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Pitru Paksha 2025: पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति, चमक जाएगी किस्मत

Published On: September 11, 2025
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Pitru Paksha 2025: पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति, चमक जाएगी किस्मत
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Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष, हिन्दू धर्म में एक ऐसा महत्वपूर्ण पखवाड़ा है जो पूरी तरह से हमारे पूर्वजों (Ancestors) को समर्पित होता है। भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलने वाले इन 16 दिनों में हम अपने पितरों का स्मरण करते हैं, उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे अनुष्ठान करते हैं।

मान्यता है कि इन दिनों हमारे पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा दिए गए तर्पण को स्वीकार कर उन्हें सुख, समृद्धि और आरोग्य का आशीर्वाद देते हैं। शास्त्रों में पितृ पक्ष के दौरान कुछ विशेष कार्यों को करने और कुछ चीजों से परहेज करने का विधान बताया गया है। इसी कड़ी में, कुछ ऐसे पेड़-पौधे हैं जिन्हें पितृ पक्ष में लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है, वहीं कुछ ऐसी सब्जियां भी हैं जिनका सेवन इस दौरान भूलकर भी नहीं करना चाहिए।

आइए, विस्तार से जानते हैं कि पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए हमें कौन से पेड़ लगाने चाहिए और किन सब्जियों से दूरी बनानी चाहिए।

पितृ पक्ष में जरूर लगाएं ये 6 पवित्र पेड़-पौधे

ये पौधे न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी हैं, बल्कि इन्हें लगाने से पितृ दोष (Pitra Dosh) से मुक्ति मिलती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

1. पीपल का पेड़ (Peepal Tree):
पीपल को देववृक्ष कहा गया है और यह देवताओं के साथ-साथ पितरों का भी निवास स्थान माना जाता है। पितृ पक्ष में पीपल का पेड़ लगाना या उसकी सेवा करना पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है। शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल में कुछ काले तिल डालकर दीपक जलाना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। इससे पितृ दोष दूर होता है और वंश में वृद्धि होती है।

2. बरगद का पेड़ (Banyan Tree):
बरगद के वृक्ष को दीर्घायु, शक्ति और मोक्ष का प्रतीक माना गया है। इसे लगाने से पितर तृप्त होते हैं और अपने परिवार को लंबी आयु और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। यह वृक्ष परिवार में संतान सुख की वृद्धि भी करता है।

3. तुलसी का पौधा (Tulsi Plant):
तुलसी माता को भगवान विष्णु की प्रिय माना जाता है और मान्यता है कि भगवान विष्णु की पूजा से पितर प्रसन्न होते हैं। पितरों को अर्पित किए जाने वाले जल में तुलसी दल का होना अनिवार्य है, इसके बिना तर्पण अधूरा माना जाता है। पितृ पक्ष में घर में तुलसी का पौधा लगाना और नियमित रूप से उसकी पूजा करना पितृ दोष का निवारण करता है।

4. शमी का पौधा (Shami Plant):
शमी का पौधा शनिदेव और पितरों, दोनों को प्रिय माना जाता है। पितृ पक्ष के दौरान घर में शमी का पौधा लगाने से सुख, शांति और समृद्धि आती है। यह पौधा घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और पितरों का आशीर्वाद दिलाता है।

5. आम का पेड़ (Mango Tree):
आम के वृक्ष को समृद्धि और मंगल का प्रतीक माना जाता है। श्राद्ध कर्म में आम के पत्तों और लकड़ी का विशेष महत्व होता है। पितृ पक्ष में आम का पेड़ लगाने से पितर प्रसन्न होते हैं।

6. अशोक का पेड़ (Ashoka Tree):
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, ‘अशोक’ यानी “शोक का नाश करने वाला”। इस पेड़ को घर के आस-पास लगाने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और परिवार में शोक और दुख का नाश होकर शांति और उन्नति का वास होता है।

भूलकर भी न खाएं ये सब्जियां: पितृ पक्ष में वर्जित भोजन

पितृ पक्ष का समय संयम और सात्विकता का होता है। इस दौरान शुद्ध और सात्विक भोजन करने का विधान है। शास्त्रों में कुछ सब्जियों को तामसिक (Tamasic) प्रकृति का माना गया है, जिनका सेवन इन दिनों में वर्जित है।

1. बैंगन (Brinjal/Eggplant):
शास्त्रों के अनुसार, बैंगन को तामसिक और कुछ हद तक अशुद्ध माना गया है। इसका संबंध शनि ग्रह से भी जोड़ा जाता है। इसलिए श्राद्ध और पितृ पक्ष में बैंगन का सेवन पूरी तरह से वर्जित है।

2. प्याज और लहसुन (Onion and Garlic):
प्याज और लहसुन को भी तामसिक और राजसिक प्रकृति का माना जाता है। इनकी तासीर गर्म होती है और ये उत्तेजना बढ़ाते हैं, जो श्राद्ध कर्म की सात्विक भावना के विरुद्ध है। इसलिए किसी भी पूजा-पाठ या पितृ कर्म में इनका उपयोग निषेध है।

3. मशरूम (Mushroom):
मशरूम भूमि के अंदर, अशुद्ध और नमी वाली जगहों पर उगता है। इसकी प्रकृति भी तामसिक मानी जाती है, इसलिए इसे श्राद्ध के भोजन में शामिल नहीं किया जाता है।

4. मूली (Radish):
मूली को भी पितृ पक्ष में खाने से मना किया गया है। इसकी प्रकृति उग्र और तीक्ष्ण मानी जाती है, जो श्राद्ध काल के शांत और सात्विक भाव के अनुकूल नहीं है।

5. मसालेदार भोजन और नई फसल:
शास्त्रों में पितृ पक्ष के दौरान बहुत अधिक तीखे-मसालेदार भोजन और नई फसल (नवधान्य) के सेवन से परहेज करने की सलाह दी गई है। इस दौरान केवल पुरानी और सात्विक धान्य से बना भोजन ही पितरों को अर्पित करना चाहिए और स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए।

पितृ पक्ष केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का एक अवसर है। इन सरल नियमों का पालन करके हम न केवल उनकी आत्मा को शांति प्रदान कर सकते हैं, बल्कि उनका अमूल्य आशीर्वाद भी प्राप्त कर सकते हैं।

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