भारत के सबसे बड़े ऑनलाइन बीमा प्लेटफॉर्म, पॉलिसीबाजार (Policybazaar), पर बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 5 करोड़ रुपये का भारी जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना कंपनी द्वारा बीमा अधिनियम, 1938, और IRDAI के नियमों के कई प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए लगाया गया है। इस कार्रवाई ने फिनटेक जगत में हलचल मचा दी है और ऑनलाइन बीमा खरीदने वाले ग्राहकों के लिए कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर दिए हैं।
नियामक ने जुर्माने के साथ-साथ कंपनी को एक चेतावनी, एक सलाह और भविष्य के लिए सतर्क रहने का निर्देश भी जारी किया है। 4 अगस्त, 2025 के IRDAI के आधिकारिक आदेश के अनुसार, ये उल्लंघन 11 अलग-अलग आरोपों से संबंधित हैं, जिनमें खराब गवर्नेंस से लेकर उत्पादों के अनुचित प्रचार और प्रीमियम भुगतान में देरी जैसे गंभीर मुद्दे शामिल हैं।
क्यों लगा इतना भारी जुर्माना? पॉलिसीबाजार की 3 बड़ी गलतियां
यह कार्रवाई उन उल्लंघनों के लिए की गई है जो उस अवधि के दौरान हुए जब पॉलिसीबाजार एक बीमा वेब एग्रीगेटर (IWA) के रूप में काम कर रहा था, इससे पहले कि उसने फरवरी 2024 में एक समग्र ब्रोकर लाइसेंस प्राप्त किया। IRDAI की जांच में कई बड़ी खामियां सामने आईं:
1. ‘टॉप’ और ‘बेस्ट’ बताकर भ्रामक तरीके से बेचे उत्पाद:
IRDAI द्वारा उजागर किए गए सबसे प्रमुख उल्लंघनों में से एक पॉलिसीबाजार प्लेटफॉर्म पर उत्पादों की रैंकिंग का प्रदर्शन था, जिसमें संभावित खरीदारों को सूचित विकल्प बनाने में सक्षम बनाने के लिए पर्याप्त सामग्री का खुलासा नहीं किया गया था।
- नियामक ने क्या पाया: IRDAI ने पाया कि विभिन्न बीमा उत्पादों को “टॉप” या “बेस्ट” के रूप में इस तरह से प्रचारित किया जा रहा था जो पक्षपाती और बिना किसी ठोस आधार के प्रतीत होता था।
- उदाहरण: अपनी 1 से 5 जून, 2020 की निरीक्षण के दौरान, IRDAI ने देखा कि वेबसाइट पर प्रचारित शीर्ष पांच यूलिप (ULIP) उत्पादों में बजाज आलियांज गोल एश्योर, एडलवाइस टोकियो वेल्थ गेन+, एचडीएफसी क्लिक2वेल्थ, एसबीआई लाइफ ई-वेल्थ इंश्योरेंस, और आईसीआईसीआई सिग्नेचर शामिल थे। नियामक ने इस तरह की रैंकिंग के प्रदर्शन के पीछे पारदर्शी मानदंडों या किसी भी तरह के डिस्क्लेमर की अनुपस्थिति पर सवाल उठाया। यह ग्राहकों को यह सोचने पर मजबूर कर सकता था कि ये उत्पाद निष्पक्ष रूप से सर्वश्रेष्ठ हैं, जबकि ऐसा नहीं था।
2. प्रीमियम जमा करने में देरी और नियमों का उल्लंघन:
एक और गंभीर आरोप बीमा प्रीमियम को संबंधित बीमाकर्ताओं को भेजने में देरी करना था, जिसके लिए अकेले ही पॉलिसीबाजार पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
- क्या था नियम: बीमा अधिनियम की धारा 64VB यह अनिवार्य करती है कि कोई भी बिचौलिया (जैसे पॉलिसीबाजार) ग्राहक से प्रीमियम प्राप्त करने के 24 घंटे के भीतर उसे बीमा कंपनी को हस्तांतरित करे।
- पॉलिसीबाजार क्या कर रहा था: निरीक्षण में पाया गया कि पॉलिसीबाजार ने अपने स्वयं के नोडल खाते और पेमेंट गेटवे के माध्यम से प्रीमियम भुगतान को रूट किया, और फंड को भेजने में कम से कम तीन कार्यदिवस का समय लिया। यह कानून का सीधा उल्लंघन है।
3. गवर्नेंस में बड़ी चूक:
आदेश में कंपनी के शासन यानी गवर्नेंस से जुड़े उल्लंघनों की ओर भी इशारा किया गया है। उदाहरण के लिए, प्रमुख प्रबंधकीय कर्मियों (Key Managerial Personnel – KMPs) ने IRDAI से पूर्व अनुमोदन के बिना अन्य कंपनियों में निदेशक का पद धारण किया हुआ था, जो नियामक मानदंडों के खिलाफ है।
कंपनी की प्रतिक्रिया और शेयर बाजार पर असर
पॉलिसीबाजार की मूल कंपनी, पीबी फिनटेक लिमिटेड (PB Fintech Ltd), ने एक स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में इस नियामक कार्रवाई की पुष्टि की है। कंपनी ने कहा है कि इस मामले को आगामी बैठक में निदेशक मंडल के समक्ष रखा जाएगा और नियामक को एक एक्शन टेकन रिपोर्ट (Action Taken Report) प्रस्तुत की जाएगी।
इस खबर के बाद पीबी फिनटेक के शेयरों में गिरावट देखी गई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर सुबह 9:40 बजे के आसपास कंपनी का शेयर 1.8% गिरकर ₹1,750.10 पर आ गया।