Cheteshwar Pujara: टेस्ट क्रिकेट (Indian Test Cricket) के आसमान का एक चमकता सितारा आज अस्त हो गया। टीम इंडिया की ‘दीवार’ (‘The Wall’) के नाम से मशहूर, भारत के सबसे भरोसेमंद और सम्मानित टेस्ट बल्लेबाजों में से एक, चेतेश्वर पुजारा ने रविवार को भारतीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से अपने संन्यास की घोषणा कर दी है। 37 वर्षीय इस बल्लेबाज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक भावुक पोस्ट साझा करते हुए अपने देश का प्रतिनिधित्व करने के गौरव और भावना को याद किया।
पुजारा का संन्यास भारतीय टेस्ट क्रिकेट में एक युग के अंत का प्रतीक है, खासकर उस दौर का जब क्रीज पर टिके रहने और गेंदबाज को थकाने की कला को सर्वोच्च माना जाता था।
“हर अच्छी चीज का अंत होता है…” – पुजारा का भावुक विदाई संदेश
अपने प्रशंसकों और क्रिकेट जगत को यह खबर देते हुए, पुजारा ने अपने दिल की बात लिखी:
“भारत की जर्सी पहनना, राष्ट्रगान गाना, और हर बार जब मैं मैदान पर कदम रखता था तो अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करना – इन शब्दों में यह बयां करना असंभव है कि इसका वास्तव में क्या मतलब था। लेकिन जैसा कि वे कहते हैं, हर अच्छी चीज का अंत होना निश्चित है, और अपार कृतज्ञता के साथ मैंने भारतीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लेने का फैसला किया है।”
यह संदेश उस गहरे जुड़ाव को दर्शाता है जो पुजारा ने 13 साल के लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान भारतीय क्रिकेट से महसूस किया।
एक नजर ‘द वॉल’ के शानदार करियर पर
- टेस्ट डेब्यू: पुजारा ने 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया और 103 टेस्ट खेले, जिसमें 43.61 की शानदार औसत से 7,195 रन बनाए।
- रन मशीन: उनके नाम 19 शतक और 35 अर्धशतक हैं, और उनका उच्चतम टेस्ट स्कोर 206 रन है।
- संक्षिप्त वनडे करियर: उन्होंने पांच एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय (ODI) मैचों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें उन्होंने 51 रन बनाए।
क्यों कहा जाता था उन्हें ‘चट्टान’ और ‘नई दीवार’?
अपनी चट्टान जैसी ठोस तकनीक (rock-solid technique) और क्रीज पर अविश्वसनीय धैर्य (remarkable patience) के लिए जाने जाने वाले, पुजारा ने अक्सर चुनौतीपूर्ण विदेशी परिस्थितियों में भारत की बल्लेबाजी को एक साथ बांधे रखा। वह राहुल द्रविड़ के बाद भारत की नई ‘दीवार’ बनकर उभरे।
उनकी यही दृढ़ता और जुझारूपन ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में भारत की ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीत में महत्वपूर्ण था। कौन भूल सकता है 2020-21 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई वह सीरीज, जब पुजारा ने अपने शरीर पर अनगिनत गेंदें झेलीं, लेकिन क्रीज नहीं छोड़ी और गाबा में भारत की ऐतिहासिक जीत की नींव रखी।
WTC फाइनल था आखिरी मैच
37 वर्षीय इस खिलाड़ी ने आखिरी बार 2023 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप (World Test Championship) फाइनल के दौरान एक टेस्ट मैच में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
- तब से, वह भारतीय टेस्ट टीम से बाहर चल रहे थे, लेकिन उन्होंने खेल के प्रति अपने अटूट प्रेम और प्रतिबद्धता को साबित करते हुए घरेलू क्रिकेट (domestic cricket) में लगातार अच्छा प्रदर्शन करना जारी रखा।
अपने संदेश में, पुजारा ने अपने करियर के दौरान उनके समर्थन के लिए अपने साथियों, कोचों और प्रशंसकों को धन्यवाद दिया। उनका संन्यास भारतीय क्रिकेट, विशेष रूप से टेस्ट प्रारूप के लिए एक युग का अंत है। एक धैर्यवान, भरोसेमंद और तकनीकी रूप से शानदार बल्लेबाज के रूप में पुजारा की विरासत आने वाले वर्षों तक युवा क्रिकेटरों को प्रेरित करती रहेगी।







