17th Brics Summit 2025: इस हफ्ते ब्राजील में होने वाले 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (17th Brics Summit) में चीन की ओर से राष्ट्रपति शी जिनपिंग (President Xi Jinping) के बजाय प्रधानमंत्री ली कियांग (Premier Li Qiang) शिरकत करेंगे। यह पहली बार होगा जब शी जिनपिंग 2012 में सत्ता संभालने के बाद से वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग (Mao Ning) ने बुधवार को इस बात की पुष्टि की कि प्रधानमंत्री ली कियांग, राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर से 5-8 जुलाई को रियो डी जनेरियो (Rio de Janeiro) में होने वाले इस शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। हालांकि, उन्होंने इस बारे में विस्तार से बताने से इनकार कर दिया कि शी जिनपिंग ने इस शिखर सम्मेलन में भाग न लेने का निर्णय क्यों लिया, जिसमें वह पिछले एक दशक से अधिक समय से लगातार भाग लेते रहे हैं।
शी जिनपिंग की अनुपस्थिति पर अटकलें:
शी जिनपिंग की यह अनुपस्थिति कूटनीतिक हलकों में भौंहें चढ़ा रही है, खासकर भारत-चीन संबंधों में हालिया सतर्क नरमी को देखते हुए, जो पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध (military standoff in eastern Ladakh) से वर्षों के तनाव के बाद हुई है। 2023 का ब्रिक्स शिखर सम्मेलन कजान (Kazan), रूस में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना गया था जब प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग ने चार वर्षों में अपनी पहली व्यक्तिगत बातचीत की थी। उस बैठक से द्विपक्षीय संवाद तंत्र (bilateral dialogue mechanisms) फिर से शुरू हुआ और उसके बाद रिश्तों को स्थिर करने के उद्देश्य से कूटनीतिक वार्ता के कई दौर हुए। अब पर्यवेक्षक सवाल उठा रहे हैं कि क्या रियो को छोड़ना चीनी कूटनीतिक भागीदारी में गिरावट का संकेत है या एक व्यापक रणनीतिक पुनर्मूल्यांकन (strategic recalibration), विशेष रूप से जब ब्रिक्स में मिस्र (Egypt), इथियोपिया (Ethiopia), ईरान (Iran), सऊदी अरब (Saudi Arabia) और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे नए सदस्य शामिल हो रहे हैं।
पीएम मोदी और शी जिनपिंग: SCO में अगली संभावित मुलाकात?
इस वर्ष ब्रिक्स समीकरण से शी जिनपिंग के बाहर होने पर, ध्यान आगामी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन पर जाता है, जिसकी मेजबानी चीन 2025 के अंत में करेगा। यदि पीएम मोदी इसमें भाग लेते हैं, तो यह दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक का अगला अवसर प्रस्तुत कर सकता है।
भारत का आतंकवाद पर BRICS समर्थन:
यह ध्यान देने योग्य है कि भारत इस शिखर सम्मेलन में आतंकवाद पर BRICS का समर्थन हासिल करने की उम्मीद कर रहा है, जबकि पीएम मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) वैश्विक कूटनीतिक गतिविधियों (Global Diplomatic Offensive) का नेतृत्व कर रहे हैं। ऐसे में शी जिनपिंग की अनुपस्थिति शिखर सम्मेलन की गतिशीलता को कैसे प्रभावित करेगी, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। यह सम्मेलन न केवल आर्थिक सहयोग बल्कि वैश्विक सुरक्षा और भू-राजनीतिक मुद्दों पर भी चर्चा का एक महत्वपूर्ण मंच है। यह शिखर सम्मेलन भारत, अमेरिका और यूके जैसे देशों के लिए भी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह ब्रिक्स देशों के बीच बढ़ते गठजोड़ और वैश्विक शक्ति संतुलन में इसके प्रभाव को समझने का अवसर प्रदान करेगा।