आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना इस साल भारतीय करदाताओं के लिए प्रक्रिया का सिर्फ पहला कदम है। किसी भी तरह के जुर्माने, देरी या कानूनी (समस्याओं से) बचने के लिए अब रिटर्न फाइल करने के 30 दिनों के भीतर उसे ई-वेरिफाई (e-verify) करना अनिवार्य हो गया है। अगर आप इस महत्वपूर्ण कदम को चूक जाते हैं, तो आपका फाइल किया गया रिटर्न भी अमान्य माना जा सकता है।
मूल्यांकन वर्ष 2025-26 के लिए, आयकर विभाग ने नियमों में यह महत्वपूर्ण बदलाव किया है। इस नए नियम का उद्देश्य टैक्स प्रक्रिया को अधिक कुशल, सुरक्षित और तेज बनाना है, लेकिन साथ ही यह हर फाइलर पर एक नई जिम्मेदारी भी डालता है। आइए, इस साल एक सहज और जुर्माना-मुक्त टैक्स-रिटर्न अनुभव सुनिश्चित करने के लिए आपको जो कुछ भी जानने की जरूरत है, उसे सरल भाषा में समझते हैं।
1. ई-वेरिफिकेशन क्या है और यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
ई-वेरिफिकेशन (E-verification) यानी इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन, यह पुष्टि करने की प्रक्रिया है कि आपका आयकर रिटर्न (ITR) वास्तव में आपके द्वारा ही दाखिल किया गया है, किसी और ने नहीं। जब तक आप अपने रिटर्न को ई-वेरिफाई नहीं करते, तब तक आयकर विभाग द्वारा इसे आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं किया जाता है। यह कदम धोखाधड़ी को रोकता है, डेटा की सटीकता सुनिश्चित करता है, और यह साबित करता है कि आपका रिटर्न वास्तविक है। बिना ई-वेरिफिकेशन के, आपकी ITR फाइलिंग अधूरी मानी जाती है।
2. ITR ई-वेरिफिकेशन के लिए 30-दिन की डेडलाइन
आधिकारिक टैक्स पोर्टल पर अपना आईटीआर अपलोड करने के बाद, आपको 30 दिनों के भीतर ई-सत्यापन प्रक्रिया पूरी करनी होगी। यह 30-दिन की गिनती आपकी रिटर्न जमा करने की तारीख से ही शुरू हो जाती है। यदि यह समय-सीमा चूक जाती है, तो आपके आईटीआर को अमान्य माना जा सकता है, और आपको विलंब शुल्क के साथ संशोधित रिटर्न (revised return) दाखिल करना पड़ सकता है।
3. यदि आप समय-सीमा चूक जाते हैं तो क्या होगा?
अगर आप 30 दिनों के भीतर अपना ITR ई-वेरिफाई करने में विफल रहते हैं:
- रिटर्न अमान्य माना जाएगा: आपके रिटर्न को समय पर दाखिल नहीं माना जाएगा, भले ही आपने उसे अंतिम तिथि से पहले जमा कर दिया हो।
- टैक्स विभाग से नोटिस: आपको आयकर विभाग से नोटिस मिल सकता है।
- रिफंड में देरी: यदि आपका कोई टैक्स रिफंड बनता है, तो उसमें देरी होगी या उसे अस्वीकार कर दिया जाएगा।
- जुर्माना और ब्याज: आप पर देर से फाइलिंग का जुर्माना (late filing penalty) और ब्याज लगाया जा सकता है।
- संशोधित रिटर्न की आवश्यकता: आपको पूरी प्रक्रिया दोबारा करनी पड़ सकती है और एक संशोधित रिटर्न दाखिल करना पड़ सकता है।
4. अपना आईटीआर ई-वेरिफाई कैसे करें: स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
ई-वेरिफिकेशन के कई त्वरित और आसान तरीके हैं, जिन्हें आप घर बैठे कुछ ही मिनटों में पूरा कर सकते हैं:
- आधार ओटीपी के माध्यम से: आयकर ई-फाइलिंग पोर्टल पर अपने आधार से जुड़े मोबाइल नंबर पर प्राप्त ओटीपी का उपयोग करके। यह सबसे तेज और लोकप्रिय तरीका है।
- नेट बैंकिंग के जरिए: अपने पैन से जुड़े नेट बैंकिंग खाते के माध्यम से पोर्टल पर लॉग इन करके।
- बैंक खाते या डीमैट खाते के माध्यम से: आप अपने पूर्व-सत्यापित बैंक खाते या डीमैट खाते के माध्यम से भी ई-वेरिफिकेशन कोड (EVC) जनरेट कर सकते हैं।
- डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC) के साथ: यह विकल्प मुख्य रूप से कंपनियों और उन पेशेवरों के लिए है जिनके लिए DSC अनिवार्य है।
पोर्टल पर लॉग इन करने के बाद, ‘ई-वेरिफाई रिटर्न’ (E-Verify Return) विकल्प चुनें और दिए गए निर्देशों का पालन करें। यदि आपके खाते और आधार लिंक हैं तो इसमें बस कुछ मिनट लगते हैं।
5. 2025 में करदाताओं के लिए मुख्य सुझाव (Key Tips for Taxpayers)
- तारीख नोट करें: अपने आईटीआर जमा करने की तारीख को ध्यान से देखें और कैलेंडर में 30-दिन की समय-सीमा को मार्क कर लें।
- मोबाइल नंबर अपडेट रखें: सुनिश्चित करें कि आधार से जुड़ा आपका मोबाइल नंबर ओटीपी प्राप्त करने के लिए सक्रिय है।
- बैंक और पैन विवरण जांचें: अपने बैंक और पैन विवरण को हमेशा अपडेट रखें।
- पावती सहेजें: ई-वेरिफिकेशन की पावती (acknowledgement) को अपने रिकॉर्ड के लिए सहेजें या प्रिंट करें।
इन कदमों का पालन करके और समय पर अपने रिटर्न को ई-वेरिफाई करके, आप नियमों का पालन कर सकते हैं, जुर्माने से बच सकते हैं, और रिफंड की तेज प्रोसेसिंग सुनिश्चित कर सकते हैं। इस साल यह न भूलें कि आईटीआर फाइल करना जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्वपूर्ण उसे ई-वेरिफाई करना भी है!