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SEBI Action: अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म Jane Street पर ₹4,843 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप, बैंक खातों पर फ्रीज़

Published On: July 4, 2025
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SEBI Action: अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म Jane Street पर ₹4,843 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप, बैंक खातों पर फ्रीज़
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मुंबई: भारतीय शेयर बाजार के नियामक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म Jane Street और उसकी तीन संबंधित संस्थाओं पर कड़ा एक्शन लिया है। SEBI ने Jane Street, JSI2 Investments Private Ltd, Jane Street Singapore Pte. Ltd, और Jane Street Asia Trading Ltd को भारतीय बाजार में कारोबार करने से तीन साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। इसके साथ ही, नियामक ने इन संस्थाओं को अवैध लाभ के रूप में ₹4,843.5 करोड़ की राशि SEBI के पक्ष में एक खाते में जमा कराने का भी निर्देश दिया है। SEBI ने इन संस्थाओं के बैंक खातों पर डेबिट फ्रीज़ (debit freeze) का आदेश भी जारी किया है।

Jane Street की धोखाधड़ी की रणनीति का खुलासा:
SEBI के 3 जुलाई के एक आदेश के अनुसार, Jane Street ने कथित तौर पर 14 एक्सपायरी दिनों (expiry days) पर जानबूझकर बाजार में हेरफेर किया। उनकी रणनीति के तहत, वे एक्सपायरी दिनों की सुबह बैंक निफ्टी फ्यूचर्स (Bank Nifty futures) को भारी मात्रा में और कैश सेगमेंट (cash segment) में खरीदते थे, साथ ही बड़ी संख्या में बैंक निफ्टी ऑप्शंस (Bank Nifty options) बेचते थे। दोपहर बाद, Jane Street की संबंधित संस्थाएं बैंक निफ्टी फ्यूचर्स में आक्रामक तरीके से बड़ी मात्रा में बेचती थीं, जिससे एक्सपायरी दिनों पर इंडेक्स के क्लोजिंग को प्रभावित किया जा सके। यह हेरफेर भारतीय शेयर बाजार में फ्रीक्वेंट ट्रेडिंग रणनीति (frequent trading strategy) का एक हिस्सा था, जिसका उद्देश्य अवांछित लाभ कमाना था।

नियामक की कार्रवाई और आरोप:
SEBI के अनुसार, Jane Street द्वारा अपनाई गई यह रणनीति भारतीय प्रतिभूति कानूनों का उल्लंघन करती है और यह एक सोची-समझी चाल थी जिसके द्वारा उन्होंने “निवेशकों के भरोसे” का गलत फायदा उठाया। SEBI ने पाया कि यह बाजार में हेरफेर (market manipulation) का स्पष्ट मामला है, जिसने अनुचित लाभ अर्जित किया है। नियामक ने यह भी सुनिश्चित किया कि भविष्य में ऐसे उल्लंघनों को रोका जा सके, जिसके लिए उसने सभी लेन-देन पर सात दिन की कूलिंग-ऑफ अवधि (cooling-off period) भी लागू कर दी है।

यह कार्रवाई यह सुनिश्चित करने के लिए की गई है कि शेयर बाजार में निष्पक्षता (fairness) बनी रहे और छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा की जा सके। भारत, अमेरिका और यूके में निवेशकों के बीच इस घटना ने चिंताएं पैदा की हैं, जो नियामक की कड़ी निगरानी और निष्पक्ष बाजार सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

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