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Chanda Kochhar पर कानूनी हथौड़ा: रिश्वत मामले में संपत्ति जब्त, जानिए क्या था पूरा खेल

Published On: July 22, 2025
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Chanda Kochhar पर कानूनी हथौड़ा: रिश्वत मामले में संपत्ति जब्त, जानिए क्या था पूरा खेल
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प्रवर्तन निदेशालय (ED) को Videocon लोन केस (Videocon Loan Case) में एक बड़ी कानूनी जीत मिली है, जब अपीलीय न्यायाधिकरण (Appellate Tribunal) ने पूर्व ICICI बैंक CEO चंदा कोचर (Former ICICI Bank CEO Chanda Kochhar) की संपत्तियों की कुर्की (Seizure of Assets) को बरकरार रखा। न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में कहा है कि “तथ्यात्मक ढाँचा (Factual Matrix) ED के दावे का समर्थन करता है और चंदा कोचर की संपत्तियों की कुर्की को न्यायसंगत (Justifies) ठहराता है।”

₹64 करोड़ की रिश्वत का आरोप और NuPower Renewables की भूमिका:

चंदा कोचर पर ₹64 करोड़ की रिश्वत (Bribe of ₹64 Crore) लेने का आरोप है, जो Videocon लोन अप्रूवल (Videocon Loan Approval) से जुड़ा हुआ है। ED का आरोप है कि यह रिश्वत उनकी पति की कंपनी NuPower Renewables Pvt Ltd (NRPL) के माध्यम से ‘रूट’ (Routed) की गई थी। यह पूरा मामला ICICI बैंक द्वारा Videocon को ₹300 करोड़ के लोन (₹300 Crore Loan) को मंजूरी देने से जुड़ा है, जो कोचर के CEO कार्यकाल के दौरान हुआ था। ED ने इसी मामले में मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) के एंगल से जांच करते हुए यह कार्रवाई की है।

ED का दावा और संपत्ति की कुर्की:

ED का दावा (Claim) है कि यह ‘तथ्यात्मक ढाँचा’ कोचर के खिलाफ सबूतों (Evidence) से लैस है, और इसलिए उनकी संपत्तियों की कुर्की जायज है। ED के अनुसार, यह कदम धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act – PMLA) के तहत उठाया गया है। ED ने कोचर से जुड़ी कई संपत्तियों को जब्त (Attached) किया है, जो कथित तौर पर अवैध धन (Illicit Funds) से खरीदी गई थीं।

अपीलीय न्यायाधिकरण का फैसला और भविष्य की राह:

अपीलीय न्यायाधिकरण के इस फैसले के बाद, यह मामला एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आ गया है। ED के लिए यह एक बड़ी जीत है, और अब चंदा कोचर की कानूनी लड़ाई और भी जटिल हो सकती है। हालांकि, अभी यह देखना बाकी है कि इस फैसले के बाद उनके आगे के कदम क्या होंगे।

पूर्व IPO से हुए ₹9,128 करोड़ के लाभ के बावजूद, HDFC बैंक के मुनाफे में 5% की गिरावट:

इस बीच, HDFC बैंक (HDFC Bank) ने अपने Q1 FY26 के नतीजे जारी किए हैं, जिसमें ₹16,258 करोड़ का समेकित लाभ दिखाया गया है। यह पिछले वर्ष की समान अवधि से ₹16,475 करोड़ की तुलना में मामूली गिरावट है। हालाँकि, बैंक ने HDB IPO से ₹9,128 करोड़ का प्री-टैक्स लाभ अर्जित किया, फिर भी प्रोविजन्स (Provisions) में वृद्धि (₹14,442 करोड़) ने शुद्ध लाभ पर असर डाला। यह ‘सभ्य बॉटम-लाइन परफॉर्मेंस’ (Subdued Bottom-line Performance) के पीछे का एक मुख्य कारण है।

शेयर बाज़ार का रुझान और ICRA रेटिंग:

HDFC बैंक के शेयरों ने 3.3% का उछाल दर्ज किया, पर 52-हफ्ते के उच्च स्तर ₹27.20 से काफी नीचे रहे। ICRA ने बैंक की इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड और बेसल III टियर II बॉन्ड की रेटिंग को ‘AA-‘ में अपग्रेड किया है, जो बैंक के सुधरते फंडामेंटल (Improving Fundamentals) और संचालन क्षमता (Operational Efficiency) को दर्शाता है।

यह मामला कॉर्पोरेट गवर्नेंस (Corporate Governance), नियामक अनुपालन (Regulatory Compliance), और वित्तीय क्षेत्र में पारदर्शिता (Transparency in Financial Sector) के महत्व को रेखांकित करता है। ED और अदालतों का यह कदम दिखाता है कि भ्रष्टाचार (Corruption) और मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) के खिलाफ लड़ाई में सिस्टम अब और अधिक सतर्क हो रहा है।

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