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USA Deportation: ‘अलविदा’ कहने का भी नहीं मिला मौका, 73 साल की भारतीय महिला के साथ ऐसा क्यों हुआ?

Published On: September 25, 2025
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USA Deportation: 'अलविदा' कहने का भी नहीं मिला मौका, 73 साल की भारतीय महिला के साथ ऐसा क्यों हुआ?
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USA Deportation: 30 से अधिक वर्षों तक अमेरिका (USA) को अपना घर मानने वाली एक 73 वर्षीय सिख महिला, बीबी हरजीत कौर (Bibi Harjeet Kaur) की अपने वतन वापसी की कहानी किसी बुरे सपने से कम नहीं है। यह कहानी अमेरिकी आप्रवासन प्रणाली (US Immigration System) के अमानवीय चेहरे और bureaucratic उदासीनता को उजागर करती है, जिसने एक बुजुर्ग महिला को उसके परिवार और दोस्तों से क्रूरतापूर्वक अलग कर दिया। उन्हें हथकड़ियां पहनाई गईं, दवाइयों के लिए भोजन नहीं दिया गया, और अपने रिश्तेदारों को आखिरी बार अलविदा कहने तक का मौका नहीं मिला।

30 साल बाद अमेरिका से डिपोर्ट! 73 साल की हरजीत कौर की दर्दनाक कहानी

बीबी हरजीत कौर की कहानी सिर्फ एक निर्वासन (Deportation) की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस दर्द, अपमान और पीड़ा की कहानी है जो उन्होंने अपने आखिरी 48 घंटों में झेली।

  • हथकड़ियों में वापसी: अमेरिकी इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) के अधिकारियों ने उन्हें हथकड़ियां पहनाकर कैलिफोर्निया से जॉर्जिया और फिर वहां से एक चार्टर फ्लाइट में बिठाकर पंजाब भेज दिया।
  • परिवार से नहीं मिलने दिया: इस पूरी प्रक्रिया के दौरान, उन्हें अपने परिवार या वकील से संपर्क करने या मिलने का एक भी मौका नहीं दिया गया। उनके परिवार के सदस्यों ने अधिकारियों से गुहार लगाई कि उन्हें भारत भेजे जाने से पहले कम से-कम अपने रिश्तेदारों को अलविदा कहने दिया जाए, लेकिन उनकी इस मानवीय अपील को भी ठुकरा दिया गया।
  • बिस्तर तक नहीं मिला: उनके वकील ने दावा किया है कि हिरासत में आखिरी 60-70 घंटों तक उन्हें सोने के लिए बिस्तर तक नहीं दिया गया और उन्हें कंबल ओढ़कर जमीन पर सोने के लिए मजबूर किया गया। घुटनों की सर्जरी होने के कारण वह ठीक से उठ भी नहीं पा रही थीं।
  • खाना मांगा तो मिली बर्फ: जब उन्होंने अपनी दवाइयां लेने के लिए भोजन मांगा, तो उन्हें सिर्फ बर्फ की एक ट्रे और एक चीज़ सैंडविच दिया गया।
  • डेंचर भी नहीं दिए: हद तो तब हो गई जब उन्होंने अपने डेंचर (दांतों की बत्तीसी) मांगे, तो उन्हें वह भी देने से मना कर दिया गया।

कौन हैं बीबी हरजीत कौर और क्यों किया गया उन्हें डिपोर्ट?

‘एबीसी7न्यूज’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, हरजीत कौर कथित तौर पर बिना किसी वैध दस्तावेज के अमेरिका में रह रही थीं।

  • 1992 में पहुंची थीं अमेरिका: वह 1992 में अपने दो बेटों के साथ अमेरिका पहुंची थीं।
  • शरण का आवेदन हुआ था खारिज: वर्ष 2012 में, उनके शरण (Asylum) के आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया था।
  • 13 साल तक करती रहीं रिपोर्ट: लेकिन तब से, वह पिछले 13 वर्षों से भी अधिक समय तक हर छह महीने में सैन फ्रांसिस्को स्थित ICE कार्यालय में ‘निष्ठापूर्वक रिपोर्ट’ करती रहीं। ‘बर्कलेसाइड’ की एक रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि ICE ने कौर को आश्वासन दिया था कि जब तक उनके यात्रा दस्तावेज प्राप्त नहीं हो जाते, तब तक वह ‘वर्क परमिट’ के साथ निगरानी में अमेरिका में रह सकती हैं।

इसके बावजूद, एक नियमित जांच के दौरान, उन्हें अचानक हिरासत में ले लिया गया।

सिख समुदाय में भारी आक्रोश

बीबी हरजीत कौर की इस तरह से गिरफ्तारी और निर्वासन ने अमेरिका में सिख समुदाय (Sikh Community) और मानवाधिकार संगठनों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है।

  • “मानवता का उल्लंघन”: सिख कोएलिशन (Sikh Coalition) ने इस कार्रवाई को “मानवता के बुनियादी मानकों का उल्लंघन” बताया है।
  • “शर्मनाक और अमानवीय”: संगठन ने कहा, “किसी भी इंसान के साथ ऐसा व्यवहार घृणित है, और एक 73 साल की महिला को इस स्थिति से गुजरना बेहद शर्मनाक और अमानवीय है।

उनके वकील, दीपक अहलूवालिया, ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में बताया कि “बीबी जी (हरजीत कौर) पंजाब वापस आ गई हैं। वह पहले ही भारत पहुंच चुकी हैं।”

हरजीत कौर की यह कहानी उन हजारों आप्रवासियों के दर्द को दर्शाती है जो दशकों तक एक देश में रहने के बावजूद हमेशा एक अनिश्चित भविष्य के साये में जीते हैं।


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