Dussehra sweets: भारत में त्योहारों का मतलब सिर्फ रीति-रिवाज और पूजा-पाठ ही नहीं होता, बल्कि हर त्योहार अपने साथ लाता है ढेर सारा स्वाद और लजीज पकवानों की महक। कोई भी भारतीय त्योहार स्वादिष्ट खाने के बिना अधूरा लगता है। हर त्योहार पर कुछ ऐसे खास व्यंजन बनाए जाते हैं, जो न सिर्फ उस दिन को यादगार बना देते हैं, बल्कि पूरे परिवार को एक साथ बैठकर खाने और खुशियां बांटने का मौका भी देते हैं।
ऐसा ही एक बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस साल यह शुभ त्योहार 02 अक्टूबर, 2025 को मनाया जाएगा। भारत के हर राज्य में इस दिन को मनाने का तरीका और यहां बनने वाले पारंपरिक व्यंजन भी अलग-अलग होते हैं, और हर डिश का अपना एक विशेष महत्व होता है। आज हम आपको दशहरा पर भारत के अलग-अलग प्रदेशों में बनने वाली कुछ खास रेसिपीज के बारे में बताने वाले हैं, जिन्हें आप इस त्योहार पर अपने घर में ट्राई कर सकते हैं और अपनी खुशियों में परंपरा का स्वाद घोल सकते हैं। चलिए जानते हैं।
1. दाल पराठा और खीर (उत्तर प्रदेश): सौभाग्य का आशीर्वाद
उत्तर प्रदेश में दशहरा का त्योहार दाल पराठा और खीर के बिना अधूरा माना जाता है। यहां सुबह से ही घरों में इसकी तैयारी शुरू हो जाती है।
- दाल पराठा: इसे बनाने के लिए चना दाल को मसालों के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है और फिर गेहूं के आटे में भरकर पराठे सेके जाते हैं। इसका कुरकुरा और मसालेदार स्वाद हर किसी को पसंद आता है।
- खीर: दूध और चावल से बनी मीठी और सुगंधित खीर इस त्योहार के स्वाद को दोगुना कर देती है।
- महत्व: ऐसी मान्यता है कि दशहरे के दिन दाल पराठा और खीर खाने से घर में सौभाग्य, अच्छी सेहत और खुशहाली आती है।
2. मोतीचूर के लड्डू: जीवन में घुलेगी मिठास
दशहरे के दिन हनुमान जी की पूजा का भी विशेष महत्व होता है, और माना जाता है कि मोतीचूर के लड्डू भगवान हनुमान को बहुत ज्यादा प्रिय हैं।
- कैसे बनते हैं: छोटी-छोटी बूंदी के दानों को देसी घी और चीनी की चाशनी में मिलाकर ये स्वादिष्ट लड्डू तैयार किए जाते हैं।
- महत्व: इस दिन लोग भगवान हनुमान को मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाते हैं और प्रसाद के रूप में बांटते हैं। माना जाता है कि दशहरे पर इन लड्डुओं को खाने से जीवन में मिठास और खुशियां बढ़ती हैं।
3. मीठा डोसा (कर्नाटक): स्वास्थ्य और स्वाद का संगम
दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में दशहरे के खास अवसर पर पारंपरिक मीठा डोसा बनाया जाता है। यह सिर्फ एक पकवान नहीं, बल्कि प्रसाद का भी हिस्सा है।
- कैसे बनता है: इसे बनाने के लिए चावल का आटा, गेहूं का आटा, गुड़ और ताजे नारियल को मिलाकर एक घोल तैयार किया जाता है और फिर उसके डोसे बनाए जाते हैं।
- महत्व: कर्नाटक में इसे प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है और यह खाने में जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही हेल्दी भी होता है।
4. पान: सम्मान और जीत का प्रतीक
उत्तर प्रदेश और बिहार के कई हिस्सों में दशहरे पर पान खाने और खिलाने की एक अनूठी परंपरा है।
- महत्व: यह परंपरा सिर्फ स्वाद के लिए नहीं है, बल्कि इसके गहरे सांस्कृतिक मायने हैं। भगवान हनुमान को पान चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है। इसके अलावा, पान को प्रेम, सम्मान और आपसी रिश्तों में मिठास का प्रतीक भी माना जाता है। यह अच्छाई की जीत के संदेश को भी दर्शाता है।
5. दही: हर शुभ काम की शुरुआत
भारत में किसी भी नए या शुभ काम को शुरू करने से पहले दही-चीनी खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। दशहरे पर भी ऐसा ही किया जाता है।
- महत्व: दही को सौभाग्य और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। ओडिशा में महिलाएं रावण दहन से पहले देवी दुर्गा को दही और भीगे हुए चावल (दही पखाल) का भोग लगाती हैं, ताकि उनके जीवन में सब कुछ शुभ हो।
6. रसगुल्ला (बंगाल): खुशियों का प्रतीक
पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा और दशहरा का उत्सव रसगुल्लों के बिना बिल्कुल अधूरा है। यह मिठाई वहां की संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है।
- कैसे बनते हैं: छेना और चीनी की चाशनी से बने ये नरम, स्पंजी और रसीले रसगुल्ले मुंह में जाते ही घुल जाते हैं।
- महत्व: इन्हें सौभाग्य और खुशियों का प्रतीक माना जाता है। त्योहार के मौके पर इन्हें अलग-अलग फ्लेवर में भी खाया और खिलाया जाता है।
7. जलेबी और फाफड़ा (गुजरात): समृद्धि का पारंपरिक स्वाद
गुजरात में दशहरे की असली रौनक और स्वाद जलेबी और फाफड़ा के बिना अधूरा है। यह वहां का सबसे प्रसिद्ध त्योहारी नाश्ता है।
- पौराणिक मान्यता: कहते हैं कि भगवान राम को भी जलेबी (जिसे उस समय ‘शशकुली’ कहते थे) बहुत पसंद थी और उन्होंने रावण पर विजय प्राप्त करने के दिन इसका आनंद लिया था।
- महत्व: बेसन से बने कुरकुरे फाफड़े को मीठी, गर्म जलेबी के साथ खाने से घर में सुख-समृद्धि आती है, ऐसी मान्यता है।