प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के भाषण में किए गए “दिवाली उपहार” (“Diwali gift”) के वादे को पूरा करते हुए, वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद ने देश की कर संरचना में अब तक का सबसे बड़ा बदलाव करते हुए “GST 2.0” को अपनी मंजूरी दे दी है। इस ऐतिहासिक सुधार के तहत, ‘एक देश, एक टैक्स’ को और भी सरल बनाते हुए, अब केवल दो स्लैब – 5% और 18% – होंगे। लेकिन, इस सरलीकरण के साथ-साथ, सिगरेट, पान मसाला और मीठे पेय जैसे सिन गुड्स (Sin Goods) और लग्जरी आइटम्स पर 40% का एक नया और उच्चतम टैक्स स्लैब लगाया गया है, जो अब तक के 28% के स्लैब से बहुत अधिक है।
यह बदलाव 22 सितंबर, 2025 तक लागू होने की उम्मीद है। 3 सितंबर को हुई जीएसटी परिषद की बैठक में इस ओवरहॉल को अंतिम रूप दिया गया, जिसका उद्देश्य कर प्रणाली को पारदर्शी बनाना और आम आदमी को राहत देना है।
क्या-क्या हुआ 40% टैक्स स्लैब में शामिल? (List of Sin and Luxury Goods)
“सिन गुड्स” या “डीमेरिट गुड्स” वे वस्तुएं हैं जिन्हें स्वास्थ्य या समाज के लिए हानिकारक माना जाता है और उन पर उच्चतम दर से कर लगाया जाता है। जिन उत्पादों को 40% के स्लैब में रखा जाएगा उनमें शामिल हैं:
- तंबाकू और संबंधित उत्पाद: सिगरेट, सिगार, चबाने वाला तंबाकू, गुटखा, पान मसाला, बीड़ी, सुगंधित तंबाकू।
- मीठे और फ्लेवर्ड ड्रिंक्स: अतिरिक्त चीनी के साथ वातित जल सहित सभी कार्बोनेटेड, कैफीनयुक्त पेय और एनर्जी ड्रिंक।
- लग्जरी वाहन: हाई-एंड कारें और एसयूवी।
- जंक फूड: चीनी, नमक या ट्रांस फैट में उच्च प्रसंस्कृत वस्तुएं।
- परिवहन क्षेत्र: कुछ लग्जरी/चयनित परिवहन-संबंधित वस्तुएं और सेवाएं भी 28% से 40% में स्थानांतरित की गईं।
- विविध: आयातित/ड्यूटी योग्य व्यक्तिगत उपयोग के लेख।
(ध्यान दें: शराब जीएसटी के दायरे से बाहर है और राज्यों द्वारा अलग से उत्पाद शुल्क के माध्यम से कर लगाया जाता है।)
क्यों लगाया जाता है ‘सिन टैक्स’? (What is a Sin Tax?)
सिन टैक्स एक उत्पाद शुल्क है जो उन वस्तुओं पर लगाया जाता है जिन्हें हानिकारक या सामाजिक रूप से महंगा माना जाता है। कीमत बढ़ाकर, ये कर दोहरे उद्देश्य की पूर्ति करते हैं: उपयोग को हतोत्साहित करना और सार्वजनिक कल्याण के लिए अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न करना।
- एक अनुमान के अनुसार, अकेले सिगरेट की खपत देश की जीडीपी का 1% से अधिक खर्च करती है, जिससे सरकार को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक उत्पादों पर पाप कर लगाने के लिए प्रेरित किया गया। एकत्र किए गए राजस्व को अक्सर कल्याणकारी कार्यक्रमों में लगाया जाता है।
ITC और तंबाकू उद्योग पर क्या होगा असर?
आईटीसी लिमिटेड (ITC Ltd) जैसी कंपनियों के लिए, जो अपने शुद्ध लाभ का 80% से अधिक सिगरेट से प्राप्त करती है, यह नया ढांचा जोखिम और राहत दोनों लेकर आया है।
- राहत: ET की एक रिपोर्ट के अनुसार, जबकि स्लैब को बढ़ाया जा रहा ہے, जीएसटी और सेस को मिलाकर तंबाकू पर कुल कर का बोझ 88% पर अपरिवर्तित रहेगा। ब्रोकरेज फर्म जेफरीज (Jefferies) ने कहा था कि सरकार का राजस्व तटस्थता (revenue neutrality) बनाए रखने का इरादा ITC के लिए एक राहत के रूप में देखा जाएगा। एक स्थिर कराधान नीति अवैध सिगरेट व्यापार को रोकने में भी मदद करती है।
- जोखिम: जेफरीज ने आगाह किया कि विशिष्ट (specific) और यथामूल्य (ad valorem) शुल्कों के बीच का संतुलन महत्वपूर्ण होगा।
उद्योग जगत से मिली-जुली प्रतिक्रिया
इस कर वृद्धि पर उद्योग जगत से तीखी प्रतिक्रिया मिलने की संभावना है।
- स्वदेशी जागरण मंच (SJM) ने पिछले साल ही इस तरह के प्रस्ताव को एक “बुरा विचार” कहा था, यह तर्क देते हुए कि इससे तस्करी को बढ़ावा मिल सकता है और देश के लिए राजस्व का नुकसान हो सकता है।
- इंडियन बेवरेज एसोसिएशन (IBA) ने तर्क दिया है कि कार्बोनेटेड शीतल पेय पर 40% का शुल्क नवाचार और विकास को हतोत्साहित करता है।
वहीं, अधिकारियों ने इस ओवरहॉल का बचाव करते हुए कहा है कि यह वृद्धिशील फेरबदल के बजाय एक व्यापक और दीर्घकालिक समाधान के रूप में डिजाइन किया गया है।