Punjab Drug Money Case: रविवार को एक मोहाली कोर्ट (Mohali Court) ने शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal – SAD) के वरिष्ठ नेता और पंजाब (Punjab) के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया (Bikram Singh Majithia) को कथित ₹540 करोड़ के अनुपातहीन संपत्ति मामले (Disproportionate Assets Case) के संबंध में 14 दिन की न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) में भेज दिया है। यह कदम पंजाब की राजनीति (Punjab Politics) और ड्रग मामलों (Drug Cases) से जुड़े मुद्दों में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है। मजीठिया को कड़ी सुरक्षा (Tight Security) के बीच अदालत में पेश किया गया और 19 जुलाई को अगली सुनवाई (Next Hearing) तक नई नाभा जेल (New Nabha Jail) भेज दिया गया।
पंजाब में ड्रग मामला (Drug Case in Punjab) हमेशा से ही राजनीतिक रूप से संवेदनशील रहा है, और मजीठिया की गिरफ्तारी ने इसे फिर से सुर्खियों में ला दिया है। यह दर्शाता है कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार (Corruption) और अपराध (Crime) के खिलाफ कितनी गंभीरता से काम कर रही है।
अनुपातहीन संपत्ति मामला: ईडी और सतर्कता ब्यूरो की कार्रवाई
हाल ही में, बिक्रम सिंह मजीठिया ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) में अनुपातहीन संपत्ति मामले (Disproportionate Assets Case) के खिलाफ एक याचिका दायर की थी, जिसमें अगली सुनवाई 8 जुलाई को तय की गई है। पंजाब विजिलेंस ब्यूरो (Punjab Vigilance Bureau) ने 25 जून को मजीठिया के अमृतसर (Amritsar) स्थित आवास (Residence) पर छापा (Raided) मारा था और उन्हें कथित तौर पर ₹540 करोड़ से अधिक की “ड्रग मनी” को वैध बनाने (Laundering Drug Money) के आरोप में अनुपातहीन संपत्ति मामले में गिरफ्तार (Arrested) किया था। यह मामला पंजाब में राजनीतिक अपराधों (Political Crimes) की जांच में एक बड़ा मील का पत्थर है।
शुरुआत में, मजीठिया को अदालत ने सात दिन की पुलिस रिमांड (Police Remand) पर भेजा था, जिसे बाद में चार और दिनों के लिए बढ़ा दिया गया। हिरासत में पूछताछ (Custodial Interrogation) पूरी होने के बाद, उन्हें रविवार को अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें आगे 14 दिन की न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) में भेज दिया। यह दिखाता है कि जांच एजेंसियां इस मामले को कितनी गंभीरता से ले रही हैं।
अकाली दल का विरोध: ‘मीडिया ट्रायल’ और राजनीतिक दबाव का आरोप
अदालत के बाहर मीडिया को संबोधित करते हुए, मजीठिया के कानूनी वकील (Legal Counsel) और शिअद (SAD) के वरिष्ठ नेता अर्शदीप सिंह कलेर (Arshdeep Singh Kaler) ने चल रही जांच (Ongoing Investigation) पर तीखा हमला किया और कहा: “सतर्कता ब्यूरो (Vigilance Bureau) के पास कोई ठोस सबूत (Solid Evidence) नहीं है। यह कानूनी योग्यता (Legal Merit) पर आधारित मामले से अधिक मीडिया ट्रायल (Media Trial) जैसा लगता है… सरकार केवल अकाली दल की आवाज (Voice of Akali Dal) को दबाना चाहती है… उन्होंने केवल मामले के आसपास मीडिया प्रचार (Media Hype) बनाया।“
इस बीच, अतिरिक्त महाधिवक्ता (Additional Advocate General) फेरी सोफत (Ferry Sofat) ने कहा कि “संशोधित कानूनी प्रावधानों (Revised Legal Provisions) के तहत, न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) के बाद भी ब्यूरो के पास अतिरिक्त तीन दिनों की पुलिस रिमांड मांगने का अधिकार है – बशर्ते अदालत में एक नया आवेदन (Fresh Application) दायर किया जाए।” यह दर्शाता है कि जांच एजेंसी (Investigative Agency) अभी भी मामले में अधिक जानकारी जुटाने की संभावना तलाश रही है। भारत में कानून और व्यवस्था (Law and Order in India) ऐसे मामलों में न्यायिक प्रक्रिया की जटिलता को दर्शाती है।
यह मामला पंजाब में ड्रग की समस्या (Drug Problem in Punjab) और राजनीति में इसकी संलिप्तता पर एक गंभीर बहस को फिर से शुरू करता है। भ्रष्टाचार विरोधी अभियान (Anti-Corruption Campaign) के तहत यह एक महत्वपूर्ण विकास है।