भाई-बहन के पवित्र प्रेम और अटूट रिश्ते का जश्न मनाने वाला पावन पर्व, रक्षाबंधन (Raksha Bandhan), हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा-सूत्र यानी राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र, सफलता और सुखी जीवन की कामना करती हैं। बदले में, भाई अपनी बहन को जीवन भर उसकी रक्षा करने का वचन देता है और प्रेम स्वरूप उसे उपहार भेंट करता है।
इस साल रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त, 2025, मंगलवार को मनाया जाएगा। लेकिन इस बार बहनों को राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना होगा, क्योंकि ज्योतिष गणना के अनुसार, इस दिन लगभग दो घंटे तक राहुकाल (Rahukal) का साया रहेगा, जिसे किसी भी शुभ कार्य के लिए अशुभ माना जाता है।
क्या है राहुकाल और क्यों नहीं बांधनी चाहिए इस समय राखी?
वैदिक ज्योतिष में, राहुकाल को दिन का वह समय माना जाता है जब राहु ग्रह का प्रभाव सबसे अधिक होता है। इस अवधि को किसी भी नए या मांगलिक कार्य की शुरुआत के लिए बेहद अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि राहुकाल में किए गए कार्यों में बाधाएं आती हैं या उनके सफल होने की संभावना कम हो जाती है। चूंकि राखी बांधना एक बेहद शुभ और पवित्र अनुष्ठान है, इसलिए बहनों को यह सलाह दी जाती है कि वे इस अशुभ समय को टालकर केवल शुभ मुहूर्त में ही अपने भाई की कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधें।
रक्षाबंधन 2025 पर राहुकाल का समय:
- मंगलवार, 19 अगस्त 2025, दोपहर 03:00 बजे से शाम 04:30 बजे तक (लगभग डेढ़ से दो घंटे)
रक्षाबंधन 2025 पर राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त
चिंता की कोई बात नहीं है, क्योंकि राहुकाल के अलावा इस दिन राखी बांधने के लिए कई शुभ मुहूर्त भी उपलब्ध रहेंगे। बहनें इन शुभ चौघड़िया मुहूर्त में अपने भाई को राखी बांध सकती हैं:
चौघड़िया मुहूर्त (Choghadiya Muhurat) 2025:
- लाभ काल (समय): सुबह 10:15 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
- यह समय व्यापारिक और व्यक्तिगत लाभ के लिए उत्तम माना जाता है। इस मुहूर्त में बांधी गई राखी भाई के जीवन में उन्नति और लाभ लाती है।
- अमृत काल (समय): दोपहर 01:30 बजे से दोपहर 03:00 बजे तक
- इसे दिन का सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है। अमृत काल में किया गया कोई भी कार्य अमृत के समान फल देता है और भाई-बहन के रिश्ते में मिठास और स्थायित्व लाता है।
- चर काल (समय): शाम 04:30 बजे से शाम 06:00 बजे तक
- राहुकाल समाप्त होने के तुरंत बाद यह मुहूर्त शुरू होगा। यह एक सामान्य शुभ मुहूर्त है और यदि आप दोपहर में राखी नहीं बांध पाई हैं तो इस समय का उपयोग कर सकती हैं।
राखी बांधने की सही विधि और पूजा का महत्व
रक्षाबंधन सिर्फ एक धागा बांधने का त्योहार नहीं है, बल्कि यह पूजा-पाठ, दान-दक्षिणा और पारिवारिक मेलजोल का भी एक पवित्र अवसर है।
राखी की थाली ऐसे सजाएं:
- एक साफ थाली में एक सुंदर राखी, रोली (कुमकुम), अक्षत (साबुत चावल), एक दीपक (घी का), और भाई की पसंदीदा मिठाई रखें।
राखी बांधने की विधि:
- सबसे पहले अपने ईष्ट देव की पूजा करें।
- भाई को पूर्व दिशा की ओर मुख करके एक साफ आसन पर बिठाएं।
- सबसे पहले भाई के मस्तक पर रोली और अक्षत का तिलक लगाएं।
- उसके बाद भाई की आरती उतारें और ईश्वर से उसकी सलामती की प्रार्थना करें।
- अब भाई की दाहिनी कलाई पर मंत्रों का जाप करते हुए राखी बांधें। (मंत्र: येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वाम् प्रतिबद्ध्नामि, रक्षे मा चल मा चल। )
- राखी बांधने के बाद भाई का मुंह मीठा कराएं।
- इसके बाद भाई अपनी बहन को प्रेम स्वरूप उपहार या दक्षिणा देकर उसके पैर छूकर आशीर्वाद ले।
यह त्योहार न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि पूरे परिवार में सकारात्मक ऊर्जा और प्रेम का संचार भी करता है।







