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Sudhakar Reddy का 83 की उम्र में निधन, जानें CPI के पूर्व महासचिव का लंबा राजनीतिक सफर

Published On: August 24, 2025
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सुधाकर रेड्डी का 83 की उम्र में निधन, जानें CPI के पूर्व महासचिव का लंबा राजनीतिक सफर
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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party of India – CPI) और देश के वामपंथी आंदोलन (Left movement) के लिए एक अपूरणीय क्षति हुई है। पार्टी के पूर्व महासचिव, एक अनुभवी सांसद और श्रमिकों के अधिकारों के लिए एक अथक योद्धा, श्री सुरावराम सुधाकर रेड्डी (Suravaram Sudhakar Reddy) का शुक्रवार रात हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे 83 वर्ष के थे।

उनके निधन की खबर से पूरे वामपंथी जगत और भारतीय राजनीति में शोक की लहर दौड़ गई है। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन (Pinarayi Vijayan) सहित देश भर के कई बड़े नेताओं ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।

कौन थे सुधाकर रेड्डी, वामपंथ के एक मजबूत स्तंभ

सुधाकर रेड्डी तेलंगाना के महबूबनगर जिले से आते थे और उन्होंने अपने जीवन के कई दशक राष्ट्रीय स्तर पर वामपंथी राजनीति को मजबूत करने और कई जन संघर्षों (people’s struggles) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में समर्पित कर दिए।

  • दो बार के लोकसभा सांसद: वह दो बार लोकसभा के लिए चुने गए थे, जहां उन्होंने किसानों, मजदूरों और आम लोगों की आवाज को बुलंद किया।
  • 7 साल तक रहे CPI के महासचिव: उन्होंने 2012 से 2019 तक सात वर्षों के लिए CPI के महासचिव (General Secretary) के रूप में कार्य किया। उन्हें 2012 के बाद दो बार – 2015 में पुडुचेरी पार्टी कांग्रेस में और बाद में 2018 में कोल्लम पार्टी कांग्रेस में – CPI के महासचिव के रूप में फिर से चुना गया था।

“एक उत्कृष्ट सांसद और सम्मानित कम्युनिस्ट नेता” – पिनाराई विजयन

केरल के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ वाмपंथी नेता, पिनाराई विजयन ने शनिवार को एक शोक संदेश में सुधाकर रेड्डी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया।

  • विजयन ने कहा, “रेड्डी ने एक उत्कृष्ट सांसद के रूप में कार्य किया था।”
  • उन्होंने याद करते हुए कहा, “संसद में श्रमिकों और आम लोगों की आवाज उठाने के उनके प्रयास उल्लेखनीय थे।” मुख्यमंत्री ने उन्हें एक सौम्य और व्यापक रूप से सम्मानित कम्युनिस्ट नेता (gentle and widely respected Communist leader) के रूप में भी याद किया।

सुधाकर रेड्डी का निधन वामपंथी आंदोलन के लिए एक ऐसे समय में एक बड़ा झटका है जब देश की राजनीति में वाम दलों की भूमिका में बदलाव आ रहा है। उनकी सादगी, बौद्धिक क्षमता और आम लोगों से जुड़ाव उन्हें उनके साथियों और विरोधियों, दोनों के बीच सम्मान का पात्र बनाता था।

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