मलयालम एक्टर और मिमिक्री कलाकार कलाभवन नवास का निधन: शूटिंग के दौरान सीने में उठा दर्द, पर शूटिंग न रुकने के लिए नहीं गए अस्पताल! विनोद कोवूर ने बयां किया दर्दनाक सच
नई दिल्ली/कोच्चि: मलयालम मनोरंजन जगत से एक दुखद खबर सामने आई है। प्रसिद्ध अभिनेता और मिमिक्री कलाकार कलाभवन नवास (Kalabhavan Navas) का निधन हो गया है। उनके निधन से कला और मनोरंजन की दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई है। अभिनेता विनोद कोवूर (Vinod Kovoor) ने नवास को एक भावुक श्रद्धांजलि देते हुए इस घटना की कुछ मार्मिक जानकारियां साझा की हैं, जिन्होंने सभी को झकझोर कर रख दिया है।
शूटिंग सेट पर सीने में उठा दर्द, फिर भी काम जारी रखा:
विनोद कोवूर ने सोशल मीडिया पर साझा की गई एक पोस्ट में बताया कि शूटिंग के दौरान कलाभवन नवास को सीने में दर्द महसूस हुआ था। उन्होंने डॉक्टर से बात भी की थी, लेकिन वे शूटिंग में बाधा नहीं डालना चाहते थे। इसलिए, उन्होंने अस्पताल जाने के बजाय काम जारी रखने का फैसला किया। विनोद ने कहा कि संभवतः नवास ने सोचा होगा कि वे शूट खत्म होने के बाद अस्पताल जाएंगे, लेकिन इससे पहले ही “रंगबोध नहीं रखने वाले एक जोकर (रंग बोधമില്ലാത്ത കോമാളി)” यानी भाग्य या मृत्यु ने उनका जीवन छीन लिया।
‘जिंदगी एक बुलबुले की तरह है’: नवास की याद में विनोद का मार्मिक संदेश
विनोद कोवूर ने यह भी बताया कि जब उन्हें नवास के निधन की खबर मिली, तो वे विश्वास ही नहीं कर पा रहे थे और इसे एक ‘फेक न्यूज’ (fake news) मानने की उम्मीद कर रहे थे। कल रात जब उन्होंने कलमश्शেরি मोर्चरी (Calicut mortuary) के सामने उनका निष्प्राण शरीर देखा, तो पहले तो उन्हें लगा कि वे एक्टिंग कर रहे हैं। लेकिन जब उन्होंने उनके गाल थपथपाए और पुकारा, तो उन्होंने देखा कि नवास की आंखें थोड़ी खुली हुई थीं।
विनोद ने लिखा, “प्रियजनों को सब से पहले न देख पाना, क्या यह मन को विचलित नहीं करता? उनकी आंखें तो थोड़ी खुली थीं, पर शायद वे उन्हें देखना चाहते थे जिन्हें वो पीछे छोड़ आए।” होटल के कमरे में लौटते हुए, विनोद के मन में केवल नवास की यादें ही घूम रही थीं। नवास ने चोक्कानिक्करा (Chottanikkara) के फिल्म सेट पर शाम 5 बजे तक शूटिंग पूरी की और फिर अपने होटल के कमरे में पहुंचे, जहां उन्होंने अपने जीवन की आखिरी भूमिका भी पूरी कर ली और “कालचक्र के अवसान” में विलीन हो गए।
जीवन की अनिश्चितता पर चिंतन:
इस घटना पर विनोद कोवूर ने जीवन की क्षणभंगुरता पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “यह मनुष्य का सार है। हमारा जीवन एक ऐसे जल के बुलबुले की तरह है जो कभी भी फट सकता है।” उन्होंने पश्चाताप व्यक्त करते हुए कहा कि काश, जब उन्हें दर्द महसूस हुआ था, तभी वे डॉक्टर के पास चले गए होते। लेकिन, वे जानते हैं कि किस्मत के आगे किसी का नहीं चलता। यह उनका समय था, और वे चले गए।
‘अम्मा’ की पारिवारिक सभा की यादें:
विनोद ने याद किया कि हाल ही में ‘अम्मा’ (AMMA – Association of Malayalam Movie Artists) की पारिवारिक सभा में नवास ने गाने गाकर और कॉमेडी करके सबका दिल जीत लिया था। उन्होंने यह भी याद किया कि नवास ने गले लगाने की इजाजत मांगी थी, जो उनके भाई जैसे स्नेह को दर्शाता था। विनोद ने कहा कि उनके लिए यह विश्वास करना मुश्किल है कि नवास अब केवल यादों में ही रह गए हैं।
भावनात्मक अपील और प्रार्थना:
उन्होंने नवास के परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और बताया कि कल रात उनका शरीर मोर्चरी में रखना पड़ा, और आज पोस्टmortem का दृश्य सहना मुश्किल हो रहा है। विनोद को दोपहर बाद अलुवा (Aluva) स्थित उनके घर जाकर एक बार और उन्हें देखने की उम्मीद है। 51 वर्ष की आयु में नवास का जाना जीवन की अनिश्चितता की याद दिलाता है। विनोद ने कहा, “जीवन की कोई गारंटी नहीं है। जैसे ही ‘किरदार’ खत्म होता है, क्या हमें मंच से जाना नहीं पड़ता, कोई भी हो?”
विनोद कोवूर ने कलाभवन नवास को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, उनके स्वर्गवासी होने की प्रार्थना की और परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की।







