Rustom-2 drone: पिछले कुछ वर्षों में भारत ने रक्षा क्षेत्र में दुनिया को चौंकाते हुए एक लंबी छलांग लगाई है, खासकर ड्रोन टेक्नोलॉजी के मामले में। वो दिन लद गए जब ड्रोन का इस्तेमाल सिर्फ निगरानी या जासूसी के लिए होता था। आज भारत के ड्रोन युद्ध के मैदान में दुश्मन पर सटीक और घातक हमले करने में पूरी तरह सक्षम हैं। भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय सशस्त्र बल मिलकर ऐसे भविष्य के हथियार विकसित कर रहे हैं, जो दुश्मन देशों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं हैं।
इन सभी उन्नत ड्रोन्स में जिसका नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है और जो सबसे खतरनाक माना जाता है, वह है “रुस्तम-2”, जिसे अब आधिकारिक तौर पर “तपस-बीएच 201″ (Tapas-BH 201) के नाम से जाना जाता है।
क्या है रुस्तम-2 और क्यों है यह इतना खास?
रुस्तम-2 को भारत का अब तक का सबसे उन्नत और शक्तिशाली लड़ाकू ड्रोन (Combat Drone) माना जाता है। यह “मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस” (MALE) श्रेणी का ड्रोन है, जिसका सीधा सा मतलब है कि यह मध्यम ऊंचाई पर बहुत लंबे समय तक लगातार उड़ान भर सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सिर्फ एक ‘आंख’ नहीं है जो दुश्मन पर नजर रखे, बल्कि यह एक ‘शिकारी’ भी है जो हथियारों से लैस होकर दुश्मन को नेस्तनाबूद कर सकता है।
रुस्तम-2 की वो खतरनाक तकनीक जो इसे अजेय बनाती है:
- 24 घंटे से ज्यादा की उड़ान क्षमता: रुस्तम-2 एक बार उड़ान भरने के बाद 24 घंटे से भी अधिक समय तक हवा में रह सकता है। यह इसे लगभग 250 किलोमीटर के विशाल क्षेत्र की लगातार निगरानी करने की अद्भुत क्षमता देता है।
- रडार को चकमा देने की ताकत: यह ड्रोन 35,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। इतनी ऊंचाई पर होने के कारण यह दुश्मन के ज्यादातर रडारों की पकड़ में आसानी से नहीं आता और एक ‘अदृश्य’ हत्यारे की तरह अपना काम कर सकता है।
- दिन-रात, हर मौसम में पैनी नजर: रुस्तम-2 में हाई-रेजोल्यूशन इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर और अत्याधुनिक इंफ्रारेड कैमरे लगे हैं। यह तकनीक इसे दिन हो या रात, घना कोहरा हो या खराब मौसम, हर परिस्थिति में जमीन पर हो रही छोटी से छोटी गतिविधि को भी साफ-साफ देखने में सक्षम बनाती है।
- घातक हथियारों से लैस: यह सिर्फ एक निगरानी ड्रोन नहीं है। रुस्तम-2 पर प्रिसिजन-गाइडेड बम (Precision-Guided Bombs) और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। इसका मतलब है कि यह ड्रोन दुश्मन के ठिकानों, बंकरों या आतंकी कैंपों की पहचान करके उन्हें बिना किसी पायलट की जान जोखिम में डाले पल भर में तबाह कर सकता है।
चीन और पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी चुनौती
भारत का यह स्वदेशी एडवांस ड्रोन चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के लिए एक बहुत बड़ी रणनीतिक चुनौती बन गया है। सीमा पर लगातार निगरानी, दुश्मन के सैन्य जमावड़े की पहचान और बिना सीमा पार किए लक्ष्य पर सटीक हमला करने की इसकी क्षमता इसे और भी खतरनाक बनाती है। इसकी वजह से दुश्मन देशों की हर सैन्य गतिविधि पर भारतीय सेना की 24/7 नजर रहती है, जिससे उन पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव भी बना रहता है।
भविष्य की तकनीक: ‘घातक’ स्टेल्थ ड्रोन
भारत की महत्वाकांक्षाएं सिर्फ रुस्तम-2 तक ही सीमित नहीं हैं। डीआरडीओ भविष्य के लिए और भी उन्नत सशस्त्र ड्रोन विकसित कर रहा है, जिसमें सबसे प्रमुख है “घातक स्टेल्थ UCAV”। यह ड्रोन स्टेल्थ तकनीक से लैस होगा, जिसका अर्थ है कि यह दुश्मन के रडार को पूरी तरह से चकमा दे सकता है और उसे इसकी मौजूदगी का पता भी नहीं चलेगा। यदि यह प्रोजेक्ट सफल होता है, तो भारत ड्रोन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अमेरिका और इज़राइल जैसे देशों को टक्कर देते हुए एक वैश्विक महाशक्ति बन जाएगा।
स्पष्ट रूप से, भारत का रुस्तम-2 ड्रोन ‘आत्मनिर्भर भारत’ का एक जीता-जागता प्रमाण है। यह केवल एक निगरानी उपकरण नहीं, बल्कि एक घातक हथियार है। इसकी एडवांस तकनीक, लंबी उड़ान क्षमता और हथियारों से लैस होने की योग्यता इसे भारत का सबसे खतरनाक ड्रोन बनाती है। यही कारण है कि दुश्मन देशों के पसीने छूट जाते हैं, क्योंकि भारत अब किसी भी खतरे का जवाब देने के लिए पुरानी रणनीति पर नहीं, बल्कि आधुनिक और घातक तकनीक पर निर्भर है।