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Allahabad High Court की निजी अस्पतालों को कड़ी चेतावनी, जानिए डॉक्टर की लापरवाही से हुआ क्या

Published On: July 25, 2025
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Allahabad High Court की निजी अस्पतालों को कड़ी चेतावनी, जानिए डॉक्टर की लापरवाही से हुआ क्या
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Allahabad High Court) ने निजी अस्पतालों (Private Hospitals) के बारे में एक सख्त टिप्पणी (Strong Remark) करते हुए कहा है कि वे मरीजों (Patients) को “ATM मशीन की तरह इस्तेमाल करते हैं” (Treat Patients like ATM Machines)। यह टिप्पणी चिकित्सा लापरवाही (Medical Negligence) के एक मामले में डॉक्टर अशोक कुमार राय (Dr. Ashok Kumar Rai) के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही (Criminal Proceedings) को रद्द करने से इनकार करते हुए की गई।

मामले की पृष्ठभूमि और आरोप:

न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार (Justice Prashant Kumar) ने पाया कि डॉ. अशोक कुमार (Dr. Ashok Kumar), जो एक नर्सिंग होम (Nursing Home) के मालिक हैं, ने एनेस्थेटिस्ट (Anesthetist) की अनुपस्थिति में एक गर्भवती महिला (Pregnant Woman) को सर्जरी के लिए भर्ती किया था। जब एनेस्थेटिस्ट पहुंचे, तब तक भ्रूण (Foetus) की मृत्यु हो चुकी थी।

अस्पतालों की ‘मनमानी’ और ‘रोगी लुभावन’ रणनीति:

अदालत ने कहा कि आजकल यह एक आम चलन (Common Practice) बन गया है कि निजी नर्सिंग होम/अस्पताल बिना डॉक्टरों या बुनियादी ढांचे के (Without Doctors or Infrastructure) मरीजों को उपचार के लिए लुभाने (Entice Patients) की कोशिश करते हैं। जब कोई मरीज निजी अस्पताल में भर्ती हो जाता है, तो वे मरीज का इलाज करने के लिए डॉक्टर को बुलाना शुरू कर देते हैं। यह एक सामान्य ज्ञान (Common Knowledge) है कि निजी अस्पताल/नर्सिंग होम केवल पैसे ऐंठने (Extort Money) के लिए मरीजों को ‘ गिनी पिग’ (Guinea Pig) या ATM मशीन की तरह मानने लगे हैं।

कानून और नैतिकता का टकराव:

यह मामला स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र (Healthcare Sector) में नैतिकता (Ethics)जवाबदेही (Accountability), और नैतिक कदाचार (Medical Malpractice) जैसे मुद्दों पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है। डॉक्टरों और अस्पतालों को रोगी की सुरक्षा (Patient Safety) को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए, और अनिवार्य योग्यताओं और सुविधाओं का पालन करना चाहिए।

सरकारी पहल और निगरानी की आवश्यकता:

भारत सरकार (Indian Government) और नीति निर्माताओं (Policymakers) के लिए यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है कि वे निजी अस्पतालों के कामकाज (Functioning of Private Hospitals) की सख्ती से निगरानी (Strict Monitoring) करें और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई (Strict Action) सुनिश्चित करें। ‘राइट टू हेल्थ’ (Right to Health) के संदर्भ में, यह मामला चिकित्सा सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता पर भी महत्वपूर्ण प्रकाश डालता है।

यह घटना भारत, अमेरिका और यूके के लिए एक सबक:

जबकि भारत (India)अमेरिका (USA), और यूनाइटेड किंगडम (UK) में स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों में भिन्नताएं हैं, चिकित्सा देखभाल की गुणवत्ता और नैतिकता एक सार्वभौमिक चिंता का विषय है। ऐसे मामले अस्पतालों को उनकी जिम्मेदारियों की याद दिलाते हैं और नियामकों को अपनी निगरानी मजबूत करने के लिए प्रेरित करते हैं।


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