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Sunil Shetty: भाई-भतीजावाद पर बोले ‘अन्ना’- मैंने अथिया-अहान को धक्का नहीं दिया, अपने दम पर मिला काम

Published On: September 6, 2025
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Sunil Shetty: भाई-भतीजावाद पर बोले 'अन्ना'- मैंने अथिया-अहान को धक्का नहीं दिया, अपने दम पर मिला काम
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बॉलीवुड में ‘नेपोटिज्म’ यानी भाई-भतीजावाद की बहस हमेशा से एक गर्म और विवादास्पद विषय रही है। कई सितारे इस पर बोलने से बचते हैं, तो कुछ इस पर बेबाकी से अपनी राय रखते हैं। इन्हीं में से एक हैं 90 के दशक के एक्शन हीरो, सुनील शेट्टी। ‘अन्ना’ के नाम से मशहूर सुनील शेट्टी, जिन्होंने बिना किसी फिल्मी बैकग्राउंड के इंडस्ट्री में अपनी एक अलग और मजबूत पहचान बनाई, ने इस मुद्दे पर हमेशा खुलकर बात की है। उन्होंने न केवल अपने संघर्ष के दिनों को याद किया, बल्कि अपने बच्चों, अथिया शेट्टी और अहान शेट्टी के करियर और उन पर लगने वाले ‘नेपोटिज्म’ के आरोपों पर भी एक ऐसा दृष्टिकोण पेश किया, जो इस बहस को एक नया नजरिया देता है।

“क्या मेरे बच्चों को सपने देखने का भी हक़ नहीं?”: सुनील शेट्टी

एक पुराने इंटरव्यू में सुनील शेट्टी ने नेपोटिज्म की बहस पर अपना दर्द और तर्क दोनों बयां किए थे। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि स्टार किड्स को इंडस्ट्री में पहला मौका आसानी से मिल सकता है, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि सिर्फ एक मौके से करियर नहीं बनता। असली सफलता प्रतिभा, कड़ी मेहनत और सबसे महत्वपूर्ण, दर्शकों की स्वीकृति पर निर्भर करती है।

उन्होंने सवाल उठाया, “क्या सिर्फ इसलिए कि वे मेरे बच्चे हैं, उन्हें एक्टर बनने का सपना देखने की इजाजत नहीं है?” सुनील का मानना है कि यह बहस अक्सर अनुचित और तकलीफदेह हो जाती है। वे कहते हैं कि यह हर प्रोफेशन में मौजूद है। जैसे एक उद्योगपति का बच्चा अक्सर फैमिली बिजनेस संभालने की ख्वाहिश रखता है, वैसे ही एक एक्टर का बच्चा अपने माता-पिता को मिले प्यार और सम्मान को देखकर उसी रास्ते पर चलना चाह सकता है। उन्होंने इसकी तुलना एक आम माता-पिता से की जो अपने बच्चे को अच्छे स्कूल में एडमिशन दिलाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं।

अपने संघर्ष को नहीं भूले ‘अन्ना’

सुनील शेट्टी ने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए बताया कि जब वे इंडस्ट्री में आए थे, तो उनका कोई गॉडफादर नहीं था। एक गैर-फिल्मी परिवार से आने के कारण, उनका संघर्ष वास्तविक था। अपनी पहली हिट फिल्म देने के बाद भी, आलोचकों ने उन्हें सिरे से खारिज कर दिया था। उनकी एक्टिंग को ‘कठोर’ बताते हुए उन्हें वापस अपने रेस्टोरेंट बिजनेस में जाने की सलाह दी गई थी।

लेकिन सुनील ने इस आलोचना से हार नहीं मानी। उन्होंने इसे एक प्रेरणा के रूप में लिया और अपनी अभिनय क्षमताओं को सुधारने पर काम किया, साथ ही अपनी एक्शन स्किल्स को और भी निखारा। उन्होंने साबित कर दिया कि अगर आपमें लगन है, तो आप इंडस्ट्री में अपनी जगह बना सकते हैं, चाहे आपका बैकग्राउंड कुछ भी हो।

सिर्फ अपने बच्चे नहीं, हजारों आउटसाइडर्स को भी देते हैं मौका

सुनील शेट्टी ने यह भी स्पष्ट किया कि वे सिर्फ अपने बच्चों के बारे में ही नहीं सोचते। वे हजारों अन्य प्रतिभाशाली युवाओं को भी मौका देने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। अपने ऑनलाइन टैलेंट हंट प्लेटफॉर्म के माध्यम से, लगभग 2.7 लाख युवा एक अवसर की प्रतीक्षा कर रहे हैं, और सुनील लगातार फिल्म निर्माताओं से उन्हें मौका देने की अपील करते रहते हैं। उन्हें यह बात अनुचित लगती है कि जब भी भाई-भतीजावाद या पक्षपात की बात होती है, तो सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री को ही क्यों निशाना बनाया जाता है।

अथिया और अहान पर नेपोटिज्म की बहस का असर

जब सुनील से पूछा गया कि अथिया और अहान इस बहस के बारे में कैसा महसूस करते हैं, तो उन्होंने बताया कि वे भी कभी-कभी सवाल करते हैं कि क्या स्टार किड होने का मतलब यह है कि उन्हें एक्टर बनने का सपना नहीं देखना चाहिए? सुनील उन्हें याद दिलाते हैं कि वह खुद एक फिल्मी परिवार से नहीं आए थे और उन्हें कभी किसी बड़े बैनर ने लॉन्च नहीं किया। ठीक उसी तरह, अथिया और अहान दोनों को उनके ब्रेक स्वतंत्र रूप से मिले, क्योंकि दूसरों ने उनमें क्षमता देखी—इसलिए नहीं कि उन्होंने अपने बच्चों को इंडस्ट्री में धकेला।

अंत में, सुनील का मानना है कि बॉलीवुड में ग्रुपिज्म (गुटबाजी) मौजूद है, लेकिन यह केवल फिल्मों तक ही सीमित नहीं है – यह हर क्षेत्र में है। आगे बढ़ने का रास्ता इस वास्तविकता को स्वीकार करते हुए प्रतिभा को चमकने के लिए जगह बनाने का प्रयास करना है, चाहे वह कहीं से भी आए। असली परीक्षा पहली फिल्म के बाद शुरू होती है, जहां केवल आपका काम, कहानी का दम और दर्शकों का प्यार ही आपको टिकाए रख सकता है।


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