“हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की!” पूरे देश में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव, कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) को लेकर धूम मची हुई है। चारों ओर मंदिरों को सजाया जा रहा है और कृष्ण भक्त अपने प्यारे ‘कान्हा’ के आगमन की तैयारियों में डूबे हुए हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही श्री कृष्ण का अवतरण हुआ था, और इसी पुण्यतिथि का स्मरण करते हुए हर साल जन्माष्टमी का महापर्व मनाया जाता है।
इस पावन अवसर पर, देश के इस्कॉन (ISKCON) मंदिरों से लेकर मथुरा, वृंदावन और द्वारका तक, हर जगह भक्त “हरे कृष्णा” के संकीर्तन में डूबे रहते हैं। हर तरफ भगवान को छप्पन भोग (56 bhog) लगाकर उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस साल, पंचांग के अनुसार, जन्माष्टमी की अष्टमी तिथि आज रात, यानी 15 अगस्त, शुक्रवार से ही शुरू हो रही है, लेकिन जन्माष्टमी का व्रत और उत्सव 16 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा। आइए, जानते हैं इस विशेष त्योहार की तिथि और शुभ मुहूर्त का पूरा विवरण।
जन्माष्टमी 2025: अष्टमी तिथि कब से कब तक? (Janmashtami 2025 Tithi)
इस साल अष्टमी तिथि को लेकर पंचांगों में थोड़ा मतभेद है, लेकिन पूजा और उत्सव का दिन एक ही है।
1. विशुद्ध सिद्धांत पंचांग के अनुसार:
- अष्टमी तिथि का आरंभ: शुक्रवार, 15 अगस्त की रात 11 बजकर 51 मिनट से।
- अष्टमी तिथि का समापन: शनिवार, 16 अगस्त की रात 09 बजकर 35 मिनट पर।
2. गुप्तप्रेस पंजिकामते (गुप्ता प्रेस पंचांग) के अनुसार:
- अष्टमी तिथि का आरंभ: शुक्रवार, 15 अगस्त की देर रात (यानी 16 अगस्त की शुरुआत में) 01 बजकर 16 मिनट 09 सेकंड से।
- अष्टमी तिथि का समापन: शनिवार, 16 अगस्त की रात 10 बजकर 48 मिनट 03 सेकंड पर।
दोनों ही पंचांगों के अनुसार, अष्टमी तिथि 16 अगस्त को पूरे दिन रहेगी, इसलिए उदयातिथि के अनुसार जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त, शनिवार को मनाना ही शास्त्रसम्मत है।
पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त और ब्रह्म मुहूर्त
श्री कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था, इसलिए जन्माष्टमी की पूजा निशिथ काल में करना सबसे शुभ माना जाता है।
- निशिथ पूजा का समय: आज रात (15 अगस्त की रात) 12 बजकर 06 मिनट से शुरू होकर लगभग 45 मिनट तक रहेगा। जो लोग आज रात पूजा करना चाहते हैं, उनके लिए यह समय उत्तम है। हालांकि, मुख्य पूजा और व्रत 16 अगस्त को ही होगा।
- दही-हांडी उत्सव: पूरे देश में, विशेषकर महाराष्ट्र और गुजरात में धूम-धाम से मनाया जाने वाला ‘दही-हांडी’ (Dahi-Handi) का उत्सव 16 अगस्त को मनाया जाएगा।
- रोहिणी नक्षत्र: विशेष पंचांग के अनुसार, कृष्ण जन्म का प्रतीक रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त को सुबह 04 बजकर 38 मिनट से शुरू होगा।
- ब्रह्म मुहूर्त: 16 अगस्त को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर सुबह 05 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। ऐसे शुभ दिन और शुभ मुहूर्त में सुबह उठकर श्री कृष्ण नाम संकीर्तन में लीन होना भक्तों के लिए बेहद फलदायी होता है।