Railway Modernization: भारत का रेल लॉजिस्टिक्स (Rail Logistics) परिदृश्य (Landscape) एक बड़े परिवर्तन के लिए तैयार है, क्योंकि सरकार ने 200 गति शक्ति कार्गो टर्मिनल (Gati Shakti Cargo Terminals – GCTs) स्थापित करने की योजना बनाई है। यह कदम देश की आर्थिक वृद्धि (Economic Growth) को बढ़ावा देने और माल ढुलाई दक्षता (Freight Efficiency) में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण है। भारतीय रेलवे (Indian Railways) के लिए यह एक नई दिशा का संकेत है, जिससे लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर (Logistics Infrastructure) मजबूत होगा।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस (Financial Express) की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना को आने वाले वर्षों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnership – PPP) मॉडल के तहत लागू किया जाएगा। इसका लक्ष्य तेजी से विस्तार कर रहे समर्पित फ्रेट कॉरिडोर (Dedicated Freight Corridors – DFCs) का लाभ उठाना है। यह भारत के परिवहन क्षेत्र (Transportation Sector) में एक रणनीतिक बदलाव है, जिससे कार्गो ढुलाई (Cargo Movement) और अधिक कुशल और लागत प्रभावी (Cost-Effective) हो जाएगी।
वर्तमान में, राष्ट्रव्यापी रेल नेटवर्क (Nationwide Rail Network) में 77 परिचालन GCT (Operational GCTs) हैं, जिनमें से प्रत्येक की औसत लागत ₹70 करोड़ है। यह दिखाता है कि इस बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण निवेश (Significant Investment) की आवश्यकता होगी।
DFCs की भूमिका और परिचालन क्षमता में सुधार
समर्पित फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (Dedicated Freight Corridor Corporation of India Limited – DFCCIL) स्वयं चार टर्मिनल (Four Terminals) चलाती है, जिसमें वित्त वर्ष 2026 (FY26) में फ्रेट कॉरिडोर (Freight Corridors) के साथ छह अतिरिक्त सुविधाओं के परिचालन (Operational) होने की उम्मीद है।
डीएफसीसीआइएल (DFCCIL) के प्रबंध निदेशक (Managing Director) प्रवीण कुमार (Praveen Kumar) ने बताया, “डीएफसी (DFC) पर कुल 115 स्टेशन (Stations) हैं और उनमें से 50-55 गति शक्ति टर्मिनल (Gati Shakti Terminals) के लिए उपयुक्त हैं। दिसंबर 2025 तक, पूरी पश्चिमी डीएफसी (Western DFC) चालू हो जाएगी। इस लाइन पर कई गति शक्ति टर्मिनल आ रहे हैं। हम निविदाएं (Tenders) जारी कर रहे हैं और इसमें खिलाड़ियों की बहुत भागीदारी है।” यह भारत के फ्रेट मूवमेंट (Freight Movement) को गति देने की सरकारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उन्होंने भारतीय रेलवे (Indian Railways) के वित्तीय स्वास्थ्य (Financial Health) को मजबूत करने के लिए डीएफसी (DFC) की महत्वपूर्ण क्षमता पर प्रकाश डाला, जिससे यात्रियों के लिए किराए में वृद्धि (Fare Hikes for Passengers) पर निर्भरता कम हो सकती है। यह भारतीय परिवहन प्रणाली (Indian Transportation System) में यात्रियों और माल ढुलाई दोनों के लिए लाभ ला सकता है।
जबकि हाई-स्पीड फ्रेट कॉरिडोर (High-Speed Freight Corridors) पूंजी-गहन (Capital-Intensive) हैं, कुमार ने बताया कि बेहतर परिचालन दक्षता (Improved Operational Efficiencies) रेलवे राजस्व (Railway Revenues) को काफी हद तक बढ़ा सकती है।
वर्तमान में, माल ढुलाई यातायात (Freight Traffic) भारतीय रेलवे के कुल वॉल्यूम का 67 प्रतिशत है, जिसमें यात्री सेवाएं (Passenger Services) शेष 33 प्रतिशत का योगदान करती हैं। कुमार ने विश्वास व्यक्त किया कि डीएफसी के चालू होने से माल ढुलाई का हिस्सा और बढ़ेगा।
उन्होंने पीएचडीसीसीआई (PHDCCI) कार्यक्रम में कहा, “डीएफसी कॉरिडोर (DFC Corridor) की लागत ₹1,24,000 करोड़ है, लेकिन जब दक्षता में सुधार होता है, तो यात्री सेवाओं के लिए बहुत सारी cross subsidy (क्रॉस-सब्सिडी) संभव हो सकती है।” यह दिखाता है कि कैसे निवेश से दीर्घकालिक लाभ (Long-term Benefits) हो सकता है, जिससे यात्री किराए पर सब्सिडी देना संभव होगा।
PM गति शक्ति पहल का प्रभाव और भविष्य की चुनौतियाँ
हालांकि सड़क परिवहन (Road Transport) वर्तमान में भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र (Logistics Sector) में 46 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है, जबकि रेलवे (Railways) का 26 प्रतिशत है, अक्टूबर 2021 में शुरू की गई पीएम गति शक्ति पहल (PM Gati Shakti Initiative) के तहत प्रयासों का लक्ष्य अधिक टिकाऊ परिवहन मॉडल (Sustainable Transportation Model) के लिए संतुलन को रेल की ओर स्थानांतरित करना है। यह मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स (Multimodal Logistics) को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
पूर्वी और पश्चिमी डीएफसी (Eastern and Western DFCs) को प्रतिदिन 480 मालगाड़ियों (Freight Trains) को संभालने के लिए डिज़ाइन किया गया है। कुमार ने अनुमान लगाया कि एक बार वाइटरना (Vaitarna) से जेएनपीटी (JNPT) को जोड़ने वाला अंतिम पश्चिमी खंड (Final Western Section) चालू हो जाने के बाद यातायात अपेक्षाओं से अधिक हो सकता है। यह रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट (Railway Infrastructure Development) और लॉजिस्टिक्स दक्षता (Logistics Efficiency) में एक महत्वपूर्ण छलांग को दर्शाता है। यह योजना मेक इन इंडिया (Make in India) और भारतमाला परियोजना (Bharatmala Pariyojana) जैसे राष्ट्रीय विकास पहलों को पूरक करेगी।