।
TTD के सदस्यों ने इस निर्णय का स्वागत (Welcome the Decision) किया है, जो उनके अनुसार धार्मिक व्यवस्था बनाए रखने (Maintaining Religious Order) और मंदिर की पवित्रता (Sanctity of the Temple) को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है। उनका मानना है कि मंदिर जैसे पवित्र स्थानों पर, जहाँ भक्ति और आध्यात्मिकता (Devotion and Spirituality) का माहौल होता है, केवल धार्मिक विश्वासों (Religious Beliefs) के अनुरूप कार्य करने वाले व्यक्तियों को ही नियुक्त किया जाना चाहिए।
हालांकि, इस फैसले की अलग-अलग क्षेत्रों में आलोचना (Criticism in Different Circles) भी हो रही है। कुछ लोगों का तर्क है कि इस तरह का कदम धार्मिक स्वतंत्रता (Freedom of Religion) और समानता (Equality) के मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) का उल्लंघन हो सकता है। खासकर, भारत, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में जहाँ धर्मनिरपेक्षता (Secularism) और विविधता (Diversity) को महत्व दिया जाता है, इस तरह के निर्णय विवादास्पद हो सकते हैं।
आगे की राह और कानूनी प्रक्रिया:
यह देखना बाकी है कि इन कर्मचारियों के लिए क्या भविष्य की राह होगी। क्या उन्हें स्थानांतरण मिलेगा, या वे VRS का विकल्प चुनेंगे, यह देखना अहम होगा। TTD बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई नियमों के अनुसार की गई है, लेकिन धार्मिक पहचान और नौकरी की शर्तों के बीच का यह संतुलन आगे चलकर चर्चा का विषय बन सकता है।
यह घटना धार्मिक संस्थानों में रोजगार (Employment in Religious Institutions), धार्मिक स्वतंत्रता, और राज्य की भूमिका (Role of the State) के बीच की जटिलताओं को एक बार फिर से उजागर करती है।