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Vodafone Idea के शेयरों में 10% का तूफान, सरकार के एक बयान ने कर दिया कमाल, निवेशक मालामाल

Published On: September 19, 2025
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Vodafone Idea के शेयरों में 10% का तूफान, सरकार के एक बयान ने कर दिया कमाल, निवेशक मालामाल
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Vodafone Idea – Vi: कर्ज के बोझ तले दबी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया  के निवेशकों के लिए शुक्रवार का दिन बड़ी राहत लेकर आया। कंपनी के शेयरों में अचानक 7% से 10% तक का जबरदस्त उछाल देखने को मिला, जिससे शेयर बाजार में हलचल मच गई। इस तूफानी तेजी के पीछे केंद्र सरकार का सुप्रीम कोर्ट में दिया गया एक बयान है, जिसने कंपनी के भविष्य को लेकर एक नई उम्मीद जगा दी है।

Vodafone Idea के शेयरों में 10% की सुनामी, सरकार के एक बयान से बदली निवेशकों की किस्मत!

वोडाफोन आइडिया के शेयर शुक्रवार को इंट्राडे कारोबार में 9.9% की छलांग लगाकर ₹8.62 के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। पिछले एक महीने में इस स्टॉक में 30% की बढ़ोतरी हुई है, जो निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

इस अप्रत्याशित तेजी का कारण था केंद्र सरकार का सुप्रीम कोर्ट में लिया गया रुख। दरअसल, वोडाफोन आइडिया और दूरसंचार विभाग (DoT) के बीच समायोजित सकल राजस्व (Adjusted Gross Revenue – AGR) के अतिरिक्त बकाये को लेकर एक कानूनी लड़ाई चल रही है। शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह वोडाफोन आइडिया की याचिका का “विरोध नहीं कर रही है”

सरकार ने कहा, “…लेकिन किसी समाधान की आवश्यकता है क्योंकि केंद्र भी (कंपनी में) एक इक्विटी धारक है।

सरकार के इस नरम रुख ने बाजार में यह संदेश दिया कि वह संकटग्रस्त टेलीकॉम कंपनी को और डुबाना नहीं चाहती, बल्कि किसी व्यावहारिक समाधान के पक्ष में है। इसी खबर के बाद निवेशकों ने वोडाफोन आइडिया के शेयरों की जमकर खरीदारी शुरू कर दी।

क्या है पूरा AGR विवाद?

  • ₹9,450 करोड़ की अतिरिक्त मांग: दूरसंचार विभाग (DoT) ने वोडाफोन आइडिया से ₹9,450 करोड़ के अतिरिक्त AGR बकाये की मांग की है।
  • कंपनी की दलील: वोडाफोन आइडिया ने इस मांग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। कंपनी का तर्क है कि यह मांग सुप्रीम कोर्ट के AGR देनदारियों पर पिछले फैसले के दायरे से बाहर है और इसमें कुछ राशियों की गणना दो बार (duplicated) की गई है।
  • सरकार का पक्ष: वहीं, DoT ने अपने हलफनामे में कहा है कि यह कोई पुनर्मूल्यांकन (reassessment) नहीं है, बल्कि पिछली अकाउंटिंग में रह गया एक ‘गैप’ है, जो 2019 के फैसले के अंतर्गत नहीं आता है।
  • क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने? सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि “इन कार्यवाहियों को लेकर कुछ अंतिम निर्णय होना चाहिए।” अदालत ने अब इस मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर तक के लिए टाल दी है।

सरकार क्यों है कंपनी को लेकर नरम?

केंद्र सरकार के इस नरम रुख के पीछे एक बड़ी वजह यह है कि वह खुद वोडाफोन आइडिया में एक बड़ी हिस्सेदार है।
2021 में, सरकार ने कंपनी को डूबने से बचाने के लिए एक राहत पैकेज दिया था, जिसके तहत लगभग ₹53,000 करोड़ के बकाये को इक्विटी में बदल दिया गया था। इस प्रक्रिया के बाद, केंद्र सरकार की कंपनी में 49% हिस्सेदारी हो गई थी, जिससे यह सबसे बड़ी शेयरधारक बन गई।

हालांकि, कुछ समय पहले संचार राज्य मंत्री चंद्र शेखर पेम्मासानी और दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया था कि सरकार कंपनी को कोई अतिरिक्त राहत देने या इसे एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (PSU) बनाने की योजना नहीं बना रही है। उन्होंने कहा था कि अब कंपनी का प्रबंधन करना और इसे आगे ले जाना कंपनी के मैनेजमेंट पर निर्भर है।

इसके बावजूद, सुप्रीम कोर्ट में सरकार का यह बयान कि वह याचिका का विरोध नहीं कर रही है, वोडाफोन आइडिया के लिए एक बड़ी सकारात्मक खबर है। अब सभी की निगाहें 26 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जो इस कर्ज में डूबी टेलीकॉम कंपनी के भविष्य की दिशा तय करेगी।

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