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GST Taxpayers के लिए सबसे बड़ी खबर: गलत हेड में भरा टैक्स अब ब्याज के साथ मिलेगा वापस

Published On: August 20, 2025
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GST Taxpayers के लिए सबसे बड़ी खबर: गलत हेड में भरा टैक्स अब ब्याज के साथ मिलेगा वापस
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वस्तु एवं सेवा कर (GST) चुकाने वाले लाखों करदाताओं और व्यापारियों के लिए पटना हाईकोर्ट से एक बहुत बड़ी और राहत भरी खबर आई है। पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि कोई करदाता गलती से गलत हेड में GST जमा कर देता है (उदाहरण के लिए, SGST/CGST की जगह IGST में), तो रिफंड (Refund) का दावा करने की दो साल की समय-सीमा (limitation period) की गणना उस तारीख से मानी जाएगी जब करदाता ने सही हेड में टैक्स जमा किया है, न कि गलत भुगतान की तारीख से।

यह फैसला जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद और शैलेंद्र सिंह की बेंच ने सुनाया, जो उन हजारों करदाताओं के लिए एक बड़ी जीत है जिनके रिफंड के दावे सिर्फ तकनीकी आधार पर खारिज कर दिए जाते थे।

क्या था पूरा मामला, जिसे समझना है जरूरी?

यह पूरा मामला वित्तीय वर्ष 2017-18 का है, जहां एक करदाता ने अपने GSTR-01, GSTR-3B और GSTR-09 रिटर्न दाखिल करके सभी करों का भुगतान कर दिया था। लेकिन यहां एक गलती हो गई:

  • क्या हुई थी गलती?: ऑडिट के दौरान, विभाग ने पाया कि करदाता ने कुछ लेन-देनों को अंतर-राज्यीय (intra-state) मानकर गलती से CGST/SGST के तहत टैक्स जमा कर दिया था, जबकि वे वास्तव में अंतर-राज्यीय (inter-state) लेन-देन थे और उन पर IGST लगना चाहिए था।
  • करदाता ने सुधारी गलती: विभाग द्वारा बताए जाने के बाद, करदाता ने बाद में सही हेड, यानी IGST में टैक्स जमा कर दिया।
  • विभाग ने खारिज किया रिफंड: इसके बाद, करदाता ने CGST/SGST के तहत पहले से जमा किए गए गलत टैक्स के रिफंड के लिए आवेदन किया। विभाग ने भी यह माना कि करदाता रिफंड का हकदार है, लेकिन उसने समय-सीमा की समाप्ति का हवाला देते हुए आवेदन को खारिज कर दिया।

विभाग का तर्क और कोर्ट का निर्णायक फैसला

  • विभाग का तर्क: विभाग ने कहा कि टैक्स जनवरी 2018 में जमा किया गया था, जबकि रिफंड का आवेदन जनवरी 2024 में किया गया, यानी लगभग 4 साल की देरी से। इसलिए, यह समय-सीमा के कानून के तहत मान्य नहीं है।
  • हाईकोर्ट का फैसला: लेकिन हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि विभाग ने इस मामले में एक बड़ी गलती की है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि समय-सीमा की गणना उस तारीख से की जाएगी जब करदाता ने सही हेड (IGST) में टैक्स जमा किया, न कि उस समय से जब गलती से टैक्स (CGST/SGST) का भुगतान किया गया था। कोर्ट ने कहा कि अगर विभाग के तर्क को मान लिया जाए, तो यह GST कानून की संबंधित धाराओं को ही निरर्थक बना देगा।

करदाता को ब्याज के साथ मिलेगा रिफंड

इस ऐतिहासिक फैसले में, हाईकोर्ट ने न केवल करदाता को राहत दी, बल्कि उसे ब्याज का भी हकदार माना।

  • हाईकोर्ट ने कहा कि करदाता को SGST और CGST के तहत जमा की गई राशि का रिफंड पाने का पूरा अधिकार है।
  • इसके साथ ही, उसे रिफंड आवेदन दाखिल करने की तारीख के तीन महीने बाद से लेकर वास्तविक भुगतान की तारीख तक 6% वार्षिक ब्याज भी मिलेगा।

GST सुधार की ओर सरकार की तैयारी

यह फैसला ऐसे समय में आया है जब केंद्र सरकार जीएसटी ढांचे में एक बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। हाल ही में, सरकार ने वस्तुओं के लिए केवल दो टैक्स स्लैब – 5% और 18% – रखने की योजना पर विचार करने की घोषणा की है। वर्तमान में, विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर कई स्लैब लागू होते हैं, जो कर संरचना को जटिल बनाते हैं। यदि यह बदलाव लागू हो जाता है, तो GST प्रणाली बहुत ही सरल और पारदर्शी हो जाएगी।

पटना हाईकोर्ट का यह फैसला ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ और करदाता-अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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