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Kolkata News: पहचान बदलकर 3 दशक से कोलकाता में, पुलिस के हत्थे चढ़ा अवैध बांग्लादेशी

Published On: June 21, 2025
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Kolkata News: पहचान बदलकर 3 दशक से कोलकाता में, पुलिस के हत्थे चढ़ा अवैध बांग्लादेशी
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Kolkata News: पश्चिम बंगाल की राजधानी और भारत के प्रमुख महानगरों में से एक, कोलकाता में, स्थानीय पुलिस द्वारा अवैध रूप से रहने वाले विदेशी नागरिकों (foreign nationals living illegally), विशेष रूप से बांग्लादेशी नागरिकों (Bangladeshi citizens), को चिह्नित करने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए एक विशेष अभियान (campaign/drive) चलाया जा रहा है। इस सघन अभियान के दौरान कोलकाता पुलिस के हाथ एक ऐसा चौंकाने वाला मामला लगा है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों और आम नागरिकों के बीच चिंता बढ़ा दी है। पुलिस को पता चला है कि एक व्यक्ति पिछले लगभग 34 सालों से (for the last 34 years) कोलकाता शहर में अपनी असली पहचान बदलकर (by changing his identity) और अवैध तरीके से (illegally) रह रहा था। इतना ही नहीं, उसने इस दौरान भारत में रहने के लिए आवश्यक कई महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज, जैसे वोटर कार्ड (voter card) और राशन कार्ड (ration card) भी बनवा लिए थे, जो जांच में फर्जी (fake/forged) पाए गए हैं।

यह मामला तब सामने आया जब भवानीपुर थाने (Bhowanipore Police Station) में इस संबंध में एक औपचारिक शिकायत दर्ज की गई। शिकायत मिलने पर, कोलकाता पुलिस के सुरक्षा नियंत्रण कार्यालय (Security Control Office – SCO) ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी व्यक्ति के खिलाफ गहन जांच शुरू कर दी है।

पुलिस सूत्रों से मिली प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए शख्स का नाम नूपुर चक्रवर्ती (Nupur Chakraborty) बताया जा रहा है। वह काफी लंबे समय से दक्षिण कोलकाता के ढाकुरिया महाराजा ठाकुर रोड (Dhakuria Maharaja Thakur Road) इलाके में अपनी असली पहचान छिपाकर और एक नकली पहचान के साथ रह रहा था। जांच में पता चला है कि यह व्यक्ति मूल रूप से बांग्लादेश का नागरिक है और एक घुसपैठिया (infiltrator) है जो वर्ष 1991 में (in the year 1991) अवैध रूप से सीमा पार करके बांग्लादेश से भारत आया था। उस समय उसके पास भारत में प्रवेश करने के लिए आवश्यक कोई भी वैध दस्तावेज, जैसे पासपोर्ट (passport) और वीजा (visa), नहीं थे। वह बिना किसी आधिकारिक अनुमति के अवैध रूप से भारतीय सीमा में घुस आया था।

तब से लेकर अब तक, यानी लगभग 34 साल (approximately 34 years) बीत चुके हैं, और वह लगातार भारत में, विशेषकर कोलकाता में, अपनी पहचान छिपाकर रहता आ रहा था। यह घटना सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है कि कैसे कोई व्यक्ति इतने लंबे समय तक बिना किसी की नजर में आए अवैध रूप से रह सकता है और सरकारी दस्तावेज भी हासिल कर सकता है।

इस मामले में, दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर थाने में विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (Foreigners’ Regional Registration Office – FRRO) की ओर से एक आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसी शिकायत के आधार पर कोलकाता पुलिस की एससीओ टीम द्वारा विस्तृत जांच की जा रही है। जांच अधिकारियों के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर उसने इतने सालों तक अपनी असली पहचान कैसे छिपाई रखी और वह किन-किन गतिविधियों में संलिप्त रहा?

पुलिस इस बात की भी गहनता से जांच कर रही है कि क्या वह इतने लंबे समय तक भारत में रहते हुए बांग्लादेश में किसी व्यक्ति या समूह के संपर्क में था। उसकी गतिविधियां, उसके संपर्क सूत्र और भारत में रहने का उसका मकसद, इन सभी पहलुओं पर जांच केंद्रित है। इसके साथ ही, पुलिस यह भी पता लगाने की पुरजोर कोशिश कर रही है कि उसने किसकी मदद से और कहां से ये फर्जी पहचान पत्र (fake identity cards), जैसे वोटर कार्ड और राशन कार्ड, बनवाए थे। इस फर्जीवाड़े में शामिल अन्य लोगों की पहचान करना और इस पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश करना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है।

कोलकाता पुलिस द्वारा चलाया जा रहा यह अभियान शहर में अवैध रूप से रह रहे अन्य विदेशी नागरिकों के लिए एक चेतावनी है। इस प्रकार की गिरफ्तारियां राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। नूपुर चक्रवर्ती के मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, और भी कई चौंकाने वाले खुलासे होने की संभावना है। पश्चिम बंगाल समाचार (West Bengal News) में यह घटना प्रमुखता से छाई हुई है और आम लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है।

यह मामला इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि सीमा पार से होने वाली अवैध घुसपैठ (illegal infiltration) भारत के लिए कितनी गंभीर समस्या है और इससे निपटने के लिए और अधिक प्रभावी उपायों की आवश्यकता है।

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