ITR (आयकर रिटर्न Income Tax Return) दाखिल करना एक महत्वपूर्ण वित्तीय जिम्मेदारी है, लेकिन ज्यादातर लोग यह समझते हैं कि एक बार आईटीआर फाइल कर दिया, तो उनका काम खत्म हो गया। अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं, तो आप एक बड़ी गलती कर रहे हैं! सिर्फ आईटीआर फाइल करना ही काफी नहीं है, बल्कि उसे सही तरीके से फाइल करना और वेरिफाई करना भी उतना ही जरूरी है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले साल 2 करोड़ से अधिक टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स विभाग से नोटिस मिला, और इसका कारण कोई बड़ी टैक्स चोरी नहीं, बल्कि तीन ऐसी सामान्य और टाली जा सकने वाली गलतियां थीं, जो अक्सर लोग आईटीआर फाइल करने के बाद कर देते हैं।
ITR फाइल करना ही काफी नहीं, 2 करोड़ लोगों को इन 3 गलतियों के कारण मिला नोटिस!
टैक्स और फाइनेंशियल एक्सपर्ट चंद्रलेखा एमआर ने अपने एक लिंक्डइन पोस्ट में चौंकाने वाले आंकड़े साझा किए हैं। उनके अनुसार, आकलन वर्ष (AY) 2024-25 के लिए दाखिल किए गए 7 करोड़ आईटीआर में से केवल 5.34 करोड़ ही सफलतापूर्वक प्रोसेस हो पाए। इसका मतलब है कि करोड़ों लोगों के रिटर्न में कुछ न कुछ गड़बड़ी थी।
चंद्रलेखा ने बताया, “ये कोई जटिल टैक्स चोरी के मामले नहीं हैं। ये वे आम लोग हैं जिन्होंने आईटीआर दाखिल करने के बाद कुछ सरल लेकिन महत्वपूर्ण गलतियां कीं।“
आइए, उन तीन सबसे आम गलतियों के बारे में विस्तार से जानते हैं, जो आपको इनकम टैक्स विभाग के नोटिस का शिकार बना सकती हैं।
गलती नंबर 1: आईटीआर को ई-वेरिफाई (e-Verify) न करना
यह सबसे आम और सबसे बड़ी गलती है।
- क्या है समस्या? आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2024 तक लगभग 32 लाख टैक्सपेयर्स ने अपना आईटीआर तो दाखिल कर दिया, लेकिन उसे कभी ई-वेरिफाई ही नहीं किया।
- नियम क्या कहता है? इनकम टैक्स के नियमों के अनुसार, आईटीआर दाखिल करने के 30 दिनों के भीतर उसे ई-वेरिफाई करना अनिवार्य है।
- क्या होगा नुकसान? यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आपका फाइल किया गया रिटर्न अमान्य (Invalid) माना जाता है। इसका मतलब है कि अगर आपका कोई रिफंड बन रहा है, तो वह आपको नहीं मिलेगा, और विभाग आप पर ₹5,000 तक का जुर्माना भी लगा सकता है।
गलती नंबर 2: AIS मिसमैच को नजरअंदाज करना
इनकम टैक्स विभाग अब बहुत स्मार्ट हो गया है और उसके पास आपकी सभी वित्तीय जानकारियों का लेखा-जोखा होता है, जो वार्षिक सूचना विवरण (Annual Information Statement – AIS) में दिखाई देता है।
- क्या है समस्या? अक्सर, टैक्सपेयर्स द्वारा अपने आईटीआर में भरी गई जानकारी और उनके AIS में दिख रही जानकारी में अंतर (mismatch) होता है।
- उदाहरण से समझें: हो सकता है कि आपके बैंक स्टेटमेंट में ₹50,000 का डिविडेंड दिख रहा हो, लेकिन आपके AIS में यह ₹55,000 दिखे, क्योंकि इसमें TDS भी शामिल होता है।
- क्या होगा नुकसान? यह छोटा सा दिखने वाला अंतर भी आपको टैक्स विभाग का नोटिस दिला सकता है। एक मामले में, एक टैक्सपेयर को उस कंपनी से आय के लिए नोटिस मिल गया, जिसमें उसके पास कोई शेयर ही नहीं थे—इस गलती को सुलझाने में छह महीने लग गए।
गलती नंबर 3: गलत आईटीआर फॉर्म का चुनाव करना
इनकम टैक्स विभाग ने अलग-अलग आय स्रोतों के लिए अलग-अलग आईटीआर फॉर्म निर्धारित किए हैं। सही फॉर्म का चुनाव करना बेहद जरूरी है।
- क्या है समस्या? कई लोग आसानी के लिए सरल फॉर्म जैसे ITR-1 (सहज) चुन लेते हैं, जबकि उनकी आय के स्रोत (जैसे- कैपिटल गेन्स, एक से अधिक घर से आय, या विदेशी आय) उस फॉर्म के लिए अपात्र होते हैं।
- क्या होगा नुकसान? गलत फॉर्म का उपयोग करने पर आपका रिटर्न अपने आप ही अमान्य हो जाता है। चंद्रलेखा ने मुंबई के एक टैक्सपेयर का उदाहरण दिया जिसने गलत जानकारी देकर अपनी 50% आय कम बताई, जिसके कारण उस पर ₹1.46 लाख का जुर्माना लगा। गलत जानकारी देने या आय छिपाने पर 200% तक का भारी जुर्माना लग सकता है।
ITR एक कानूनी दस्तावेज है, कोई फॉर्मेलिटी नहीं
चंद्रलेखा जोर देकर कहती हैं कि आईटीआर सिर्फ एक कागजी कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह एक कानूनी दस्तावेज है जो आपके रिफंड, आपके कंप्लायंस हिस्ट्री और आने वाले कई सालों तक आप पर लगने वाले संभावित जुर्मानों को प्रभावित करता है। इसलिए, अगली बार जब आप अपना आईटीआर दाखिल करें, तो इन तीन गलतियों से बचने का पूरा ध्यान रखें।