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CG Police का ₹135 करोड़ का घोटाला, 5 जिलों में 56 हजार किराए की गाड़ियां, जानिए सच

Published On: July 25, 2025
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Chhattisgarh Police का ₹135 करोड़ का घोटाला, 5 जिलों में 56 हजार किराए की गाड़ियां, जानिए सच
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छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में पुलिस विभाग (Police Department) द्वारा किराए की गाड़ियों (Rented Vehicles) के इस्तेमाल में बड़े स्तर पर अनियमितता (Large Scale Irregularities) का खुलासा हुआ है। ‘द सूत्र’ (The Sootr) की पड़ताल (Investigation) से पता चला है कि राज्य के सिर्फ पांच जिलों (Five Districts) में पुलिस 56,000 से अधिक किराए की गाड़ियों (Rented Vehicles) का इस्तेमाल कर रही है, जबकि किसी भी तरह की कोई स्पष्ट गाइडलाइन (Clear Guideline) नहीं है। यह चौंकाने वाला खुलासा ‘मनमाने ढंग से गाड़ियों की खरीद’ (Picking and Driving Vehicles at Will) और ₹135 करोड़ के कथित दुरुपयोग (Alleged Misuse of ₹135 Crore) की ओर इशारा करता है।

5 जिलों में 56,000 किराए की गाड़ियाँ: किस नियम के तहत?

रिपोर्टों के अनुसार, पुलिस महकमे ने बिना किसी निर्धारित नियम या दिशानिर्देश (Without Any Guideline) के मनमाने ढंग से गाड़ियां किराए पर ली हैं। राजधानी रायपुर (Capital Raipur) सहित गृहमंत्री के जिले (Home Minister’s District) और चार अन्य जिलों में इस तरह की गतिविधियों की बात सामने आई है। यह स्पष्ट नहीं है कि इन गाड़ियों की आवश्यकता (Necessity) क्या थी, और किराए की लागत (Rent) का भुगतान कैसे और किन स्रोतों से किया जा रहा है।

₹135 करोड़ का भारी-भरकम खर्च: क्या यह करप्शन है?

‘द सूत्र’ की पड़ताल (Investigation by The Sootr) से पता चला है कि इस ‘गोरखधंधे’ (Racket) में ₹135 करोड़ से अधिक की राशि किराए पर ली गई गाड़ियों पर खर्च की गई है। यह राशि कितनी वाजिब (Justified) है, यह एक बड़ा सवाल है। ‘CBI जांच’ (CBI Investigation) की मांग भी उठाई जा रही है, क्योंकि इतनी बड़ी रकम के वितरण (Distribution) में पारदर्शिता (Transparency) और जवाबदेही (Accountability) का अभाव नजर आ रहा है।

सवाल: कहाँ है गाइडलाइन?

पुलिस विभाग में ‘गाड़ियों का खेल’ (Game of Vehicles) खेलने के इस मामले में, ‘कहाँ है गाइडलाइन?’ यह प्रश्न उठता है। क्या ‘कोई नियम नहीं’ (No Guidelines) थे, या ‘सब कुछ नियमों के खिलाफ’ (Everything Against Rules) किया गया? इन सवालों के जवाब ‘पुलिसिया गोरखधंधे’ के खुलासे में छिपे हैं।

‘सबके पीछे कौन’?’:

यह जानना महत्वपूर्ण है कि इस ‘मानमर्जी’ (Arbitrary Actions) के पीछे कौन सी ताकतें काम कर रही हैं। क्या यह ‘सिस्टम की विफलता’ (Failure of the System) है, या ‘भ्रष्टाचार’ (Corruption) का कोई बड़ा मामला? ‘राजनीतिक हस्तक्षेप’ (Political Interference) की भी आशंका जताई जा रही है।

जनता का पैसा, किसके हाथ?

यह मामला जनता के पैसे (Public Money) के जिम्मेदाराना उपयोग (Responsible Utilization) पर एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करता है। यदि पुलिस विभाग अपनी आवश्यकताओं के लिए खुले बाजार से गाड़ियां किराए पर लेता है, तो पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए। ‘सुभाष चंद्र बोस’ (Netaji Subhash Chandra Bose) या ‘भारत माता’ जैसे ‘देशभक्ति’ (Patriotism) के नारों के बीच, ऐसे ‘घोटाले’ (Scams) देश की ‘विकास यात्रा’ (Development Journey) पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं।

आगे क्या? CBI जांच की मांग और भविष्य के प्रश्न:

‘सूत्र’ (The Sootr) इस मामले की गहन जांच कर रहा है और CBI जांच की मांग भी उठ रही है। उम्मीद है कि यह पर्दाफाश ‘व्यवस्था में सुधार’ (Systemic Reforms) लाएगा और ‘पारदर्शी शासन’ (Transparent Governance) सुनिश्चित करेगा। ‘छत्तीसगढ़’ (Chhattisgarh) के लिए यह एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जहां ‘सत्यमेव जयते’ (Truth Prevails) के सिद्धांतों का पालन करते हुए ‘भ्रष्टाचार का अंत’ (End of Corruption) होना चाहिए।

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