Bihar Bhumi: बिहार में जमीन से जुड़े सालों पुराने विवादों (Land Disputes) और जटिल प्रक्रियाओं से जूझ रहे लाखों भूमि मालिकों के लिए एक बड़ी और राहत भरी खबर है। अरवल जिले में चल रहे ‘राजस्व महा-अभियान’ के तहत, अब भूमि मालिकों को उनकी जमाबंदी पंजी (Jamabandi Panji) सीधे उपलब्ध कराई जा रही है, और साथ ही उसमें मौजूद किसी भी त्रुटि को सुधारने का मौका भी दिया जा रहा है।
इस अभियान की सबसे खास और महत्वपूर्ण बात यह है कि अब जिन लोगों की जमीन अभी भी उनके स्वर्गवासी दादा-परदादा के नाम पर दर्ज है, वे भी आसानी से अपने नाम पर नामांतरण करा सकेंगे। इसके लिए उन्हें अंचल या किसी और बड़े दफ्तर के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि सिर्फ अपने गांव के सरपंच से एक वंशावली बनवाकर जमा करनी होगी।
क्या है यह राजस्व महा-अभियान और आपको इससे कैसे मिलेगा फायदा?
अरवल जिले में यह महा-अभियान राजस्व रिकॉर्ड को दुरुस्त करने और भूमि विवादों को कम करने के लिए चलाया जा रहा है।
- घर-घर पहुंच रही जमाबंदी पंजी: इस अभियान के तहत, राजस्व कर्मचारी रैयतों (भूमि मालिकों) को उनकी जमाबंदी पंजी उपलब्ध करा रहे हैं, जिसमें नाम, खाता, खेसरा, रकबा जैसी सभी महत्वपूर्ण जानकारी लिखी हुई है।
- गलती सुधारने का मौका: इस पंजी में अगर किसी रैयत का खाता, खेसरा, नाम, या रकबा गलत अंकित है, तो उसके बगल में दिए गए खाली स्थान में सही जानकारी भरकर आगामी शिविर में जमा करना है।
- जरूरी दस्तावेज: सुधार के लिए साक्ष्य के रूप में आपको लगान रसीद, शुद्धि पत्र, केवाला की प्रति, या नापी प्रतिवेदन जमा करना होगा।
- ऑनलाइन-ऑफलाइन दोनों के लिए: जिन लोगों ने ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी तरह से लगान रसीद कटाई है, वे भी प्रपत्र भरकर साक्ष्य के साथ शिविर में जमा कर सकते हैं।
दादा-परदादा की जमीन अपने नाम कैसे कराएं?
राजस्व कर्मचारी अनिल कुमार ने बताया कि यह सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। उन्होंने कहा:
“जिनकी जमीन अभी भी स्वर्गवास हो चुके दादा-परदादा के नाम से है, वे अपने पंचायत के सरपंच के यहां से एक वंशावली बनवा कर देंगे, तो उसी के आधार पर जीवित रैयतों के नाम पर नामांतरण (Mutation/Dakhil Kharij) किया जाएगा।”
इसका मतलब है कि अब आपको जटिल कानूनी प्रक्रियाओं और लंबे इंतजार से छुटकारा मिल जाएगा।
पारिवारिक बंटवारे के बाद जमाबंदी अलग कैसे होगी?
- राजस्व कर्मचारी ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि परिवार में भाइयों के बीच बंटवारा हो चुका है और वे अपनी-अपनी जमाबंदी अलग कराना चाहते हैं, तो उन्हें पारिवारिक बंटवारे का कागजात (Partition Deed) जमा करना होगा। इसी के आधार पर उनकी जमाबंदी अलग-अलग कर दी जाएगी, जिससे भविष्य में किसी भी तरह के विवाद की संभावना खत्म हो जाएगी।
अब नहीं काटने पड़ेंगे अंचल कार्यालय के चक्कर
सदर प्रखंड के भादासी ग्राम कचहरी में शुक्रवार को लगाए गए शिविर में पहुंचे रैयत राधा मोहन सिंह, विजय प्रसाद यादव और अन्य लोगों ने बताया कि पहले रकबा, नाम, खाता, खेसरा, बंटवारा और नामांतरण कराने में सबसे ज्यादा परेशानी होती थी, और इसके लिए महीनों अंचल कार्यालय (Circle Office) का चक्कर काटना पड़ता था। लेकिन अब इस शिविर के माध्यम से उनका काम आसानी से हो रहा है।
बिहार सरकार का यह कदम भूमि सुधार की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है, जिससे न केवल रिकॉर्ड दुरुस्त होंगे, बल्कि लाखों लोगों को अपनी जमीन पर उनका कानूनी हक भी आसानी से मिल सकेगा।