---Advertisement---

Delhi High Court का बड़ा फैसला-  SSC को नेत्रहीन छात्रों के लिए वेबसाइट बदलने का आदेश

Published On: July 26, 2025
Follow Us
डिजिटल इंडिया के इस युग में जहां हर सेवा ऑनलाइन हो रही है, वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने डिजिटल पहुंच (Digital Accessibility) के एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर सरकार का ध्यान खींचा है। कोर्ट ने देश में सरकारी नौकरियों के लिए सबसे बड़ी भर्ती परीक्षा आयोजित करने वाले कर्मचारी चयन आयोग (Staff Selection Commission - SSC) को अपनी डिजिटल नीतियों पर फिर से विचार करने और अपने परीक्षा आवेदन पोर्टल को नेत्रहीन उम्मीदवारों (Visually Impaired Candidates) के लिए अधिक सुलभ बनाने का सख्त निर्देश दिया है। यह मामला तब सामने आया जब एक याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कई सरकारी परीक्षाओं के लिए आवेदन करने के लिए एक आवश्यक कदम, चेहरे की पहचान (Face Recognition) के माध्यम से लाइव तस्वीरें अपलोड करने में दृष्टिबाधित व्यक्तियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। क्या है पूरा मामला और कोर्ट ने क्या कहा? यह निर्देश गुरुवार को एक सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायाधीश तुषार राव गेडेला की पीठ ने जारी किया। न्यायाधीशों ने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा प्रणाली नेत्रहीन उम्मीदवारों पर एक अनुचित बोझ डालती है और इसे हर हाल में अधिक समावेशी (inclusive) बनाया जाना चाहिए। यह केस नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड की ओर से संतोष कुमार रुंगटा द्वारा दायर किया गया था। याचिका में, उन्होंने बताया कि संयुक्त स्नातक स्तरीय (CGL), संयुक्त उच्चतर माध्यमिक स्तरीय (CHSL), और मल्टी-टास्किंग स्टाफ (MTS) जैसी 2025 की महत्वपूर्ण परीक्षाओं के लिए उम्मीदवारों को चेहरे की पहचान के जरिए लाइव तस्वीरें अपलोड करना आवश्यक है। हालांकि, कुछ नेत्रहीन उम्मीदवारों के लिए, शारीरिक रूप से ऐसा कर पाना संभव नहीं है। याचिका में तर्क दिया गया, "इन उम्मीदवारों को योग्यता के कारण नहीं, बल्कि एक ऐसी प्रणाली के कारण पीछे छोड़ा जा रहा है जो उनके लिए नहीं बनाई गई है।" याचिका में वर्तमान पोर्टल सेटअप को संविधान के तहत मिले बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन बताया गया। सबूत के तौर पर पेश की गईं 60 ईमेल शिकायतें अपने तर्क का समर्थन करने के लिए, याचिकाकर्ता ने दृष्टिबाधित व्यक्तियों की 60 ईमेल शिकायतें भी अदालत में प्रस्तुत कीं, जो पोर्टल के डिजाइन के कारण अपने आवेदन पूरे नहीं कर पाए थे। अदालत ने SSC को इन ईमेलों की जांच करने और उनमें उल्लिखित शिकायतों का समाधान करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा, "हम एसएससी से अनुरोध करते हैं कि वह इन 60 ईमेलों में उल्लिखित शिकायतों पर गौर करे। याचिका में उठाए गए बड़े मुद्दे की जांच भविष्य की परीक्षाओं के संदर्भ में की जाएगी।" कोर्ट ने यह भी कहा कि एक दीर्घकालिक समाधान आवश्यक है, लेकिन मौजूदा समस्याओं पर भी त्वरित ध्यान देने की जरूरत है। SSC अधिकारियों को याचिकाकर्ता से मिलने का निर्देश अदालत ने SSC अधिकारियों को याचिकाकर्ता से व्यक्तिगत रूप से मिलने और इन चिंताओं का समाधान करने का भी निर्देश दिया। न्यायाधीशों ने आगे कहा, "यह वास्तविक मुद्दे हैं जिन्हें हल करने की आवश्यकता है। भविष्य में, अधिक सचेत रहें। भविष्य की परीक्षाओं के लिए अपनी योजनाओं के साथ आएं।" मामले की अगली सुनवाई अब 12 नवंबर को होगी। अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह उम्मीद करती है कि SSC सभी उम्मीदवारों, विशेष रूप से दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के लिए एक अधिक सुलभ डिजिटल आवेदन प्रक्रिया बनाने की दिशा में ठोस कदमों के साथ तैयार होकर आएगी। यह फैसला दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों और समान अवसरों के लिए एक बड़ी जीत माना जा रहा है।
---Advertisement---

डिजिटल इंडिया के इस युग में जहां हर सेवा ऑनलाइन हो रही है, वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने डिजिटल पहुंच (Digital Accessibility) के एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर सरकार का ध्यान खींचा है। कोर्ट ने देश में सरकारी नौकरियों के लिए सबसे बड़ी भर्ती परीक्षा आयोजित करने वाले कर्मचारी चयन आयोग (Staff Selection Commission – SSC) को अपनी डिजिटल नीतियों पर फिर से विचार करने और अपने परीक्षा आवेदन पोर्टल को नेत्रहीन उम्मीदवारों (Visually Impaired Candidates) के लिए अधिक सुलभ बनाने का सख्त निर्देश दिया है।

यह मामला तब सामने आया जब एक याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कई सरकारी परीक्षाओं के लिए आवेदन करने के लिए एक आवश्यक कदम, चेहरे की पहचान (Face Recognition) के माध्यम से लाइव तस्वीरें अपलोड करने में दृष्टिबाधित व्यक्तियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

क्या है पूरा मामला और कोर्ट ने क्या कहा?

यह निर्देश गुरुवार को एक सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायाधीश तुषार राव गेडेला की पीठ ने जारी किया। न्यायाधीशों ने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा प्रणाली नेत्रहीन उम्मीदवारों पर एक अनुचित बोझ डालती है और इसे हर हाल में अधिक समावेशी (inclusive) बनाया जाना चाहिए।

यह केस नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड की ओर से संतोष कुमार रुंगटा द्वारा दायर किया गया था। याचिका में, उन्होंने बताया कि संयुक्त स्नातक स्तरीय (CGL)संयुक्त उच्चतर माध्यमिक स्तरीय (CHSL), और मल्टी-टास्किंग स्टाफ (MTS) जैसी 2025 की महत्वपूर्ण परीक्षाओं के लिए उम्मीदवारों को चेहरे की पहचान के जरिए लाइव तस्वीरें अपलोड करना आवश्यक है। हालांकि, कुछ नेत्रहीन उम्मीदवारों के लिए, शारीरिक रूप से ऐसा कर पाना संभव नहीं है।

याचिका में तर्क दिया गया, “इन उम्मीदवारों को योग्यता के कारण नहीं, बल्कि एक ऐसी प्रणाली के कारण पीछे छोड़ा जा रहा है जो उनके लिए नहीं बनाई गई है।” याचिका में वर्तमान पोर्टल सेटअप को संविधान के तहत मिले बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन बताया गया।

सबूत के तौर पर पेश की गईं 60 ईमेल शिकायतें

अपने तर्क का समर्थन करने के लिए, याचिकाकर्ता ने दृष्टिबाधित व्यक्तियों की 60 ईमेल शिकायतें भी अदालत में प्रस्तुत कीं, जो पोर्टल के डिजाइन के कारण अपने आवेदन पूरे नहीं कर पाए थे। अदालत ने SSC को इन ईमेलों की जांच करने और उनमें उल्लिखित शिकायतों का समाधान करने का निर्देश दिया।

पीठ ने कहा, “हम एसएससी से अनुरोध करते हैं कि वह इन 60 ईमेलों में उल्लिखित शिकायतों पर गौर करे। याचिका में उठाए गए बड़े मुद्दे की जांच भविष्य की परीक्षाओं के संदर्भ में की जाएगी।” कोर्ट ने यह भी कहा कि एक दीर्घकालिक समाधान आवश्यक है, लेकिन मौजूदा समस्याओं पर भी त्वरित ध्यान देने की जरूरत है।

SSC अधिकारियों को याचिकाकर्ता से मिलने का निर्देश

अदालत ने SSC अधिकारियों को याचिकाकर्ता से व्यक्तिगत रूप से मिलने और इन चिंताओं का समाधान करने का भी निर्देश दिया। न्यायाधीशों ने आगे कहा, “यह वास्तविक मुद्दे हैं जिन्हें हल करने की आवश्यकता है। भविष्य में, अधिक सचेत रहें। भविष्य की परीक्षाओं के लिए अपनी योजनाओं के साथ आएं।

मामले की अगली सुनवाई अब 12 नवंबर को होगी। अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह उम्मीद करती है कि SSC सभी उम्मीदवारों, विशेष रूप से दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के लिए एक अधिक सुलभ डिजिटल आवेदन प्रक्रिया बनाने की दिशा में ठोस कदमों के साथ तैयार होकर आएगी। यह फैसला दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों और समान अवसरों के लिए एक बड़ी जीत माना जा रहा है।


Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now