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Navratri 2025: जानें 9 दिनों के शुभ रंग और हर दिन बनने वाला विशेष फलाहारी भोग

Published On: September 24, 2025
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Navratri 2025: जानें 9 दिनों के शुभ रंग और हर दिन बनने वाला विशेष फलाहारी भोग
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Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि यह भक्ति, आस्था और ऊर्जा की एक लय है जो नौ रातों तक घरों को मंत्रों, रोशनी और पवित्र भोजन की सुगंध से भर देती है। यह माँ दुर्गा के नौ रूपों (Navdurga) की आराधना का महापर्व है, जिसमें भक्त उपवास, प्रार्थना और नृत्य के माध्यम से अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।

इस वर्ष, शारदीय नवरात्रि सोमवार, 22 सितंबर, 2025 से शुरू होकर मंगलवार, 30 सितंबर तक चलेगी, और विजयादशमी (दशहरा) 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी। नवरात्रि के प्रत्येक दिन का अपना एक विशेष रंग, अर्थ और अनुष्ठान होता है। साथ ही, हर दिन देवी के उस विशेष स्वरूप को एक खास भोग (Bhog) या प्रसाद भी अर्पित किया जाता है, जो उस दिन के रंग और देवी के गुण से जुड़ा होता है।

आइए, जानते हैं नवरात्रि 2025 के नौ दिनों के लिए दिन-वार रंग और विशेष भोग के बारे में।


पहला दिन (Day 1) – माँ शैलपुत्री (शुभ रंग: सफेद)

नवरात्रि की शुरुआत हल्के, सात्विक और ऊर्जावान भोजन से होती है। सफेद रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक है।

  • भोग: साबूदाना खिचड़ी (टैपिओका और मूंगफली से बनी) व्रत के दौरान ऊर्जावान बनाए रखने के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। मिठास के लिए, मखाना खीर या गुड़ और ताजे नारियल से बने नारियल के लड्डू का भोग लगाया जाता है।

दूसरा दिन (Day 2) – माँ ब्रह्मचारिणी (शुभ रंग: लाल)

दूसरा दिन गहरे और जीवंत स्वादों का होता है। लाल रंग जुनून और ऊर्जा का प्रतीक है।

  • भोग: व्रत रखने वालों के लिए हल्का गर्म टमाटर का सूप बहुत आरामदायक होता है। चुकंदर के परांठे और अनार का सलाद इस दिन के लिए उत्तम भोग माने जाते हैं, जो पौष्टिकता से भरपूर होते हैं।

तीसरा दिन (Day 3) – माँ चंद्रघंटा (शुभ रंग: नीला)

नीला रंग शांति और स्थिरता का प्रतीक है।

  • भोग: भारतीय रसोई में नीले खाद्य पदार्थ पारंपरिक रूप से कम होते हैं, लेकिन भक्त créativité दिखाते हैं। ब्लूबेरी योगर्ट Parfait (फल, दही और शहद की परतों वाला) या अपराजिता के फूलों से प्राकृतिक रूप से रंगा गया नीला चावल (Blue Rice) इस दिन के लिए एक अनोखा और सुंदर भोग है।

चौथा दिन (Day 4) – माँ कूष्मांडा (शुभ रंग: पीला)

चौथा दिन चमकीले और दिल को सुकून देने वाले व्यंजनों का होता है। पीला रंग खुशी और चमक का प्रतीक है।

  • भोग: हल्के मसालों से बनी कद्दू की सब्जी एक पौष्टिक फलाहार है। साथ में, गाढ़ा और मीठा मैंगो स्मूदी और सुनहरे-कुरकुरे कॉर्न फ्रिटर्स का भोग लगाया जा सकता है।

पांचवा दिन (Day 5) – माँ स्कंदमाता (शुभ रंग: हरा)

पांचवें दिन हरे रंग के खाद्य पदार्थों का महत्व है, जो ताजगी और प्रकृति का प्रतीक हैं।

  • भोग: पालक और आलू की सब्जी एक क्लासिक संयोजन है। भारी भोजन से राहत देने के लिए पुदीने की hint वाला हरे सेब का सलाद या खीरे का रायता बेहतरीन विकल्प हैं।

छठा दिन (Day 6) – माँ कात्यायनी (शुभ रंग: ग्रे/धूसर)

छठा दिन सादे लेकिन पौष्टिक व्यंजनों का होता है। ग्रे रंग वैराग्य का प्रतीक है।

  • भोग: ग्रे दाल का सूप (जैसे कुल्थी की दाल) प्रोटीन से भरपूर होता है। कुट्टू के आटे के पैनकेक या चीला हल्के होते हैं, जिन्हें शहद या दही के साथ खाया जा सकता है। मीठे में, गुड़ से बना नारियल के दूध का पुडिंग उत्तम है।

सातवां दिन (Day 7) – माँ कालरात्रि (शुभ रंग: नारंगी)

सातवें दिन नारंगी रंग के खाद्य पदार्थ भोग में चमक और विविधता लाते हैं। नारंगी रंग ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक है।

  • भोग: धीरे-धीरे पकाया गया नरम और मीठा गाजर का हलवा इस दिन का मुख्य आकर्षण होता है। मसालों और नींबू के रस में टॉस की गई शकरकंद की चाट स्वाद में चटपटापन लाती है।

आठवां दिन (Day 8) – माँ महागौरी (शुभ रंग: मयूर हरा)

आठवें दिन हल्के लेकिन स्वादिष्ट हरे रंग के व्यंजनों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

  • भोग: सादे मसालों से बनी हरी बीन्स की सब्जी मुख्य भोजन के रूप में काम करती है। साथ में, सुगंधित और ताज़ा पुदीना राइस और हर्ब सलाद (पुदीना, तुलसी और धनिया से बना) का भोग लगाया जा सकता है।

नौवां दिन (Day 9) – माँ सिद्धिदात्री (शुभ रंग: गुलाबी)

नवरात्रि का समापन नौवें दिन रंगीन और मीठे खाद्य पदार्थों के साथ होता है। गुलाबी रंग प्रेम और स्त्रीत्व का प्रतीक है।

  • भोग: एक ठंडी स्ट्रॉबेरी स्मूदी त्योहार का एहसास कराती है। सुगंध से भरपूर गुलाब की पंखुड़ियों का जैम (गुलकंद) एक पारंपरिक स्पर्श देता है। स्वाद में कंट्रास्ट लाने के लिए अमरूद की चटनी भी बनाई जा सकती है।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य जागरूकता और सांस्कृतिक संदर्भ के लिए है। नवरात्रि के दौरान परंपराएं, अनुष्ठान और भोजन प्रथाएं क्षेत्र और परिवार के अनुसार भिन्न हो सकती हैं।

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