---Advertisement---

Breathlessness: बुखार-सांस फूलने को न लें हलके में, इस मरीज के साथ जो हुआ, वो डरा देगा

Published On: September 12, 2025
Follow Us
Breathlessness: बुखार-सांस फूलने को न लें हलके में, इस मरीज के साथ जो हुआ, वो डरा देगा
---Advertisement---

Breathlessness: अक्सर हम बुखार, खांसी या सांस फूलने जैसी समस्याओं को आम मौसमी बीमारी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं या फिर सामान्य इलाज पर निर्भर रहते हैं। लेकिन मुंबई का एक मामला हर किसी के लिए एक बड़ी चेतावनी है कि कैसे एक सामान्य दिखने वाला लक्षण भी किसी जानलेवा और खतरनाक बीमारी का संकेत हो सकता है। मुंबई में, एक 75 वर्षीय बुजुर्ग मरीज फूलती सांस और गर्म बदन के साथ 15 दिनों तक दर-दर भटकता रहा, लेकिन उसकी असली बीमारी का पता तब चला जब उसकी रिपोर्ट सामने आई, जिसे देखकर डॉक्टरों के भी पसीने छूट गए।

निमोनिया समझकर होता रहा इलाज, असली वजह थी कुछ और

मुंबई के एक 75 वर्षीय बुजुर्ग को पिछले 15 दिनों से लगातार तेज बुखार (High Fever) और सांस फूलने (Shortness of Breath) की गंभीर समस्या हो रही थी। उन्होंने कई अलग-अलग अस्पतालों में दिखाया, जहां डॉक्टरों ने शुरुआती लक्षणों के आधार पर उन्हें निमोनिया (Pneumonia) और फेफड़ों में पानी भरने का इलाज देना शुरू कर दिया। लेकिन किसी भी इलाज से उन्हें आराम नहीं मिल पा रहा था और उनकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी।

जब उनकी हालत गंभीर हो गई, तो उन्हें मुंबई के प्रतिष्ठित नानावटी मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल (Nanavati Max Super Speciality Hospital) में भर्ती कराया गया।

एक उल्टी… और सामने आया जानलेवा सच

नानावटी हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने जब मरीज की विस्तृत मेडिकल हिस्ट्री ली, तो एक चौंकाने वाली बात सामने आई। मरीज ने बताया कि सांस न ले पाने की यह उसे एक जोरदार उल्टी (forceful vomiting) आने के बाद से शुरू हुई थी। डॉक्टरों के लिए यह एक बड़ा सुराग था।

उन्होंने तुरंत मरीज का चेस्ट स्कैन (Chest Scan) करवाया। जब स्कैन की रिपोर्ट आई, तो हर कोई हैरान रह गया। रिपोर्ट में मरीज की खाने की नली (Food Pipe/Esophagus) फटी हुई पाई गई थी। यह एक अत्यंत गंभीर और जानलेवा स्थिति है, जिसे मेडिकल भाषा में बोअरहैव सिंड्रोम (Boerhaave’s Syndrome) कहा जाता है।

क्या है बोअरहैव सिंड्रोम (Boerhaave’s Syndrome)

नानावटी मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन के एसोसिएट डायरेक्टर, डॉ. हर्षद लिमये ने बताया कि बोअरहैव सिंड्रोम आमतौर पर एक बहुत जोर की उल्टी के बाद होता है। उल्टी के अत्यधिक दबाव के कारण खाने की नली पर अचानक प्रेशर पड़ता है और वह फट जाती है।

  • यह जानलेवा है: यह एक जानलेवा इमरजेंसी स्थिति है, जिसमें मृत्यु दर काफी अधिक होती है।
  • क्या होता है खतरा: नली फटने से पेट में मौजूद एसिड और भोजन के कण छाती की कैविटी (chest cavity) में जमा हो जाते हैं, जिससे गंभीर इंफेक्शन (sepsis) फैलने का खतरा होता है।
  • पारंपरिक इलाज जोखिम भरा: अगर इसका तुरंत इलाज न किया जाए, तो ओपन चेस्ट सर्जरी (open-chest esophagectomy) करनी पड़ती है, जो बेहद जोखिम भरी होती है।

कैसे हुआ बिना चीरे के सफल इलाज?

मरीज की स्थिति और भी जटिल थी क्योंकि वह पहले से पेट के कैंसर (Stomach Cancer) का सर्वाइवर था, जिससे उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर थी। इसलिए, डॉक्टरों की टीम ने मिनिमल इनवेसिव अप्रोच अपनाने का फैसला किया।

डॉ. गौरव पाटिल की देखरेख में नॉन-इनवेसिव एंडोस्कोपिक प्रक्रिया (non-invasive endoscopic procedure) की गई।

  • कैसे की गई प्रक्रिया: डॉक्टरों ने मरीज के मुंह के रास्ते से लोअर इसोफेगस में एक एंडोस्कोप डाला। वहां उंगली के सिरे से भी बड़ा एक कट मिला।
  • अंदरूनी टांके: फिर विशेष सुई और नॉन-एब्जॉर्बेबल धागों की मदद से, बिना कोई बाहरी चीरा लगाए, खाने की नली को अंदर से ही सिल दिया गया (intraluminal stitching)।

चमत्कारी रिकवरी और एक बड़ी सीख

इलाज का असर तुरंत दिखने लगा। मरीज का चेस्ट ड्रेनेज बंद हो गया, इंफेक्शन के मार्कर कम हो गए और अगले ही दिन से उसने पानी पीना शुरू कर दिया। 48 घंटे बाद वह मुंह से खाना खाने लगा और एक हफ्ते के भीतर उसकी चेस्ट ट्यूब भी निकाल दी गई। मरीज को बिना किसी बाहरी चीरे के पूरी तरह से स्वस्थ करके डिस्चार्ज कर दिया गया।

डॉ. पाटिल ने चेतावनी देते हुए कहा, “जो लोग जानबूझकर या जबरदस्ती उल्टी करने की कोशिश करते हैं, उन्हें भी यह जानलेवा खतरा हो सकता है। इसलिए ऐसी गलती कभी न करें।

यह मामला हमें सिखाता है कि शरीर के किसी भी असामान्य संकेत, चाहे वह एक उल्टी ही क्यों न हो, को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए और तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now