11 और 12 सितंबर की दरमियानी रात, जब उत्तर प्रदेश का बरेली शहर सो रहा था, तब बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री दिशा पाटनी (Disha Patani) के घर के बाहर गोलियों की तड़तड़ाहट ने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी। दो अलग-अलग रातों में हुए इन हमलों ने न केवल पाटनी परिवार को दहशत में डाल दिया, बल्कि यूपी पुलिस के लिए भी एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी। इस हाई-प्रोफाइल मामले की जिम्मेदारी कुख्यात गोल्डी बरार गैंग (Goldy Brar Gang) ने सोशल मीडिया पर ली, जिसके बाद दिल्ली, यूपी और हरियाणा पुलिस की स्पेशल टीमें हरकत में आ गईं।
एक ऐसी वारदात जिसमें कोई सुराग छोड़ना लगभग नामुमकिन था, वहां पुलिस ने सिर्फ एक ‘लाल जूते’ की मदद से 2500 CCTV कैमरों की फुटेज खंगालकर न केवल अपराधियों तक पहुंची, बल्कि उन्हें एक भीषण मुठभेड़ में ढेर भी कर दिया। यह कहानी किसी बॉलीवुड एक्शन फिल्म की पटकथा से कम नहीं है।
कैसे 2500 CCTV और एक जोड़ी ‘लाल जूते’ बने सबसे बड़े सुराग
घटना 1 (11 सितंबर): सुबह 4:15 बजे, एक काली सुपर स्प्लेंडर बाइक पर सवार दो बदमाशों ने दिशा के घर के बाहर एक गोली चलाई।
घटना 2 (12 सितंबर): अगली रात, 3:33 बजे, एक सफेद अपाचे बाइक पर आए दो अन्य बदमाशों ने कई राउंड गोलियां दागीं।
इन हमलों के बाद, पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी इन “घोस्ट शूटर्स” की पहचान करना।
- 2500 CCTV फुटेज की जांच: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल, यूपी STF और हरियाणा STF की संयुक्त टीमों ने बरेली और उसके आसपास के इलाकों के लगभग 2500 CCTV कैमरों की फुटेज को खंगालना शुरू किया।
- ‘लाल जूते’ ने खोला राज: घंटों की मशक्कत के बाद, फुटेज में चार शूटर तो दिखे, लेकिन उनकी पहचान मुश्किल थी। तभी एक शूटर के पैरों में पहने ‘लाल जूतों’ ने पुलिस का ध्यान अपनी ओर खींचा। यह एक छोटा लेकिन बेहद महत्वपूर्ण सुराग था।
- अपराधी की हुई पहचान: इस ‘लाल जूते’ वाले सुराग और तकनीकी निगरानी की मदद से पुलिस ने एक शूटर की पहचान रविंदर (रोहतक निवासी) के रूप में की, जो 2024 में फतेहाबाद कोर्ट में हुई फायरिंग का भी वांछित अपराधी था।
कैसे रची गई थी पूरी साजिश?
पुलिस जांच में यह खुलासा हुआ कि रोहित गोदारा-गोल्डी बरार गैंग ने दिशा पाटनी और उनके परिवार को डराकर एक मोटी रकम वसूलने (Extortion) की पूरी साजिश रची थी।
- कई हफ्तों तक की रेकी: गैंग के चार शूटरों- रविंदर, अरुण (सोनीपत), नकुल और विजय- ने कई हफ्तों तक दिशा के घर की रेकी की थी।
- होटल में बनाया था ठिकाना: CCTV फुटेज और क्राइम डेटाबेस की मदद से पुलिस को पता चला कि ये चारों बदमाश बरेली के एक ‘पंजाब होटल’ में ठहरे थे।
गाजियाबाद के ट्रॉनिका सिटी में खूनी मुठभेड़
सुराग मिलने के बाद पुलिस ने तेजी से जाल बिछाया। सोमवार को टीम को खबर मिली कि रविंदर और अरुण गाजियाबाद में छिपे हैं। बुधवार तक उनकी लोकेशन ट्रॉनिका सिटी में कन्फर्म कर ली गई।
- शाम 7:20 बजे, आमना-सामना: जब पुलिस ने उनकी बाइक को रोका और सरेंडर करने को कहा, तो बदमाशों ने सीधे पुलिस टीम पर गोलियां चला दीं।
- पुलिसकर्मी हुए घायल: एक गोली पुलिस की गाड़ी में लगी, जबकि दूसरी से एक ऑफिसर घायल हो गया। इस मुठभेड़ में कुल चार पुलिसकर्मी (दिल्ली पुलिस के SI रोहित और HC कैलाश, तथा यूपी STF के HC अंकुर और जय) घायल हुए।
- जवाबी कार्रवाई में दोनों शूटर ढेर: अपनी जान की परवाह न करते हुए, पुलिस ने जवाबी फायरिंग की, जिसमें रविंदर की छाती में और अरुण की गर्दन व छाती में गोली लगी। दोनों को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
हथियारों का जखीरा बरामद
पुलिस ने मुठभेड़ स्थल से एक चोरी की बाइक, एक जिगाना पिस्टल (Z Gana Pistol), और एक ग्लॉक जेन 5 पिस्टल (Glock Gen 5 Pistol) बरामद की है। इन अत्याधुनिक हथियारों का मिलना यह साबित करता है कि गैंग का मकसद सिर्फ डराना नहीं, बल्कि किसी बड़ी वारदात को अंजाम देना भी हो सकता था। पुलिस अब गैंग के बाकी सदस्यों की तलाश में जुटी है। यह ऑपरेशन भारतीय पुलिस की जांबाजी और सूझबूझ का एक बेहतरीन उदाहरण है।