Gangaikonda Cholapuram: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्धारित दौरे से पहले तमिलनाडु के अरियालुर जिले में स्थित गंगैकोंड चोलपुरम में उत्सव का माहौल है। यह स्थान कभी महान चोल साम्राज्य के सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम द्वारा निर्मित भव्य राजधानी हुआ करता था। प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए तिरुचि-चिदंबरम राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित गांव और बृहदीश्वर मंदिर को झंडों और मालाओं से भव्य रूप से सजाया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी यहां सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित ‘आदि थिरुवाथिराई‘ महोत्सव के समापन समारोह में भाग लेने पहुंचे हैं। इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रसिद्ध संगीतकार इलैयाराजा भी 20 मिनट की एक विशेष संगीत प्रस्तुति देंगे।
क्या है प्रधानमंत्री के दौरे का महत्व?
इस यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण क्षण वह होगा जब प्रधानमंत्री मोदी, महान चोल सम्राट के सम्मान में एक स्मारक सिक्का (Commemorative Coin) जारी करेंगे। गंगैकोंडचोलपुरम विकास परिषद ट्रस्ट के अध्यक्ष आर. कोमगन द्वारा किए गए अनुरोध को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री यह सिक्का जारी कर रहे हैं।
यह कार्यक्रम उस महान राजा को श्रद्धांजलि है जिसने लगभग 1,000 साल पहले गंगा के मैदानी इलाकों में अपनी विजयी यात्रा के बाद गंगैकोंड चोलपुरम शहर का निर्माण किया था। इसी के साथ उन्होंने भव्य बृहदीश्वर मंदिर और एक विशाल झील, चोलगंगम का भी निर्माण कराया था। यह उनकी विजय का प्रतीक था और इसे ‘दक्षिण का गंगा’ भी कहा जाता था।
PM मोदी के दौरे का लाइव अपडेट:
दोपहर 12:15 PM: प्रधानमंत्री मोदी का काफिला गंगैकोंड चोलपुरम स्थित कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा। यहां उनका पारंपरिक तमिल संस्कृति के अनुसार भव्य स्वागत किया गया।
सुबह 11:45 AM: प्रधानमंत्री मोदी ने बृहदीश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की। यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है और चोल वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
सुबह 11:00 AM: प्रधानमंत्री तिरुचि हवाई अड्डे पर पहुंचे, जहां तमिलनाडु के राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने उनका स्वागत किया।
राजा राजेंद्र चोल की गंगा यात्रा के 1,000 साल
यह सप्ताह तमिलनाडु के लिए स्मृति और गौरव से भरा है, क्योंकि यह भारतीय इतिहास के सबसे महान सैन्य अभियानों में से एक के 1,000 साल पूरे होने का प्रतीक है। आज से एक हज़ार साल पहले, महान चोल सम्राट राGangaikonda Cholapuram पहुंचे PM मोदी, राजा राजेंद्र चोल की जयंती में हुए शामिलजेंद्र चोल प्रथम ने गंगा के मैदानी इलाकों तक विजय मार्च किया था। उन्होंने न केवल उत्तरी भारत में तमिल वीरता का परचम लहराया, बल्कि विश्व इतिहास के पन्नों में भी अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज कराया। उनका साम्राज्य दक्षिण पूर्व एशिया तक फैला हुआ था और उनकी नौसेना उस समय की सबसे शक्तिशाली नौसेनाओं में से एक थी।
प्रधानमंत्री का यह दौरा चोल साम्राज्य की महान विरासत और भारत के गौरवशाली अतीत को सम्मानित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश की युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जुड़ने के लिए प्रेरित करेगा।