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Abhimanyu Mishra: “मैं गुकेश-प्राग से कम नहीं हूं”- विश्व चैंपियन को हराने के बाद बोले 16 साल के अभिमन्यु

Published On: September 9, 2025
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Abhimanyu Mishra: "मैं गुकेश-प्राग से कम नहीं हूं"- विश्व चैंपियन को हराने के बाद बोले 16 साल के अभिमन्यु
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Abhimanyu Mishra: शतरंज की दुनिया में उस वक्त भूचाल आ गया जब इतिहास के सबसे युवा विश्व चैंपियन, भारत के डी गुकेश (D Gukesh) को एक 16 साल के खिलाड़ी के हाथों हार का सामना करना पड़ा। समरकंद में चल रहे प्रतिष्ठित FIDE ग्रैंड स्विस टूर्नामेंट (FIDE Grand Swiss tournament) के पांचवें दौर में, भारतीय मूल के अमेरिकी शतरंज खिलाड़ी अभिमन्यु मिश्रा (Abhimanyu Mishra) ने गुकेश को हराकर शतरंज जगत में एक नया इतिहास रच दिया। अभिमन्यु पहले से ही शतरंज के इतिहास में सबसे कम उम्र में ग्रैंडमास्टर बनने का रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं, और अब, मात्र 16 साल की उम्र में, वह एक मौजूदा विश्व चैंपियन को क्लासिकल गेम में हराने वाले इतिहास के सबसे युवा खिलाड़ी भी बन गए हैं।

“मुझे कभी नहीं लगा कि मैं गुकेश या प्रज्ञानानंद से कमतर हूं” – अभिमन्यु मिश्रा

विश्व चैंपियन डी गुकेश को हराने से ठीक एक दिन पहले, अभिमन्यु ने भारत की सुनहरी पीढ़ी के एक और सितारे, प्रज्ञानानंद (Praggnanandhaa) को भी कड़ी टक्कर दी थी और एक मोहरे से पिछड़ने के बावजूद मैच को ड्रॉ कराने में सफल रहे थे। इन दो दिग्गजों के खिलाफ शानदार प्रदर्शन के बाद अभिमन्यु का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर है।

अपनी ऐतिहासिक जीत के बाद FIDE को दिए एक इंटरव्यू में, अभिमन्यु ने कहा, “भले ही मैं जीत गया, लेकिन यह जीत टूर्नामेंट में मेरे पिछले खेलों की तरह संतोषजनक नहीं लग रही है। यह बहुत साफ-सुथरा खेल नहीं था।” हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि टूर्नामेंट उनकी कल्पना से कहीं बेहतर जा रहा है।

लेकिन जो बात सबसे ज्यादा ध्यान खींचती है, वह है उनका आत्मविश्वास। उन्होंने कहा, “मुझे कभी नहीं लगा कि मैं इन खिलाड़ियों (गुकेश और प्रज्ञानानंद) से कमतर हूं। मुझे लगता है कि मैं उनके बराबर हूं।” उन्होंने आगे कहा, “अगर मैं अपनी नसों पर नियंत्रण रख सकता हूं, तो मैं दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के बराबर हूं।”

कैसे 16 साल के अभिमन्यु ने 19 साल के विश्व चैंपियन गुकेश को दी मात?

गुकेश और अभिमन्यु के बीच का यह मुकाबला इतना रोमांचक था कि इयान नेपोमनियाच्ची (Ian Nepomniachtchi) से लेकर वासिल इवानचुक (Vasyl Ivanchuk) तक, लगभग 16 ग्रैंडमास्टर अपना-अपना खेल छोड़कर इस बोर्ड पर चल रही जंग को देखने के लिए इकट्ठा हो गए थे।

काले मोहरों से खेल रहे गुकेश ने 12वीं चाल में अपने ‘g’ प्यादे को g4 पर आगे बढ़ाकर एक हैरान करने वाला फैसला लिया, और यहीं से उनकी मुश्किलें शुरू हो गईं। शतरंज की दिग्गज जुडिथ पोल्गर (Judit Polgar) भी कमेंट्री के दौरान हैरान थीं कि आखिर विश्व चैंपियन के दिमाग में क्या चल रहा है।

गुकेश की इस एक गलती का फायदा उठाते हुए अभिमन्यु ने अपने एक प्यादे को सातवें रैंक तक पहुंचा दिया, यानी प्रमोशन से सिर्फ एक कदम दूर। इसके बाद गुकेश को पूरे खेल में उस खतरनाक प्यादे को रोकने के लिए संघर्ष करना पड़ा। हालांकि बीच के खेल में एक समय ऐसा लगा कि चेन्नई के 19 वर्षीय गुकेश ने अपने चिर-परिचित अंदाज में वापसी कर ली है, लेकिन 37वीं चाल तक वह फिर से मुश्किल में पड़ गए। अंत में, 61वीं चाल पर विश्व चैंपियन को हार मानने के लिए मजबूर होना पड़ा।

कौन हैं अभिमन्यु मिश्रा: शतरंज की दुनिया का नया सितारा

अभिमन्यु मिश्रा जैसे खिलाड़ियों का उदय यह दर्शाता है कि शतरंज की दुनिया में एक नई पीढ़ी दस्तक दे रही है, जो जल्द ही गुकेश, प्रज्ञानानंद, अर्जुन एरिगैसी और नोदिरबेक अब्दुसत्तोरोव जैसे मौजूदा युवा दिग्गजों को चुनौती देगी।

अभिमन्यु की कहानी भी किसी अजूबे से कम नहीं है। कहा जाता है कि उनके पिता ने उन्हें तीन साल का होने से पहले ही शतरंज सिखाना शुरू कर दिया था। न्यू जर्सी में पले-बढ़े, उनके शुरुआती करियर को भारतीय ग्रैंडमास्टर्स एम. चंद्रन और अरुण प्रसाद सुब्रमण्यम जैसे गुरुओं ने आकार दिया।

गुकेश और प्रज्ञानानंद के लिए भले ही यह एक खराब दिन रहा हो, लेकिन अर्जुन एरिगैसी ने ब्रिटिश ग्रैंडमास्टर निकिता वितिउगोव को हराकर टूर्नामेंट में अपनी बढ़त बनाए रखी है। FIDE ग्रैंड स्विस टूर्नामेंट अब उस रोमांचक मोड़ पर पहुंच गया है, जहां हर चाल, हर फैसला, शतरंज के भविष्य की नई इबारत लिख रहा है।

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