Junior (‘जूनियर’), जो अपनी युथफुल एंट्री (Youthful Entry) और वायरल गाने ‘वाययारी’ (Viral Vaiyyari Song) से चर्चा में रही, आखिरकार आखिरकार पर्दे पर आ गई है। अभिनेता किरीटी (Kireeti), जो स्टार निर्माता गाली जनार्दन रेड्डी (Gali Janardhan Reddy) के बेटे हैं, इस फिल्म से बॉलीवुड (Bollywood) में अपनी शुरुआत कर रहे हैं। वहीं, श्रीलीला (Sreeleela), जिन्होंने अपनी अदाकारी से पहले ही कई लोगों का दिल जीत लिया है, इस फिल्म में भी लीड रोल में हैं। फिल्म में जेनेलिया डिसूजा (Genelia D’Souza) की कमबैक (Comeback) भी देखने को मिल रही है, जो एक मुख्य भूमिका निभा रही हैं। साथ ही, ‘बैंगलोर डेज’ (Bangalore Days) फेम अनिता कुमारस्वामी (Anitha Kumaraswamy) (यहां इनपुट के अनुसार नाम का उल्लेख जेनेलिया डिसूजा है) की नई एंट्री भी फिल्म को और दिलचस्प बना रही है। सुपरस्टार चिरंजीवी (Chiranjeevi), शिवा राजकुमार (Shiva Rajkumar), और एस.एस. राजामौली (S.S. Rajamouli) जैसे दिग्गजों ने भी इस फिल्म के प्रचार कार्यक्रमों में भाग लेकर इसे एक विशेष महत्व दिया है। लगभग 3 सालों बाद यह फिल्म बड़े पर्दे पर रिलीज हुई है, जो फैंस के बीच काफी उत्साह (Expectations) का माहौल बनाए हुए है।
फिल्म की कहानी:
‘जूनियर’ की कहानी अभिनव (Kireeti) नाम के एक लड़के के इर्द-गिर्द घूमती है, जो यादों (Memories) को बहुत महत्व देता है। उसका सिद्धांत है कि “साठ साल की उम्र में, हमारे पास कहने के लिए कुछ यादें तो होनी ही चाहिए।” वह कॉलेज के चार साल दोस्तों के साथ मस्ती-मजाक में बिताता है, और बचपन से छूटी हुई अपनी जिंदगी और यादों को इकट्ठा करने की कोशिश करता है। बाद में, उसे प्रेरणा (Spoorthi) नाम की लड़की से प्यार हो जाता है, जो उसी कंपनी में काम करती है जहाँ वह नौकरी हासिल करता है। हालाँकि, वहाँ उसका बॉस विजय सौजन्या (Vijay Sowjanya) (जेनेलिया) उसे बिल्कुल पसंद नहीं करती। विजय सौजन्या को अभि के नाम से जुड़ा ‘विजय नगरम’ शहर भी पसंद नहीं है। ऐसे में, मजबूरी में उसे उस शहर में जाना पड़ता है, जहाँ वह उस कर्मचारी, अभि, के साथ काम करता है जिसे वह पसंद नहीं करती। वहां क्या होता है? उस शहर का विजय सौजन्या से क्या संबंध है? और उसके और वहां रहने वाले कोडंडपानी (Kodandapani) (रविचंद्रन) के बीच क्या रिश्ता है? इन सब सवालों के जवाब जानने के लिए दर्शकों को फिल्म देखनी ही होगी।
फिल्म का विश्लेषण: क्या उम्मीदें हुईं पूरी?
जब कोई हीरो पहली फिल्म (First Film) में आता है, तो दर्शक अक्सर उसके डांस, फाइट, और स्क्रीन प्रेजेंस पर विशेष ध्यान देते हैं। नए टैलेंट को लॉन्च करने वाली फिल्में इसी गणना के आधार पर बनाई जाती हैं। ‘जूनियर’ भी कुछ वैसी ही फिल्म है। हालांकि फिल्म एक फ्लैशबैक (Flashback) के साथ शुरू होती है, पहला हाफ (First Half) मुख्य रूप से हीरो की विभिन्न हरकतों से भरा है। हीरो का पार्कर फाइटिंग (Parkour Fighting) से परिचय, उसके बाद एक ऊर्जावान डांस नंबर, और फिर अपने दोस्तों और हीरोइन के साथ शरारतें, यह सब एक ‘टेंपलेट’ (Template) की तरह आगे बढ़ता है। कॉमेडी (Comedy) ने कुछ हद तक दर्शकों का मनोरंजन किया।
कहानी में नया मोड़ और उम्मीदों पर पानी?
जेनेलिया (Genelia) के किरदार की एंट्री के बाद कहानी एक नया मोड़ लेती है। वहां से, परिवार (Family), संबंध (Relationships), और ग्रामीण पृष्ठभूमि (Rural Background) पर फोकस होता है, जो कहानी को दर्शकों की अपेक्षा से कहीं अधिक ले जाता है। लेकिन, यहाँ यह भी है कि फिल्म में कुछ भी नया या अनोखा महसूस नहीं होता। जिस तरह से हीरो और जेनेलिया के बीच के रिश्ते को दिखाया गया है, वह निश्चित रूप से दूसरे हाफ (Second Half) के प्रति जिज्ञासा बढ़ाता है।
हालांकि, कहानी में अप्रत्याशित मोड़ आने की उम्मीद के बावजूद, फ्लैशबैक के बाद कथा अचानक गांव की ओर फिर से लौटती है। यह कहानी ‘श्रीमांथुडु’ (Srimanthudu), ‘महर्षि’ (Maharshi) जैसी फिल्मों की याद दिलाती है। दूसरे हाफ में भावनाओं (Emotions) को अच्छी तरह से दिखाने का मौका होने के बावजूद, निर्देशक ने उस दिशा में अधिक ध्यान केंद्रित नहीं किया, जिससे केवल कुछ ही दृश्य प्रभावशाली रहे। टाईटल सीन (Climax Scene) से ठीक पहले आने वाला ट्विस्ट (Twist) हालाँकि दर्शकों को पसंद आ सकता है। यह एक कोशिश है हीरो की प्रतिभा को स्क्रीन पर दिखाने की, लेकिन कहानी में कुछ भी नयापन (Novelty) नहीं है।
कलाकारों का प्रदर्शन:
- किरीटी (Kireeti): अपनी ऊर्जावान एक्टिंग से उन्होंने दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। उनके डांस और फाइट सीक्वेंस शानदार थे। ‘वाययारी’ गाने में उनका प्रदर्शन ‘पैसे वसूल’ ( paisa vasool) जैसा था, जिसमें उन्होंने श्रीलीला के साथ ज़बरदस्त केमिस्ट्री (Chemistry) दिखाई।
- श्रीलीला (Sreeleela): उनकी भूमिका में कहानी के अनुसार ज्यादा कुछ करने को नहीं था। वह ज्यादातर गानों के लिए ही स्क्रीन पर दिखाई देती हैं, विशेषकर दूसरे हाफ के ‘वाययारी’ गाने में।
- जेनेलिया डिसूजा (Genelia D’Souza): कॉर्पोरेट कंपनी की सीईओ के रूप में उनका स्क्रीन प्रेजेंस (Screen Presence) और अभिनय दर्शकों को भाता है। उन्होंने एक महत्वपूर्ण भूमिका में वापसी की है, लेकिन उसमें भी अभिनय के लिए बहुत अधिक गुंजाइश (Scope) नहीं थी।
- सहायक कलाकार: राव रमेश (Rao Ramesh) और रविचंद्रन (Ravichandran) ने अपनी-अपनी सीमित भूमिकाओं में अच्छा प्रदर्शन किया है। अच्युत कुमार (Achyuth Kumar) ने विलेन (Villain) की भूमिका निभाई है, लेकिन उनका किरदार बहुत दमदार नहीं था। वाईवा हर्ष (Viva Harsha) और सत्या (Satya) ने कुछ दृश्यों में हास्य (Comedy) जोड़ने की कोशिश की है।
तकनीकी पक्ष:
तकनीकी रूप से, फिल्म ऊँचे स्तर (Technically Sound) पर है। देवी श्री प्रसाद का संगीत (Devi Sri Prasad’s Music) फिल्म का एक मुख्य आकर्षण है। सेंथिल कुमार (Senthil Kumar) का सिनेमैटोग्राफी (Cinematography) उत्कृष्ट है। एडिटिंग (Editing) और कला निर्देशन (Art Department) ने भी सराहनीय काम किया है। गीतकार कल्याण चक्रवर्ती (Kalyan Chakravarthy) ने संवादों (Dialogues) में भी अपनी प्रतिभा दिखाई है। निर्देशक राधा कृष्ण रेड्डी (Radha Krishna Reddy) ने निर्देशन में अपनी पकड़ तो दिखाई, लेकिन लेखन (Writing) में नयापन लाने में असफल रहे।
फिल्म के मुख्य मजबूत पहलू (Strengths):
- किरीटी का ऊर्जावान प्रदर्शन।
- फिल्म का पहला हाफ।
- ‘वाययारी’ गाना।
फिल्म की कमियां (Weaknesses):
- भावनाओं का कमजोर चित्रण।
- कहानी और कथानक में विविधता की कमी।
निष्कर्ष:
‘जूनियर’ एक ऐसी फिल्म है जो एक जानी-पहचानी कहानी को नए चेहरों के साथ प्रस्तुत करने की कोशिश करती है। हालाँकि इसमें कुछ मनोरंजक पल हैं, लेकिन कहानी के दोहराव और भावनात्मक गहराई की कमी इसे औसत दर्जे की फिल्म बना देती है। किरीटी का ऊर्जावान प्रदर्शन और देवी श्री प्रसाद का संगीत फिल्म को देखने लायक बना सकते हैं, लेकिन निर्देशक से और अधिक मौलिकता की उम्मीद की जा सकती थी।