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Shah Bano Case: जिस केस ने देश को बांट दिया था… ‘हक’ में शाह बानो बनेंगी यामी गौतम, देखें दमदार टीजर

Published On: September 23, 2025
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Shah Bano Case: जिस केस ने देश को बांट दिया था... 'हक' में शाह बानो बनेंगी यामी गौतम, देखें दमदार टीजर
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Shah Bano Case: जब एक महिला ने हिला दी थी सरकार! यामी-इमरान की फिल्म फिर खोलेगी शाह बानो केस की फाइल।
Shah Bano Case: भारतीय सिनेमा के गलियारों में एक ऐसी फिल्म की आहट सुनाई दे रही है, जो सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि इतिहास के पन्नों में दर्ज एक ऐसे विवादास्पद कानूनी मामले को फिर से जिंदा करने जा रही है, जिसने दशकों तक भारत की राजनीति, समाज और न्याय व्यवस्था को हिलाकर रख दिया था। हम बात कर रहे हैं ‘हक’ (HAQ) की, जिसका दमदार टीजर मंगलवार को रिलीज हो गया है। यह फिल्म भारत के सबसे चर्चित कानूनी मामलों में से एक, शाह बानो केस (Shah Bano Case) से प्रेरित है, और इसमें यामी गौतम (Yami Gautam) शाह बानो के किरदार में और इमरान हाशमी (Emraan Hashmi) उनके पति के किरदार में नजर आएंगे।

‘हक’ का टीजर रिलीज: यामी गौतम और इमरान हाशमी कोर्टरूम में फिर से जिंदा करेंगे शाह बानो केस

फिल्म का टीजर उस ऐतिहासिक और संवेदनशील मामले की एक शक्तिशाली झलक देता है, जिसने 1970 और 80 के दशक में न्याय, व्यक्तिगत आस्था और धर्मनिरपेक्ष कानून के बीच एक राष्ट्रव्यापी बहस छेड़ दी थी। यह टीजर उस कानूनी लड़ाई को फिर से सामने लाता है जो आज भी भारतीय समाज में प्रासंगिक है और समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC) जैसे मुद्दों पर चर्चा को जन्म देती है।

क्या था शाह बानो केस?

‘हक’ फिल्म मोहम्मद अहमद खान बनाम शाह बानो बेगम मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से प्रेरित है।

  • मामला: शाह बानो, एक 62 वर्षीय मुस्लिम महिला और पांच बच्चों की माँ थीं, जिन्हें 1978 में उनके पति ने तलाक दे दिया था। जब पति ने गुजारा भत्ता देना बंद कर दिया, तो शाह बानो ने अपने और अपने बच्चों के भरण-पोषण के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया।
  • सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: सालों की कानूनी लड़ाई के बाद, 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत शाह बानो के पक्ष में फैसला सुनाया और उनके पति को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।
  • राजनीतिक भूचाल: सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने पूरे देश में एक बड़ा राजनीतिक और सामाजिक भूचाल ला दिया। कई मुस्लिम संगठनों ने इसे अपने पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप माना, जिसके दबाव में आकर तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने संसद में एक कानून पारित कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था।

“क्या न्याय का अवसर सबके लिए समान नहीं होना चाहिए?” – फिल्म उठा रही है बड़े सवाल

‘हक’, जिग्ना वोरा की किताब ‘बानो: भारत की बेटी’ में वर्णित घटनाओं पर आधारित एक काल्पनिक और नाटकीय रूपांतरण है। फिल्म के निर्माता इस मामले के माध्यम से कुछ बड़े सामाजिक सवाल उठा रहे हैं:

  • “क्या न्याय का अवसर सभी के लिए समान नहीं होना चाहिए?”
  • “हम व्यक्तिगत आस्था और धर्मनिरपेक्ष कानून के बीच रेखा कहां खींचते हैं?”
  • “और क्या एक समान नागरिक संहिता (UCC) होनी चाहिए?”

फिल्म में, यामी गौतम धर एक ऐसी मुस्लिम महिला का किरदार निभा रही हैं, जिसे उसके पति द्वारा अन्यायपूर्ण तरीके से छोड़ दिया गया है। वह हार मानने के बजाय, धारा 125 के तहत अपने और अपने बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ने का फैसला करती है। कहानी एक व्यक्तिगत संघर्ष के रूप में शुरू होती है, लेकिन जल्द ही यह कानून, धर्म और पहचान के महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर करने वाले एक गहन कोर्टरूम ड्रामा में बदल जाती है।

फिल्म में शीबा चड्ढा, दानिश हुसैन और असीम हट्टंगडी जैसे प्रतिभाशाली कलाकार भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं। निर्माताओं के अनुसार, ‘हक’ एक प्रेम कहानी के रूप में शुरू होती है, लेकिन पति-पत्नी के बीच का एक निजी विवाद जल्द ही एक ऐसे उत्तेजक विषय पर एक राष्ट्रीय बहस में बदल जाता है, जिसका समाधान आज भी खोजा जा रहा है।

यह फिल्म संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) जैसे व्यापक नीतिगत मामलों पर भी प्रकाश डालती है। ‘हक’ 7 नवंबर, 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है।

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