देश की सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) द्वारा 12,000 से अधिक कर्मचारियों को निकालने की घोषणा के बाद आईटी उद्योग में हड़कंप मच गया है। इस मामले पर अब सरकार भी सक्रिय हो गई है। पीटीआई सूत्रों के अनुसार, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Information Technology) इस पूरे घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहा है और कंपनी के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए है।
समाचार एजेंसी के हवाले से अधिकारियों ने दावा किया है कि आईटी मंत्रालय इस बड़ी छंटनी के पीछे के मूल कारणों को समझने की कोशिश कर रहा है। यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि TCS इस साल अपने वैश्विक कर्मचारियों में से दो प्रतिशत, यानी 12,261 कर्मचारियों को कम करने की योजना बना रही है, जिसका सबसे ज्यादा असर मध्य और वरिष्ठ प्रबंधन (Middle and Senior Management) पदों पर पड़ेगा।
TCS ने क्यों लिया छंटनी का फैसला?
कंपनी ने रविवार को घोषणा की कि यह पुनर्गठन उनकी “भविष्य के लिए तैयार संगठन (future-ready organisation)” बनने की रणनीति का हिस्सा है। कंपनी का जोर नई टेक्नोलॉजी में निवेश, एआई (AI) को लागू करने, बाजार में विकास और कार्यबल के पुनर्गठन पर है।
TCS ने अपने बयान में कहा, “इस यात्रा के हिस्से के रूप में, हम उन सहयोगियों को भी संगठन से मुक्त करेंगे जिनकी तैनाती संभव नहीं हो सकती है। यह इस वर्ष के दौरान हमारे वैश्विक कार्यबल के लगभग 2 प्रतिशत को प्रभावित करेगा, मुख्य रूप से मध्य और वरिष्ठ ग्रेड में।“
कंपनी ने कहा कि वह प्रभावित कर्मचारियों को उचित लाभ, आउटप्लेसमेंट सेवाएं, परामर्श और सहायता प्रदान करेगी। 30 जून, 2025 तक, TCS के पास 6,13,069 कर्मचारी थे।
IT यूनियन ने छंटनी को ‘अवैध’ बताया, श्रम मंत्रालय से की शिकायत
इस बीच, आईटी कर्मचारियों के यूनियन नेसेंट इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एम्प्लॉइज सीनेट (NITES) ने इस कदम को “अनैतिक, अमानवीय और पूरी तरह से अवैध” बताया है। NITES ने केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया से संपर्क किया है और सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। यूनियन चाहती है कि सरकार TCS को नोटिस जारी कर इस छंटनी पर स्पष्टीकरण मांगे।
NITES ने आरोप लगाया, “कानून स्पष्ट रूप से कहता है कि एक वर्ष से अधिक समय तक सेवा दे चुके किसी भी कर्मचारी की छंटनी तब तक नहीं की जा सकती जब तक कि कंपनी एक महीने का नोटिस या उसके बदले वेतन न दे, वैधानिक छंटनी मुआवजा (retrenchment compensation) का भुगतान न करे, और सरकार को सूचित न करे। TCS ने इनमें से किसी भी कानूनी आवश्यकता का पालन नहीं किया है।“
NITES के अध्यक्ष हरप्रीत सिंह सलूजा ने पत्र में लिखा, “इस कदम का मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और वित्तीय आघात अकल्पनीय है,” क्योंकि हजारों कामकाजी पेशेवरों को अचानक अपनी आजीविका खोनी पड़ेगी। यूनियन का तर्क है कि TCS के इस कदम को पुनर्गठन के रूप में उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन की चेतावनी
NITES ने आईटी क्षेत्र के लिए और कड़े सुरक्षा उपाय बनाने का भी आह्वान किया है। यूनियन ने चेतावनी दी है, “यदि इस अन्याय का तुरंत समाधान नहीं किया गया, तो NITES, भारत भर के सहयोगी आईटी कर्मचारी संघों के साथ मिलकर, यह सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रव्यापी विरोध, कानूनी अभियान और सार्वजनिक प्रदर्शन आयोजित करने के लिए मजबूर होगा कि हजारों प्रभावित कर्मचारियों की आवाज सुनी जाए।“
बाजार के जानकारों का मानना है कि टीसीएस के इस फैसले से उस तकनीकी उद्योग में नई हलचल मचने की संभावना है, जो पहले से ही वैश्विक व्यापक आर्थिक संकटों और भू-राजनीतिक अनिश्चितता से जूझ रहा है।