---Advertisement---

B. Saroja Devi: 29 साल में 161 से अधिक फिल्मों में नायिका बनीं सरोजा देवी का 87 की उम्र में निधन

Published On: July 14, 2025
Follow Us
B. Saroja Devi: 200 से अधिक फिल्मों की लीजेंड्री अभिनेत्री का निधन
---Advertisement---

B. Saroja Devi: भारतीय सिनेमा के लिए एक अत्यंत दुखद दिन है क्योंकि दशकों तक अपने शानदार अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली लीजेंड्री अभिनेत्री बी. सरोजा देवी (B. Saroja Devi) का 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। OneIndia वेबसाइट के अनुसार, उनके निधन की खबर से पूरे फिल्म जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। बी. सरोजा देवी को प्यार से “अभिनय सरस्वती” (Abhinaya Saraswathi) और “कन्नड़ भाषा की प्यारी बच्ची” (Kannadathu Paingili) जैसे उपाधियों से नवाजा गया था। उन्होंने कन्नड़ (Kannada), तमिल (Tamil), तेलुगु (Telugu), और हिंदी (Hindi) सहित कई भाषाओं में 200 से अधिक फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया, जिसने उन्हें दक्षिण भारतीय सिनेमा (South Indian Cinema) की एक स्थापित और प्रतिष्ठित अभिनेत्री के रूप में पहचान दिलाई।

‘महाकवि कालिदास’ से ‘नदोडी मन्नान’ तक: एक यादगार फिल्मी सफर

बी. सरोजा देवी का फिल्मी सफर (Film Journey) बहुत ही कम उम्र में, मात्र 17 साल की उम्र में शुरू हो गया था। उन्होंने 1955 में रिलीज हुई कन्नड़ फिल्म ‘महाकavi Kalidasa’ से अपने अभिनय की शुरुआत की। हालांकि, उनकी असली पहचान और उन्हें राष्ट्रव्यापी प्रसिद्धि मिली 1958 की तमिल क्लासिक फिल्म ‘नदोडी मन्नान’ (Nadodi Mannan) में एम.जी. रामचंद्रन (M.G. Ramachandran – MGR) के साथ उनकी भूमिका से। इस फिल्म की अपार सफलता ने उन्हें प्रमुख नायिका (Leading Lady) के तौर पर स्थापित कर दिया और वह दक्षिण भारत के राज्यों में एक बेहद मांग वाली स्टार बन गईं।

इसके साथ ही, अपने शानदार और यादगार अभिनय के दम पर उन्होंने बॉलीवुड (Bollywood) में भी अपनी खास जगह बनाई। उन्होंने अपने लंबे करियर के दौरान शिवाजी गणेशन (Sivaji Ganesan), एन.टी. रामाराव (N.T. Rama Rao), राजकुमार (Rajkumar), और शम्मी कपूर (Shammi Kapoor) जैसे दिग्गज अभिनेताओं के साथ काम किया। ये वो दौर था जब भारतीय सिनेमा, खासकर दक्षिण भारतीय सिनेमा अपनी जड़ों को मजबूत कर रहा था, और सरोजा देवी जैसी अभिनेत्रियों ने इसमें अमूल्य योगदान दिया।

राष्ट्र द्वारा सम्मानित विरासत

बी. सरोजा देवी का भारतीय सिनेमा के प्रति योगदान अत्यंत व्यापक और महत्वपूर्ण रहा। उनके कलात्मक उत्कृष्टता और समर्पण को विभिन्न प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें 1969 में पद्मश्री (Padma Shri) और 1992 में पद्मभूषण (Padma Bhushan) जैसे भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से नवाजा गया। इसके अलावा, उन्हें तमिलनाडु सरकार से कैलाइमानी पुरस्कार (Kalaimamani Award) और बैंगलोर विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट (Honorary Doctorate) की उपाधि भी प्राप्त हुई।

अपने अभिनय कार्य के अलावा, उन्होंने सिनेमा जगत के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह कन्नड़ चलचित्र संघ (Kannada Chalanchitra Sangha) की उपाध्यक्ष रहीं और 53वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों (53rd National Film Awards) के लिए जूरी की अध्यक्षता (Chairperson of the Jury) भी की। इन भूमिकाओं ने उनके भारतीय सिनेमा के भविष्य को आकार देने की प्रतिबद्धता को दर्शाया।

एक युग का अंत: ‘कन्नड़ सिनेमा की महिला सुपरस्टार’

बी. सरोजा देवी को अक्सर कन्नड़ सिनेमा की महिला सुपरस्टार (Female Superstar of Kannada Cinema) के रूप में भी जाना जाता था। जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, उन्हें 1955 में आई कन्नड़ फिल्म ‘महाकवि कालिदास’ से बड़ी सफलता मिली। वहीं, तेलुगु सिनेमा में उन्होंने 1957 में रिलीज हुई फिल्म ‘पंडुरंगा महात्यम’ (Panduranga Mahatyam) से अपनी शुरुआत की। सरोजा देवी का एक और अनूठा रिकॉर्ड है; वह एकमात्र ऐसी भारतीय अभिनेत्री हैं जिन्होंने 1955 से 1984 तक लगातार 29 वर्षों में 161 से अधिक फिल्मों में नायिका (Heroine) की भूमिका निभाई है। यह उपलब्धि उनके बेमिसाल टैलेंट और दर्शकों के बीच उनकी लगातार लोकप्रियता का प्रमाण है। उनके निधन से भारतीय सिनेमा की एक स्वर्ण युग की समाप्ति मानी जा रही है।


Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now