Stroke Symptoms: क्या आप जानते हैं कि आपका ब्लड ग्रुपब्लड ग्रुप और स्ट्रो-क (Blood Group) न केवल आपकी पहचान है, बल्कि यह भविष्य में होने वाली गंभीर बीमारियों का संकेत भी दे सकता है? दुनियाभर में हो रही तमाम स्टडीज इस बात की पुष्टि कर रही हैं। इसी कड़ी में, ‘न्यूरोलॉजी‘ (Neurology) जर्नल में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट ने ब्लड ग्रुप और कम उम्र में होने वाले स्ट्रोक (Stroke) के बीच एक खतरनाक और सीधे कनेक्शन का खुलासा किया है, जिसने मेडिकल जगत में एक नई बहस छेड़ दी है।
इस व्यापक रिसर्च के अनुसार, जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ‘A’, विशेष रूप से इसका सबग्रुप A1 है, उनमें 60 साल की उम्र से पहले स्ट्रोक आने का खतरा अन्य ब्लड ग्रुप वालों की तुलना में काफी अधिक होता है। चलिए विस्तार से जानते हैं कि इस रिसर्च में और क्या-क्या चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं और बाकी ब्लड ग्रुप के लोगों के लिए यह खतरा कितना बड़ा है।
क्या कहती है यह चौंकाने वाली रिसर्च?
‘न्यूरोलॉजी’ जर्नल में प्रकाशित यह मेगा-एनालिसिस लगभग 48 जेनेटिक स्टडीज पर आधारित है, जिसमें स्ट्रोक का सामना कर चुके 17,000 लोग और स्ट्रोक से बचे हुए लगभग 6,00,000 स्वस्थ लोग शामिल किए गए थे। इस अध्ययन में शामिल सभी प्रतिभागी 18 से 59 वर्ष की आयु के बीच के थे।
एक जीनोम-वाइड अध्ययन (genome-wide study) के माध्यम से, वैज्ञानिकों ने उन जेनेटिक लोकेशन्स की पहचान की जिनका सीधा संबंध कम उम्र में होने वाले स्ट्रोक से था। इनमें से एक लोकेशन का संबंध सीधे ब्लड ग्रुप से पाया गया। जब इस पर और अधिक गहराई से अध्ययन किया गया, तो यह驚くべき (आश्चर्यजनक) तथ्य सामने आया कि A1 ब्लड सबग्रुप वाले लोगों में अन्य ब्लड ग्रुप की तुलना में 16 प्रतिशत जल्दी स्ट्रोक आने का खतरा होता है।
हालांकि, इसके पीछे का सटीक कारण क्या है, इस पर अभी भी रिसर्च जारी है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ब्लड टाइप A1, खून के थक्के (Blood Clotting) बनाने वाले फैक्टर्स या अन्य मैकेनिज्म को प्रभावित कर सकता है, जिससे धमनियों में रुकावट पैदा होती है और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
विशेषज्ञों की क्या है राय?
इस स्टडी के सह-प्रमुख अन्वेषक, डॉ. स्टीवन जे. किटनर (Dr. Steven J. Kittner), जो यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन (UMSOM) में न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर हैं, ने कहा, “कम उम्र में स्ट्रोक का सामना करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे लोगों के लिए इस जानलेवा घटना से मरने की संभावना अधिक होती है, और जो भाग्यशाली बच भी जाते हैं, उन्हें दशकों तक विकलांगता का सामना करना पड़ सकता है। इसके बावजूद, शुरुआती स्ट्रोक के कारणों पर बहुत कम रिसर्च हुई है।”
डॉ. किटनर का मानना है कि इस तरह की स्टडी इस बात की संभावना को और पुख्ता करती है कि जेनेटिक्स (Genetics), जिसमें ब्लड ग्रुप का प्रकार भी शामिल है, स्ट्रोक के खतरे को कम या ज्यादा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, खासकर कम उम्र में।
शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि ये नई जानकारियां उन लोगों की जल्द पहचान करने में मदद करेंगी जिन्हें स्ट्रो-क का अधिक खतरा है, और भविष्य में इससे बचने के लिए अधिक टार्गेटेड प्रिवेंशन स्ट्रैटेजी (Targeted Prevention Strategies) विकसित की जा सकेंगी।
यह रिसर्च इस बात पर जोर देती है कि अपने ब्लड ग्रुप को जानना सिर्फ इमरजेंसी के लिए ही नहीं, बल्कि अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने के लिए भी जरूरी है। यदि आपका ब्लड ग्रुप ‘A’ है, तो घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि आपको अपनी जीवनशैली, खान-पान और नियमित स्वास्थ्य जांच को लेकर अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।