DTH technology: आजकल भारत के हर घर की छत पर आपको एक गोल आकार की छतरी, यानी डिश एंटीना (Dish Antenna) जरूर दिखाई देती है। यही वह डिश टीवी (Dish TV) की छतरी है, जिसके जरिए सैकड़ों टीवी चैनल्स हमारी स्क्रीन तक जीवंत होकर पहुंचते हैं। ज्यादातर लोग इसे सिर्फ एक सामान्य छतरी ही मानते हैं, लेकिन इसके पीछे की टेक्नोलॉजी बेहद रोचक और जटिल है। आइए, आज समझते हैं कि यह पूरा सिस्टम आखिर काम कैसे करता है।
अंतरिक्ष से आपके टीवी तक का सफर
डिश टीवी की छतरी का सबसे मुख्य काम है अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट से आने वाले सिग्नल्स को पकड़ना। सबसे पहले, टीवी चैनल्स के प्रसारण (Broadcast) को जमीन पर बने स्टेशनों से हजारों किलोमीटर ऊपर मौजूद भूस्थिर उपग्रहों (Geostationary Satellites) तक भेजा जाता है। ये सैटेलाइट्स पृथ्वी के साथ-साथ उसी गति से घूमते हैं, जिससे वे आसमान में हमेशा एक ही जगह पर टिके हुए नजर आते हैं। आपकी छत पर लगा डिश एंटीना इन्हीं सैटेलाइट्स से आने वाली रेडियो तरंगों (Microwave Frequency) को पकड़ने के लिए डिजाइन किया गया है।
छतरी का आकार गोल और गहरा क्यों होता है?
क्या आपने कभी गौर किया है कि डिश एंटीना हमेशा गोल और एक कटोरी की तरह गहरा होता है? इस खास आकार को ‘पैरबोलिक शेप’ (Parabolic Shape) कहते हैं। इस डिजाइन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह अंतरिक्ष से आने वाले बेहद कमजोर सिग्नल्स को भी एक ही बिंदु पर इकट्ठा (Focus) कर देता है। इस बिंदु को फोकल प्वाइंट (Focal Point) कहा जाता है, और ठीक इसी जगह पर डिश में लगा हुआ सबसे महत्वपूर्ण उपकरण LNB (Low Noise Block Converter) लगा होता है, जो इन सभी केंद्रित सिग्नल्स को रिसीव करता है।
LNB: डिश का असली दिमाग
LNB आपकी डिश का सबसे महत्वपूर्ण और दिमागी हिस्सा है। इसके मुख्य रूप से तीन काम होते हैं:
- सिग्नल पकड़ना: यह सैटेलाइट से आने वाली बेहद हाई-फ्रीक्वेंसी वाली तरंगों को पकड़ता है।
- सिग्नल बदलना: यह इन हाई-फ्रीक्वेंसी सिग्नल्स को कम शोर (Noise) और कम फ्रीक्वेंसी वाले सिग्नल्स में बदलता है, ताकि उन्हें केबल के जरिए आसानी से भेजा जा सके।
- सिग्नल भेजना: इन बदले हुए सिग्नल्स को यह एक मोटी कोएक्सियल केबल (Coaxial Cable) के जरिए आपके सेट-टॉप बॉक्स तक भेजता है।
सेट-टॉप बॉक्स: तस्वीर का आखिरी पड़ाव
जब LNB से सिग्नल केबल के जरिए आपके सेट-टॉप बॉक्स (Set-Top Box) तक पहुंचते हैं, तब भी वे एक एन्क्रिप्टेड डिजिटल कोड के रूप में होते हैं, जिसे आपका टीवी सीधे नहीं समझ सकता। सेट-टॉप बॉक्स एक जादूगर की तरह इन डिजिटल कोड्स को डिकोड (Decode) करता है और उन्हें ऑडियो-वीडियो सिग्नल में बदल देता है, जिसे आपका टीवी समझ सकता है। यानी, डिश की छतरी, LNB और सेट-टॉप बॉक्स, इन तीनों का तालमेल ही टीवी पर आने वाली हर तस्वीर और आवाज का असली कारण है।
बारिश में सिग्नल क्यों चला जाता है?
आपने अक्सर देखा होगा कि भारी बारिश या तूफान के समय टीवी पर ‘No Signal’ का मैसेज आ जाता है। इसकी एक वैज्ञानिक वजह है। पानी की बूंदें और घने बादल सैटेलाइट से आने वाली माइक्रोवेव सिग्नल्स को सोख लेते हैं (absorb कर लेते हैं) या उन्हें बिखेर देते हैं। इस प्रक्रिया को ‘रेन फेड’ (Rain Fade) कहते हैं। इससे सैटेलाइट से आने वाले सिग्नल्स जमीन तक पहुंचने से पहले ही इतने कमजोर पड़ जाते हैं कि डिश उन्हें ठीक से पकड़ नहीं पाती, और आपका टीवी प्रसारण रुक जाता है।
भविष्य की टेक्नोलॉजी
आज Dish TV के जरिए HD और 4K ब्रॉडकास्टिंग भी इसी बेहतरीन टेक्नोलॉजी के कारण संभव हो पाई है। आने वाले समय में और भी एडवांस सैटेलाइट्स और IPTV (Internet Protocol TV) जैसी नई तकनीक, जो इंटरनेट के जरिए टीवी चैनल्स दिखाएगी, मिलकर मनोरंजन के अनुभव को और भी तेज, स्थिर और बेहतर बनाएंगे।
तो अगली बार जब आप अपनी छत पर लगी डिश टीवी की छतरी को देखें, तो याद रखें कि यह सिर्फ एक गोल प्लेट नहीं है, बल्कि यह एक अत्याधुनिक सैटेलाइट कम्युनिकेशन सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो अंतरिक्ष से आपके लिए मनोरंजन की दुनिया को आपके लिविंग रूम तक लाता है।