Delhi weather: दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों मौसम का मिजाज बेहद दिलकश बना हुआ है। सुबह और शाम की गुलाबी ठंड हल्की सिहरन पैदा कर रही है, तो वहीं दिन में निकल रही मीठी धूप लोगों को सुकून दे रही है। लेकिन इस सुहाने मौसम के पर्दे के पीछे एक अदृश्य और जानलेवा खतरा दस्तक दे चुका है। जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही है, राजधानी की हवा में जहर घुलता जा रहा है, और वायु गुणवत्ता (Air Quality) खतरनाक रूप से खराब होती जा रही है। दिल्ली के आनंद विहार से लेकर अक्षरधाम तक, हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच गई है, जो एक बड़े स्वास्थ्य संकट का संकेत है।
दिन में गर्मी, रात में सर्दी: मौसम का दोहरा खेल
मौसम विभाग के अनुसार, आज 18 अक्टूबर को भी दिल्ली का मौसम शुष्क बना रहेगा। राजधानी इस वक्त गर्मी और सर्दी, दोनों के रंग एक साथ दिखा रही है। दिन के समय धूप निकलने से हल्की गर्मी का एहसास होता है, आलम यह है कि कई घरों में अभी भी AC का इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन जैसे ही सूरज ढलता है, तापमान तेजी से गिरता है और हल्की ठंड महसूस होने लगती है।
फिलहाल, दिल्ली में अधिकतम तापमान 31 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है, जबकि न्यूनतम तापमान 18 से 21 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया जा रहा है। हवा की गति बेहद धीमी होने के कारण प्रदूषक कण वायुमंडल में नीचे ही जमा हो रहे हैं, जिससे दिल्ली एक ‘गैस चैंबर’ में तब्दील होती जा रही है।
दिवाली से पहले ही हवा ‘बहुत खराब’
चिंता की बात यह है कि दिवाली का त्योहार आने से पहले ही दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा दम घोंटने लगी है। चार दिन पहले ही बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए राजधानी में GRAP-1 (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) लागू कर दिया गया है। इसके बावजूद, एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) पर कई इलाकों में हवा का स्तर 350 के खतरनाक निशान को पार कर चुका है। सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि एनसीआर के गुरुग्राम, नोएडा और फरीदाबाद में भी सर्दी के साथ-साथ हवा की गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है।
आज सुबह 8 बजे दिल्ली के कुछ प्रमुख इलाकों का AQI स्तर:
- आनंद विहार: 382 (बहुत खराब)
- जहांगीर पुरी: 308 (बहुत खराब)
- विवेक विहार: 287 (खराब)
- आईटीओ: 270 (खराब)
- नरेला: 273 (खराब)
- लोधी रोड: 229 (खराब)
अभी राहत की कोई उम्मीद नहीं
मौसम विभाग का पूर्वानुमान इस चिंता को और बढ़ा रहा है। अगले पांच दिनों तक राजधानी में मौसम पूरी तरह शुष्क रहने का अनुमान है, और बारिश की कोई संभावना नहीं है। बारिश होने से हवा में मौजूद प्रदूषक कण जमीन पर आ जाते हैं, जिससे प्रदूषण से अस्थायी राहत मिलती है। लेकिन बारिश न होने का मतलब है कि आने वाले दिनों में प्रदूषण का यह ‘साइलेंट किलर’ और भी खतरनाक रूप ले सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि दिवाली के बाद पटाखों के धुएं और पराली के जलने से स्थिति और भी भयावह हो सकती है।