Shardiya Navratri 2025: ‘या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥’ – इस दिव्य मंत्रोच्चार के साथ, जगत जननी माँ दुर्गा की आराधना का महापर्व, शारदीय नवरात्रि, कल यानी 22 सितंबर 2025, सोमवार से आरंभ हो रहा है। यह नौ (इस बार दस) दिनों का उत्सव भक्ति, आस्था और शक्ति की साधना का प्रतीक है। नवरात्रि के पहले दिन का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र अनुष्ठान घटस्थापना या कलश स्थापना (Ghatasthapana or Kalash Sthapana) होता है, जिसे सही और शुभ मुहूर्त में करना अत्यंत आवश्यक है।
मान्यता है कि सही विधि-विधान से कलश की स्थापना करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, सुख-समृद्धि का वास होता है, और माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए, जानते हैं कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, आवश्यक सामग्री और इसकी संपूर्ण विधि के बारे में।
कलश स्थापना 2025: सुबह 6:27 से शुरू होगा शुभ मुहूर्त, जानें घटस्थापना की पूरी विधि
इस वर्ष 2025 में, शारदीय नवरात्रि दस दिनों की होगी, क्योंकि चतुर्थी तिथि दो दिन पड़ रही है। इस बार माँ दुर्गा का आगमन हाथी पर और प्रस्थान डोली में हो रहा है, और दोनों ही वाहन अत्यंत शुभ माने गए हैं, जो देश और दुनिया के लिए सुख, शांति और समृद्धि का संकेत देते हैं।
क्या है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 22 सितंबर को कलश स्थापना के लिए दो अत्यंत शुभ मुहूर्त बन रहे हैं:
- प्रातः काल का मुहूर्त (सुबह का):
- समय: सुबह 06:27 बजे से सुबह 08:16 बजे तक
- कुल अवधि: 1 घंटा 48 मिनट
- अभिजित मुहूर्त (दोपहर का):
- समय: दोपहर 12:07 बजे से दोपहर 12:55 बजे तक
- कुल अवधि: 48 मिनट
इन दोनों ही मुहूर्तों में से आप अपनी सुविधानुसार किसी भी समय पर घटस्थापना कर सकते हैं। अभिजित मुहूर्त को दिन का सबसे शुभ समय माना जाता है और यह सभी दोषों का नाश करने वाला होता है।
कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री (Samagri List for Kalash Sthapana)
घटस्थापना से पहले, यह सुनिश्चित कर लें कि आपके पास निम्नलिखित सभी सामग्रियां उपलब्ध हैं:
- कलश: तांबा, पीतल, चांदी या मिट्टी का कलश।
- अनाज: सप्तधान्य (सात प्रकार के अनाज) या जौ।
- मिट्टी: किसी पवित्र स्थान से लाई गई साफ मिट्टी।
- जल: गंगाजल या शुद्ध जल।
- अन्य वस्तुएं: सुपारी, सिक्का, अक्षत (बिना टूटे चावल), आम या अशोक के पत्ते (पल्लव), हल्दी की गांठ, दूर्वा, लौंग, इलायची।
- नारियल: एक जटा वाला नारियल।
- वस्त्र: नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपड़ा।
- पूजा की थाली: कुमकुम, सिंदूर, कपूर, मौली (कलावा), धूप, दीप (घी का), फूल, फल और मिठाई।
कैसे करें कलश स्थापना? जानें संपूर्ण और सरल विधि (Step-by-Step Puja Vidhi)
- पूजा स्थल की सफाई: सबसे पहले, घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ कर लें और गंगाजल छिड़ककर उसे पवित्र करें।
- जौ बोना: मिट्टी के एक चौड़े पात्र में थोड़ी मिट्टी डालें और उसमें जौ या सप्तधान्य के बीज बो दें। इसके ऊपर फिर से मिट्टी की एक पतली परत बिछाएं और थोड़ा जल छिड़कें।
- कलश की तैयारी: अब कलश को लें और उसके गले में मौली (कलावा) बांधें। कलश पर बाहर की तरफ रोली या चंदन से स्वास्तिक का चिह्न बनाएं।
- कलश में सामग्री डालें: कलश में गंगाजल और शुद्ध जल इस प्रकार भरें कि वह थोड़ा खाली रहे। अब इस जल में सुपारी, सिक्का, अक्षत, लौंग, इलायची, हल्दी की गांठ और दूर्वा डालें।
- पल्लव स्थापित करें: कलश के मुख पर आम या अशोक के पांच पत्ते (पल्लव) इस प्रकार रखें कि उनकी नोक बाहर की ओर हो।
- नारियल की स्थापना: एक जटा वाले नारियल पर लाल कपड़ा लपेटें और उसे मौली से बांध दें। इस नारियल को आम के पत्तों के ऊपर इस प्रकार स्थापित करें कि नारियल का मुख आपकी ओर (पूजा करने वाले की ओर) हो।
- कलश को स्थापित करें: अब इस तैयार कलश को जौ वाले मिट्टी के पात्र के ठीक बीच में स्थापित कर दें।
- देवी का आवाहन: कलश स्थापित करने के बाद, हाथ जोड़कर वरुण देव और सभी देवी-देवताओं का आवाहन करें। फिर माँ दुर्गा का ध्यान करते हुए उनका आवाहन करें और उनसे नौ दिनों तक इस कलश में विराजमान होकर अपनी पूजा स्वीकार करने की प्रार्थना करें। इस दौरान “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै” मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- अखंड ज्योत: यदि आप अखंड ज्योत जलाना चाहते हैं, तो उसे कलश के दाहिनी ओर स्थापित करें और उसका भी संकल्प लें।
- अंतिम पूजा: अंत में, कलश और देवी माँ को फूल, फल, मिठाई और अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें और कपूर से आरती करें।
इस विधि से की गई घटस्थापना आपके घर में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन सुनिश्चित करेगी और माँ दुर्गा की असीम कृपा आप पर सदैव बनी रहेगी।