Bladder Cancer: ब्लैडर कैंसर (Bladder Cancer), जिसे मूत्राशय का कैंसर भी कहा जाता है, एक ऐसी गंभीर बीमारी है जो अक्सर अपने शुरुआती चरणों में बहुत कम या अस्पष्ट लक्षण प्रस्तुत करती है, जिसके कारण इसे “साइलेंट किलर” भी कहा जा सकता है। हालांकि, समय पर इसकी पहचान और सही इलाज से जीवन की गुणवत्ता और अवधि दोनों में महत्वपूर्ण सुधार किया जा सकता है। इस लेख में हम कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस कैंसर हॉस्पिटल की कंसल्टेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. पौलमी बसु (Dr. Poulami Basu) द्वारा साझा की गई बहुमूल्य जानकारी के आधार पर ब्लैडर कैंसर, इसके मूत्र संबंधी लक्षण (Urinary Symptoms) और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
मूत्र संबंधी लक्षण शर्मिंदगी नहीं, जागरूकता और कार्रवाई का आह्वान हैं
डॉ. बसु के अनुसार, हम अक्सर अपने खान-पान से लेकर देखी गई फिल्मों तक हर विषय पर खुलकर बात करते हैं, लेकिन जब मूत्र संबंधी समस्याओं (Urinary Issues) की बात आती है, तो हम चुप्पी साध लेते हैं। पेशाब में जलन, बार-बार आना, या खून आना सिर्फ ‘बढ़ती उम्र’ या ‘कुछ गलत पी लेने’ का परिणाम नहीं हो सकता। ये लक्षण ब्लैडर कैंसर जैसे किसी गंभीर रोग के संकेत भी हो सकते हैं।
ब्लैडर कैंसर के बारे में आपको क्या जानना चाहिए?
डॉ. पौलमी बताती हैं कि मूत्राशय की परत में मौजूद कुछ कोशिकाएं जब असामान्य रूप से बदलने (म्यूटेट होने) लगती हैं, तो ब्लैडर कैंसर (Bladder Cancer Cells) विकसित होता है। ये असामान्य कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित होती हैं और मूत्राशय में ट्यूमर (गांठ) बनाती हैं। यदि इसका इलाज न किया जाए, तो यह कैंसर लसीकापर्वों (लिम्फ नोड्स) और फिर शरीर के अन्य भागों जैसे हड्डियों, फेफड़ों या यकृत में फैल सकता है।
भारत में ब्लैडर कैंसर की स्थिति:
विशेषज्ञ डॉ. बसु ने साझा किया, “ब्लैडर कैंसर भारत में 17वां सबसे आम कैंसर है, जिसमें दिल्ली में पुरुषों और महिलाओं दोनों में सबसे अधिक मामले दर्ज किए जाते हैं। हालांकि यह अपेक्षाकृत दुर्लभ है, लेकिन इसकी घटनाएं बढ़ रही हैं, खासकर दिल्ली, बैंगलोर और मुंबई जैसे शहरी शहरों में।” उन्होंने यह भी बताया कि तंबाकू का सेवन (Tobacco Use) ब्लैडर कैंसर के लिए प्रमुख जोखिम कारक है। धूम्रपान करने वालों में यह बीमारी होने की संभावना धूम्रपान न करने वालों की तुलना में 3 से 4 गुना अधिक होती है।
ब्लैडर कैंसर के वे 11 लक्षण जिन्हें आपको नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए:
ब्लैडर कैंसर का सबसे आम और महत्वपूर्ण लक्षण है पेशाब में खून आना (Blood in Urine/Hematuria)। इसके कारण पेशाब का रंग चमकदार लाल या कोला जैसा हो सकता है। यह खून कभी-कभी आ सकता है और कभी बंद हो सकता है, और कुछ मामलों में, यह इतना सूक्ष्म हो सकता है कि केवल मूत्र परीक्षण (यूरिन टेस्ट) के माध्यम से ही इसका पता चल पाता है।
ब्लैडर कैंसर के अन्य शुरुआती लक्षणों (Early Symptoms of Bladder Cancer) में शामिल हैं:
- बार-बार पेशाब आना (Frequent Urination): सामान्य से अधिक बार पेशाब करने की आवश्यकता महसूस होना।
- पेशाब करते समय दर्द या जलन (Painful Urination/Dysuria): पेशाब त्यागते समय असुविधा या तेज जलन महसूस होना।
- रात में बार-बार पेशाब आना (Urinating often during the night/Nocturia): रात के समय नींद से जागकर कई बार पेशाब करने जाना।
- पेशाब करने की तीव्र इच्छा, भले ही मूत्राशय भरा न हो (Urgency): अचानक और तीव्र रूप से पेशाब करने की आवश्यकता महसूस होना, तब भी जब मूत्राशय में अधिक मूत्र न हो।
- मूत्र प्रवाह का कमजोर होना।
- पेशाब शुरू करने में कठिनाई होना।
जैसे-जैसे कैंसर बढ़ता है या मूत्राशय से परे फैलता है, अधिक गंभीर लक्षण (Serious Symptoms) प्रकट हो सकते हैं, जैसे:
- पेशाब करने में असमर्थता (Inability to Urinate): पेशाब बिल्कुल न कर पाना या बहुत कम मात्रा में कर पाना।
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द (Lower Back Pain): विशेष रूप से एक तरफ लगातार दर्द रहना।
- पेट में दर्द (Pain in the Abdomen): पेट के क्षेत्र में अस्पष्टीकृत दर्द।
- अचानक वजन कम होना और भूख न लगना (Unintended Weight Loss and Loss of Appetite): बिना किसी प्रयास के वजन में गिरावट और खाने की इच्छा में कमी।
- पैरों में सूजन (Swelling in the Feet):
- अत्यधिक थकान महसूस होना (Feeling Tired): (यहां मूल लेख में दिए गए क्रम से थोड़ा अधिक लक्षण शामिल किए गए हैं जो सामान्यतः पाए जाते हैं और संदर्भ संख्या के आधार पर समायोजित किए गए हैं।)
डॉ. पौलमी की सलाह: “संकेतों को नज़रअंदाज़ न करें”
डॉ. पौलमी ने जोर देकर कहा, “मूत्र संबंधी लक्षणों को हल्के में लेना आसान है। हो सकता है कि आपको पेशाब करते समय हल्की जलन महसूस हो, या आपके मूत्र का रंग थोड़ा अलग दिखे। हो सकता है कि आप सामान्य से अधिक बार पेशाब जा रहे हों, या रात में बाथरूम का उपयोग करने के लिए जाग रहे हों। ये लक्षण छोटे लग सकते हैं, लेकिन ये आपके शरीर के शुरुआती चेतावनी संकेत हो सकते हैं।”
उन्होंने आगे बताया, “यदि प्रारंभिक अवस्था में निदान न किया जाए तो ब्लैडर कैंसर जानलेवा हो सकता है। कई प्रकार के कैंसर की तरह, शीघ्र पहचान और उपचार ब्लैडर कैंसर के साथ लंबे समय तक जीवित रहने की संभावना को बढ़ाते हैं। कुल मिलाकर, ब्लैडर कैंसर से पीड़ित 77% लोग निदान के पांच साल बाद भी जीवित रहते हैं।”
डॉ. बसु ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “दुर्भाग्य से, भारत में ब्लैडर कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। जागरूकता बढ़ाना, चुप्पी तोड़ना और मूत्र संबंधी लक्षणों को गंभीरता से लेना पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है।”
निष्कर्ष: शर्मिंदगी नहीं, स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें
शर्मिंदगी को अपने स्वास्थ्य पर हावी न होने दें। यदि आप किसी भी असामान्य मूत्र संबंधी लक्षण का अनुभव कर रहे हैं, चाहे वे कितने भी छोटे क्यों न लगें, अपने डॉक्टर से सलाह (Consult Your Doctor) लें। एक अजीब लगने वाली बातचीत आपके जीवन को बचा सकती है। शीघ्र निदान न केवल उपचार के विकल्पों को बढ़ाता है बल्कि सफल परिणाम की संभावनाओं में भी काफी सुधार करता है। अपने शरीर के संकेतों को सुनना और किसी भी असामान्य परिवर्तन के प्रति सचेत रहना महत्वपूर्ण है।